आदिवासी नुस्खे: गंजापन दूर करने के साथ ही ताकत बढ़ाती है, ये दाल
उड़द के बीजों से मिलने वाली दाल भारतीय किचन का एक प्रमुख हिस्सा है। इसकी खेती पूरे भारत में होती है। छिलकों वाली उड़द को काली उड़द और बगैर छिलकों की उड़द को सफेद उड़द के नाम से जाना जाता है। उड़द का वानस्पतिक नाम विग्ना मुंगो है। इसको एक बहुत पौष्टिक दाल के माना जाता है। छिलकों वाली उड़द की दाल में विटामिन, खनिज लवण खूब पाए जाते हैं। साथ ही, कोलेस्ट्रॉल नगण्य मात्रा में होता है। इसमें कैल्शियम, पोटेशियम, लौह तत्व, मैग्नेशियम, मैंगनीज जैसे तत्व आदि भी भरपूर पाए जाते है। यही कारण है कि आदिवासी अंचलों में इसे बतौर औषधि कई हर्बल नुस्खों में उपयोग में लाया जाता है।चलिए आज जानेंगे उड़द से जुडे कुछ आदिवासी हर्बल नुस्खों के बारे में..
1. दुबले लोग यदि छिलके वाली उड़द दाल का सेवन करें तो यह वजन बढाने में मदद करती है। अपनी दोनो समय के भोजन में उड़द दाल का सेवन करने वाले लोग अक्सर वजन में तेजी से इजाफा देख सकते हैं। आदिवासी जानकारी के अनुसार इसका नियमित सेवन सेहत दुरुस्त करने के अलावा वजन बढाने में सहायक होता है।
2. छिलकों वाली उडद की दाल को एक सूती कपडे में लपेट कर तवे पर गर्म करें। इससे जोड दर्द से परेशान व्यक्ति के दर्द वाले हिस्सों पर सेंकाई करें। दर्द में तेजी से आराम मिलेगा। आदिवासी काली उडद को खाने के तेल में गर्म करते है और उस तेल से दर्द वाले हिस्सों की मालिश की जाती है। जिससे दर्द में तेजी से आराम मिलता है। आदिवासी मानते हैं कि इसी तेल को लकवे से ग्रस्त व्यक्ति को लकवे वाले शारीरिक अंगों में मालिश करनी चाहिए, फायदा होता है।
3. फोडे फुन्सियों, घाव और पके हुए जख्मों पर उड़द के आटे की पट्टी बांधना चाहिए। दिन में 3-4 बार ऐसा करने से आराम मिल जाता है।
4. डांग गुजरात के आदिवासियों के अनुसार गंजेपन दूर करने के लिए उड़द दाल एक अच्छा उपाय है। दाल को उबालकर पीस लें और इसका लेप रात सोने के पहले सिर पर करें। इससे गंजापन धीरे-धीरे दूर होने लगता है और नए बालों के आने की शुरुआत हो जाती है।