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रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है सरसों




सरसों के तेल में ओलिक एसिड और लीनोलिक एसिड पाया जाता है, यह फैटी एसिड होते हैं जो बालों के लिए फायदेमंद हैं। इनसे बालों की जड़ो को पोषण मिलता है। अगर आप इस तेल को हफ्ते में दो दिन इस्तेमाल करेंगे तो बाल झड़ना कम हो जाता है।
दातों और मसूड़ों पर सरसों का तेल रगड़ने से वह मजबूत होते हैं। पायरिया के मरीजों के लिए भी यह फायदेमंद है।
इसके अलावा यह सर्दी, जुखाम, सिरदर्द और शरीर के दर्द में भी बहुत फायदा देता है।
सरसों के तेल में एलिल आइसोथियोसाइनेट के गुण मौजूद होते हैं। त्वचा विकारों के लिए सबसे अच्छे इलाज के रूप में काम करता है। साथ ही यह शरीर के किसी भी भाग में फंगस को बढ़ने से रोकता है।
सरसों शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है। यह शरीर को गर्माहट भी प्रदान करता है, अगर इसे ठंडक में खाया जाए तो ठंड बिलकुल नहीं लगेगी।
अगर आपको भूख नहीं लगती तो अपने खाने को सरसों के तेल में बनाना शुरु कर दीजिए, क्योंकि यह तेल भूख बढ़ा कर शरीर में पाचन क्षमता को बढ़ाता है।
सरसों के तेल में विटामिन ई होता है। इसे त्वचा पर लगाने से सूर्य की अल्ट्रावायलेट की किरणों से बचाव होता है।
सरसों का तेल साथ ही यह झाइयों और झुर्रियों से भी काफी हद तक राहत दिलाता है।
सरसों के तेल से मालिश करने से गठिया और जोड़ो का दर्द भी ठीक हो जाता है। गठिया के रोगी सरसों के तेल में कपूर मिलाकर मालिश करें फायदा होगा।
सरसों का तेल खाने से कोरोनरी हार्ट डिज़ीज का खतरा भी थोड़ा कम हो जाता है।
जिन लोगों की त्वचा रूखी-सूखी है, वे लोग अपने हाथों, पैरों में तेल लगाने के बाद पानी से स्नान कर लें। इससे त्वचा को पोषण मिलता है और त्वचा नम हो जाती है।
सरसो के दानों को पीसकर लेप लगाने से किसी भी प्रकार की सूजन ठीक हो जाती है
सरसों के दानों को पीसकर शहद के साथ चाटने से कफ और खांसी समाप्त हो जाती है।
सरसों के तेल को एक टॉनिक के रूप में प्रयोग किया जाता है। इसका इस्तेमाल करने से शरीर की कार्य क्षमता बढ़ा कर शरीर की कमजोरी को एकदम दूर कर देता है।
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