भारत के इतिहास में पहली बार पति-पत्नी को सुनाई गई थी फांसी की सजा
मुंबई। 25 जुलाई 2003 को मुंबई में हुए दो कार बम धमाकों को 12 साल होने जा रहे हैं। इस हादसे में 54 लोगों की मौत और करीब 250 लोग घायल हो गए थे। तीन में से दो दोषी पति-पत्नी थे। भारत के इतिहास में यह पहला मामला था जब 6 अगस्त 2009 को अदालत ने किसी पति–पत्नी को फांसी की सजा सुनाई। dainikbhaskar.com इस मौके पर एक विशेष सीरीज के तहत बता रहा है इन बम विस्फोट की पूरी कहानी। इस दिन मुंबई में दो कार बम धमाके हुए। धमाके गेटवे ऑफ इंडिया और झवेरी बाजार में किए गए थे।
दक्षिण-पश्चिम मुंबई की मरोल इलाके में एक साधारण सा मुस्लिम परिवार रहता था। पति-पत्नी और दो बेटियों के इस परिवार का जब दिल दहला देने वाला कारनामा सामने आया तो लोग हक्के-बक्के रह गए। किसी को भी यह भरोसा नहीं था की 25 जुलाई को जिन लोगों ने मुंबई में दो धमाकों में 54 लोगों को मौत के घाट उतारा है उनके पड़ोसी हैं। दरअसल, धमाकों के कुछ साल पहले ऑटो रिक्शा चालक सैयद हनीफ सऊदी अरब चला गया था। वहां कि मस्जिद में इसकी मुलाकात पाकिस्तान के आतंकियों से हुई। इन आतंकियों ने दीन के नाम पर इसे बरगला लिया। हनीफ जब मुंबई लौटा तो इसने अपने साथ अपनी पत्नी(फहमीदा) को भी दीन के नाम पर गुजरात दंगों का बदला लेने के लिए राजी कर लिया। इनके साथ इनकी 16 साल की बेटी शकीरा भी धमाकों की आरोपी थी।
विस्फोट कराने की प्रेक्टिस की
हनीफ जब सऊदी से मुंबई लौटा तो उसने पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा मुंबई बताए गए लोगों की मदद से विस्फोटक जुटाए। अपने धर में ही उसने तीसरे दोषी अशरत अंसारी के साथ मिलकर बम तैयार किए। विस्फोट करने से एक दिन पहले इस परिवार ने बाकायदा इसकी प्रेक्टिस की। इसका खुलासा उस टेक्सी ड्राइवर ने किया था जिसकी टेक्सी में इन्होंने बम फिट किए थे। इससे पहले इसकी पत्नी ने मुंबई लोकल में विस्फोट किया था। उसने यह बम अपने बैग में रखा हुआ था। धमाके से ठीक पंद्रह मिनट पहले ये एक स्टेशन पर उतर गई थी। इस विस्फोट में हुए कम नुकसान से ये परिवार खुश नहीं था। इन्होंने बड़े पैमाने पर बम विस्फोट करने का प्लान किया।
हादसे पर रो रही थी मुंबई, हनीफ पूछ रहा था कितने लोग मरे
पुलिस रिकार्ड के अनुसार 25 अगस्त को मुंबई की काली-पीली कार में बम फिट करने के बाद ये पति-पत्नी अपने घर आ गए। इन्होंने घर में आराम से खाना खाया और टीवी देखने बैठ गए। धमाकों के बाद मुंबई में अफरातफरी का माहौल हो गया। जब इनके पड़ोस में रहने वाले दूसरे मुस्लिम परिवार विस्फोट पर अफसोस जता रहे थे तो हनीफ ने कहा था कि ये लोग इसी काबिल थे। हनीफ पड़ोसियों से पूछ रहा था कि कितने लोग मारे गए और कितना नुकसान हुआ। और इसकी यही चूक से पुलिस ने इसे पकड़ लिया। मुंबई पुलिस की पकड़ में आने के बाद दोषियों ने बड़े खुलासे किए थे।
इतिहास का पहला मामला
भारत के इतिहास का यह पहला मामला था जिसमें अदालत ने किसी पति-पत्नी को फांसी की सजा सुनाई गई। इस मामले में हनीफ, उसकी पत्नी फहमीदा और अशरत अंसारी को फांसी की सजा हुई है। मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। धमाके में शामिल रही इनकी बेटी की कम उम्र के कारण उसे सजा नहीं दी गई। दोषियों ने कोर्ट में अपने बयान में कहा था कि उन्होंने गुजरात दंगों का बदला लिया है। मुंबई के बम धमाकों की योजना गुजरात मुस्लिम रिवेंज फोर्स ने बनाई थी। इस संगठन को गोधरा के सांप्रदायिक दंगों का बदला लेने के लिए बनाया गया था।