7 नुस्खे: तुरई है इन मर्जों की रामबाण दवा
तुरई की सब्जी से सभी लोग परिचित होंगे, लेकिन ये सब्जी शरीर में बड़ी गर्मी से लड़ने और हिमोग्लोबिन की मात्रा को बनाए रखने के लिए भगवान का दिया सबसे बड़ा वरदान है। इसका वानस्पतिक नाम लुफ़्फ़ा एक्युटेंगुला है। तुरई को आदिवासी कई तरह के रोगोपचार के लिए उपयोग में लाते है। मध्यभारत के आदिवासी इसे सब्जी के तौर पर बड़े चाव से खाते हैं और हर्बल जानकार इसे कई नुस्खों में इस्तेमाल भी करते हैं। चलिए आज जानते हैं ऐसे ही कुछ रोचक हर्बल नुस्खों को...
1. आधा किलो तुरई को बारीक काटकर 2 लीटर पानी में उबाल लें। इसके बाद पानी को छान लें। अब जो पानी बचा हो उसमें बैंगन को पका लें। बैंगन पक जाने के बाद इसे घी में भूनकर गुड़ के साथ खाने से बवासीर में बने दर्द व मस्से झड़ जाते हैं।
2. पीलिया होने पर तुरई का रस यदि रोगी की नाक में दो से तीन बूंद डाला जाए तो नाक से पीले रंग का द्रव बाहर निकलता है। आदिवासी मानते है कि इससे बहुत जल्दी पीलिया रोग खत्म हो जाता है।
3. तुरई के छोटे छोटे टुकड़े काटकर छांव में सुखा लें। सूखे टुकड़ों को नारियल के तेल में मिलाकर 5 दिन तक रखे।बाद में इसे गर्म कर लें। तेल छानकर रोजाना बालों पर लगाए और मालिश भी करें तो बाल काले हो जाते हैं।
4. तुरई में इंसुलिन की तरह पेप्टाईड्स पाए जाते हैं। इसलिए इसे डायबिटीज नियंत्रण के लिए एक अच्छे उपाय के तौर पर देखा जाता है।
5. तुरई की बेल को दूध या पानी में घिसकर 5 दिनों तक सुबह शाम पिया जाए तो पथरी में आराम मिलता है।
6. तुरई के पत्तों और बीजों को पानी में पीसकर त्वचा पर लगाने से दाद-खाज और खुजली जैसे रोगों में आराम मिलता है, वैसे ये कुष्ठ रोगों में भी लाभकारी होता है।
7. अपचन और पेट की समस्याओं के लिए तुरई की सब्जी बेहद कारगर इलाज है। डांगी आदिवासियों के अनुसार अधपकी सब्जी पेट दर्द दूर कर देती है।
8. आदिवासी जानकारी के अनुसार लगातार तुरई का सेवन करना सेहत के लिए बेहद अच्छा होता है। तुरई को खून साफ करने के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है। साथ ही यह लिवर के लिए भी गुणकारी है।