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'वो इस्लाम बचाएं, हम भारत माता को बचाएंगे'


योग, मुस्लिम छात्राएं

केंद्र सरकार ने भले कह दिया हो कि योग, सूर्य नमस्कार और वन्दे मातरम को स्कूलों में अनिवार्य नहीं किया जाएगा लेकिन ये तीनों कुछ मुस्लिम संगठनों के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं.
योग, सूर्य नमस्कार और वन्दे मातरम पर बहस एक बार फिर तब शुरू हुई जब पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यवाही महासचिव मौलाना वली रहमानी ने कहा कि इन तीनों से देश में इस्लाम को ख़तरा है.
उन्होंने 17 अगस्त को भोपाल में 'दीन और दस्तूर बचाओ तहरीक' की शुरुआत की.
अब वह देश के अन्य शहरों में भी सभाएं करके मुस्लिम इंजीनियरों, डॉक्टरों तथा अन्य प्रोफेशनल्स और बुद्धिजीवियों को जागरूक बना कर इस तहरीक से जोड़ने का काम करेंगे.

'ब्राह्मण धर्म थोपने की कोशिश'

मौलाना रहमानी ने बीबीसी से एक बातचीत में कहा कि जो लोग इसे मज़हब के बजाय धर्म-निरपेक्षता और संविधान को ख़तरा कहते हैं, ये उनकी समझ का फेर है.

नरेंद्र मोदी, योग

रहमानी कहते हैं कि ये ब्राह्मण धर्म को इस्लाम पर थोपने की कोशिश है.
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फारुकी कहते हैं, "ये सिर्फ इस्लाम के लिए ही नहीं, बल्कि दूसरे अल्पसंख्यकों जैसे सिख और ईसाई मज़हब के लिए भी ख़तरा हैं."
जून, 2015 में लखनऊ में हुई पर्सनल लॉ बोर्ड की 51 सदस्यीय कार्यकारिणी समिति की बैठक में योग, सूर्य नमस्कार और वन्दे मातरम को स्कूलों में अनिवार्य बनाए जाने के ख़िलाफ़ देशव्यापी आंदोलन छेड़ने का फैसला किया गया था.
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को देश में शरीयत में दिए मज़हबी क़ानून को लागू करने और मुस्लिम विचारक के रूप में अग्रणी संस्था माना जाता है.
फ़ारूक़ी की मानें तो मौलाना रहमानी जो कर रहे हैं, बोर्ड की सहमति से कर रहे हैं.
लेकिन बोर्ड के कुछ सदस्य की राय इससे थोड़ी अलग है.

'कमज़ोर नहीं इस्लाम'


 योग

लखनऊ में ऐशबाग़ ईदगाह के इमाम और मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगीमहली कहते हैं, "इस्लाम कोई इतना कमज़ोर मज़हब नहीं है कि उसे किसी भी फैसले या कदम से ख़तरा हो."
उनके विचार से अगर योग से "मज़हबी रुसूमात हटा दिए जाएं और आप उसे व्यायाम की नज़र से देखें तो वेल एंड गुड नहीं तो फिर सेक्युलर इंडिया में उसकी जगह नहीं है."
बोर्ड के कानूनी सलाहकार जफ़रयाब जिलानी इसे संविधान के आर्टिकल 28 और धर्म निरपेक्षता के लिए ख़तरा कहते हैं.
कमाल फ़ारूक़ी हरियाणा सरकार द्वारा स्कूलों में भगवद गीता को अनिवार्य बनाए जाने पर कहते हैं कि देश की राजनीति का जिस तेज़ी से भगवाकरण हो रहा है वह अल्पसंख्यकों के लिए अहितकर साबित होगा और आर्टिकल 25 का भी उल्लंघन होगा.
आर्टिकल 28 के अनुसार, किसी भी सरकारी या सरकारी अनुदान प्राप्त स्कूल में व्यक्ति का धार्मिक गतिविधियों और शिक्षा में भाग लेना अनिवार्य नहीं होगा. जबकि आर्टिकल 25 में अंतःकरण और व्यवसाय की स्वतन्त्रता के साथ धर्म के प्रचार और अभ्यास की भी आज़ादी है.

'ज़बरदस्ती नहीं'


योग

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने इस विषय पर कुछ भी कहने से मना कर दिया.
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी का कहना है, "योग, सूर्य नमस्कार करने के लिए किसी से कोई ज़बरदस्ती नहीं है. जिसको करना है करे, नहीं करना है ना करे."
उन्होंने कहा, "लेकिन अगर भारत माता की वन्दना करने से इस्लाम ख़तरे में पड़ता है तो मौलाना रहमानी इस्लाम को बचाएं, हम तो भारत माता को बचाएंगे.

 23 अगस्त 2015 को बीबीसी में प्रकाशित 
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