प्रसव
प्रसव के तीन भाग होते हैं
पहला भाग
- दरद के साथ सिकुड़न, बच्चा नीचे के तरफ सरक जाता है
- इसकी अवधि पहले प्रसव में दस से बीस घंटे रहती है, बाद के प्रसवों में छ से दस घंटे
- पहले प्रसव के समय जल्दीबाजी नहीं करनी चाहिए
- बच्चे को खुद नीचे खसकने दीजिए| की सी तरह जोर जबरदस्ती न करें| नली बच्चे को नीचे सरकने के बाद ही माँ को जोर देना चाहिए|
- माँ को चाहिए की प्रसव के पहले पेशाब पखाना कर लें| उसे बार-बार पेशाब करना चाहिए|
- पानी और तरल चीजें पीने के लिए दीजिए
- अगर प्रसव की पीड़ा लम्बे समय तक खींचे तो थोड़ा जलपान कर लेना चाहिए
- अगर उल्टियां आवे तो पानी, चाय, शरबत का दो चार घूंट ले लें
- थोड़ी-थोड़ी देर पर चल फिर लें
- प्रसव कराने वाली महिला या दाई को चाहिए की वह पेट, जनन वाली जगह, पिछला हिस्सा और टांगों को साबुन और गुनगुने पानी से धोएं
- बिस्तर साफ रखें
- ऐसे कमरे में लिटाएं जहां रौशनी हो
- नया ब्लेड अपने पास रखें, जिससे नाल काटा जा सके
- उबला पानी तैयार रखें
- अगर कैंची की जरूरत हो तो उसे भी उबलते पानी में रख दें
- पेट पर की सी तरह की मालिश न करें, की सी तरह की जोर जबरदस्ती भी न करें
- सिकुड़न के समय धीमी पर नियमित साँस लें
- माँ को ढाढस दें की प्रसव का दरद जरूरी है, उससे वह घबराएं नहीं
दूसरा भाग
- पानी की थैली फूटना शुरू हो जाता है
- सिकुड़न के समय अन्दर ही अन्दर जोड़ लगा कर बच्चे को बाहर की तरफ ढकेलती है
- ढकेलने की जरूरी हा की फेफड़ों में पूरी हवा भरी रहे ताकी माँ को ढकेलने में आसानी हो
- जब बच्चा धीरे-धीरे बाहर निकल रहा हो तो तकी या का सहारा लेकर बैठ जाना चाहिए|
- जब नली के पास बच्चा का सिर दिखने लगे तो दाई को चाहिए को वह प्रसव कराने की सभी चीजें तैयार कर लें
- एस समय माँ को अन्दर से जोर लगाने की जरूरत नहीं है
- दाई को में के योनि के आस-पास की उंगली या हाथ लगाने की जरूरत नहीं है| इससे छूत लग सकता है|
- हाथ लगाने के लिए हाथों में रबड़ के दस्ताने पहन लेने चाहिए|
प्रसव का तीसरा भाग
- इस भाग में बच्चे की पैदाइस शुरू हो जाती है
- आवला (प्लासेन्टा, बिजान्दसन बाहर निकलने लगता है)
- आवला पांच मिनट से एक घंटे के बीच समय लगता है| यह अपने आप बाहर निकल आता है
- अगर बहुत खून का बहाव हो तो डाक्टर की मदद लें
- बच्चे के बाहर निकलने के तुरत बाद
- बच्चे का सिर नीचा करें ताकी उसके मुंह में लगी लसलसी चीज साफ की या जा सके
- सिर तबतक नीचा रखें जबतक बच्चा सांस लेना नहीं शुरू कर देता है
- जबतक नाभि – नल कट न जाए, बंध न जाए तबतक बच्चे को माँ के बगल में नीचा करके लिटाएं ताकी उसे माँ का खून मिलता रहे|
- अगर बच्चा तुरत सांस नहीं लेता है तो बच्चे के पीठ को साफ कपड़े से मलें
- यदि फिर भी सांस नहीं लेता है तो समझना चाहिए की उसके नाक-मुंह में अभी लसलसी चीज फंसी है|
- साफ कपड़े को अंगुली में लपेट कर मुंह नाक साफ करें
- तुरत पैदा बच्चे को साफ कपड़े में लपेट दें, नहीं तो ठंड लग सकती है|
नाभि-नाल को कैसे काटें
- बच्चा जब जनम लेता है तो उसके नाभि-नाल में धडकन होती है
- यह नाल मोटी और नीले रंग की होती है
- थोड़ा इन्तजार करना पड़ता है
- थोड़ी देर बाद नाभि-नाल सफेद रंग की हो जाती है
- वह धड़कना भी बन्द कर देती है
- अब इसे दो जगहों पर साफ-सुथरे कपड़े की पट्टी से बांध देना चाहिए| जड़ों को कस कर बांधना चाहिए|
- इसके बाद इसे गाठों के बीच से काटिए
- काटने के लिए बिलकुल नए ब्लेड का इस्तेमाल करें
- ब्लेड के उपर कागज हटाने के पहले अपने हाथों को गरम पानी और साबुन से धो लें|
- अगर ब्लेड न हो तो ऐसी कैंची का इस्तेमाल करें जिसे उबले पानी में देर तक खौलाया गया है|
- नाभि से एक-दो अंगुल हट कर नाल-नाभि को काटें
- अगर आपने यह सावधानी नहीं बरती तो बच्चे की टेटनस हो जा सकता, वह में जा सकता है|
- ताजी कटी नाल-नाभि को सूखा रखें| उसे खुला रखें ताकी उसे हवा लग सके और जल्दी सूख जाए|
- ध्यान रखें की उसपर मक्खी न लगे
- धूल-मक्खी से बचाने के लिए कपड़े में लिपटा दवाई की दूकान से खरीदी रुई रख दें
- नए पैदा बच्चे पर मोम जैसी चीज लगी होती है
- यह तह बच्चे को छूत से बचाती है, इसे हटाना नहीं चाहिए, हल्के साफ कपड़े हल्के हाथों से पोछना ताकी खून या कोई अन्य तरह की चीज पूंछ जाए|
नाल-नाभि काटने तथा बच्चे को पोछने का तुरत बच्चे को माँ का दूध पीने दें| इसी समय उसे स्तन से निकला गाढ़ा पीला खीस (कोलस्ट्रम) पीने को मिलेगा| यह खीस उसे बहुत सारी बीमारियों से बचाएगा|
आंवला या नाड़ (प्लासेन्टा) निकालना
- आंवला बच्चे के जनम के बाद करीब पांच मिनट से एक घंटे की बीच बाहर आ जाता है|
- लेकी न कभी-कभी काफी समय भी लग सकता है
- निकलने के पहले गर्भाशय कड़ा हो जाता है
- पेट का निचला भाग उठ जाता है
- थोड़ा खून भी निकल सकता है
- निकल आने के बाद नाड़ को अच्छी तरह देखें
- देखें की कहीं टुटा हुआ तो नहीं है
- कुछ भाग अन्दर रह जाने पर खून का बहाव होगा|
- ऐसी हालत में डाक्टरी मदद लेनी पड़ेगी
- नाल को कभी भी खींचे नहीं
- खून के अधिक बहने पर चिंता होता है
- तुरत डाक्टरी सहायता लें|
कठिन प्रसव में
- सिकुड़ना होने में बाद और पानी थैली फटने के बाद भी अगर लम्बे समय तक दरद होता है तो समस्या गम्भीर हो जाती है|
- अगर बच्चा पैदा करने वाली महिला बहुत उमर की है, या
- पहली बार गर्भवती हुई है तो परेशानी हो सकती है
- हो सकता है पेट में बच्चा सही स्थिति में नहीं है
- वह चित या पट हो सकता है
- बच्चे को मुंह नाभि की तरफ हो सकता है
- बच्चे का सिर जरूरत से ज्यादा बड़ा हो सकता है
- जिन महिलाओं के नितम्ब छोटे होते हैं उन्हें भी बच्चा जनने में तकलीफ होती है|
- अगर माँ उल्टियां करती है उपर से पानी नहीं पीती तब भी गम्भीर हालत हो सकती है|
- पेट में बच्चा उल्टा भी हो सकता है सर ऊपर और पैर नीचे
- ऐसी सभी समस्याओं में अस्पताल की देख-रेख में प्रसव कराएं|