मासिक धरम या माहवारी होता है
माहवारी
- ज्यादातर लड़कीयों को ग्यारह – सोलह साल के बीच मासिक धर्म शुरू हो जाता है
- मासिक धर्म शुरू होने का मतलब है की वह लड़की अब माँ बन सकती है
- मासिक धर्म सामान्य तौर पर करीब अठाईस दिनों के बाद आता है
- यह अवधि बैएस दिनों या पैंतीस दिनों की भी हो सकती है|
- मासिक धरम में खून का बहाव तीन से छ दिनों तक रहता है| करीब आधा कप खून का बहाव होता है|
मासिक धरम कैसे होता है
- मासिक धरम एक चक्र है
- गर्भाशय के अन्दर गर्भधारण के लिए अंडा आकर गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है|
- अगर यह गर्भधारण करने लायक होता है तो विकसित होकर नौ महीने में बच्चा बन जाता है
- और अगर गर्भ धरण नहीं करता है तो दीवार पर जमें खून और बिना गर्भ धरण की ए अंडा सहित बेकार होकर योनी के रास्ते बाहर आ जाता है|
- यह अंडा तीन – चार दिनों बाद खतम हो जाता है
- यह एक सामान्य तरीका है जो लड़की यों और महिलाओं में हर महीने होता है|
- मासिक धर्म के दौरान अलग-अलग तरह के हार्मोन्स अलग-अलग तरह के बदलाव लाते हैं
- यह बदलाव दिमाग द्वारा गर्भाशय और अंडाशय में होते हैं|
अंडाशय पर असर डालने वाले हार्मोन्स
- हार्मोन्स के कारण ही अंडाशय में अंड या विंव विकसित होते हैं
- बहुत सारे अंडे बनते हैं लेकी न एक ही गर्भाशय तक पहुंचता है| इसे अन्दोगर्ग यानि बच्चा बनाने लायक होता है|
- यह क्रिया मासिक धरम शुरू होने के चौदह दिनों पहले होता है
- जब अंडा विकसित होता है तो संभोग के दौरान लड़की या महिला गर्भ धारण कर सकती है|
- अंडा के विकसित होने के समय कुछ लडकी यां या महिलाओं में पेट के नीचे दर्द होता है| हालांकी यह दर्द बहुत देर तक नहीं रहता है|
गर्भाशय में हार्मोन्स का असर
- हार्मोन्स के कारण दीवार पर जमने वाली परत मोटी हो जाती है
- खून की नालियां भी मोटी और दोहरी हो जाती हैं
- दीवारें मोटी होने से गर्भाशय इस लायक हो जाता है की बच्चा ठीक से पले, बढे|
- अगर गर्भ नहीं होता है तो खून की नालियां और शिराएँ अपनी जगह से हटने लगती है और योनी से खून निकलता है जिसे महावारी या मासिक धरम कहते हैं|
मासिक धरम के समय अपनी देखभाल
- सफाई रखना, साफ पैड या कपड़े का इस्तेमाल
- खूब सोना
- सेहतमंद भोजन
- रोज नहाना
- घर का काम करते रहना
- मासिक धरम कोई गन्दी प्रक्रिया नहीं है, पूरी सफाई की जरूरत होती है|
मासिक धरम के समय बदलाव
भावनात्मक शारीरिक
- चिडचिडापन - पेट के निचले भाग में असुविधा होना
- जल्दी उत्तेजना में आना - सूजन या दर्द
- ढीला पड़ जाना - स्तनों पर सूजन या दरद
- दुखी रहना - ऐसा लगना की वजन बढ़ गया है
- कमजोरी - चक्कर
- थकावट - सिर का दरद
- भोजन अच्छा न लगना - पीठ और कमर का दरद
- उल्टी जैसा महसूस
मेनोपॉज (मासिक धरम बन्द होने के बाद)
- मेनोपॉज जीवन का वह समय है जब स्त्रियों में मासिक धरम बन्द हो जाता है
- मेनोपॉज के बाद स्त्री गर्भवती नहीं हो सकती है
- सामान्य रूप से मेनोपॉज चालीस-पचास की आयु के बीच होता है
- पूरी तरह बन्द होने के पहले मासिक धरम कभी जल्दी और कभी देर से आता है
- वह नियमित नही रहता है
- मेनोपॉज के दौरान या बाद में यौन संबंध में की सी तरह के रोक की जरूरत नहीं है
- हाँ गर्भ ठहर सकता है, अगर बच्चे की जरूरत नहीं है तो गर्भ निरोधक अपनाएं
- मासिक धरम बन्द होने के बाद एक साल तक गर्भ निरोधक अपनाने की जरूरत पड्ती है| उसके बाद नहीं
- मेनोपॉज के समय स्त्रियों में वेचैने होती है
- चिंता लगने लगती है
- उदास रहती है
- गर्मी लगती है
- दुखी रहती है
- बदन में दरद रहता है- कभी यहाँ, कभी वहां
- मेनोपॉज खतम होने के बाद सब कुछ सामान्य हो जाता है
- अगर इन दिनों योनी से ज्यादा खून भे, काफी दिनों तक बढ़ता रहे और साथ में पीड़ा भी हो तो डाक्टर की सलाह लें
- मेनोपॉज के बाद हड्डियां कमजोर हो जाती है, जल्दी ही टूट सकती है| सावधानी बरतें|