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संतान और शक्ति पाने के आयुर्वेदिक नुस्खे


निसंतान होना हमारे समाज में आज भी अभिशाप माना जाता रहा है। नपुंसकता के कारण निःसंतान होना भी एक सामान्य कारण होता है। कुछ एलोपैथिक दवाएं भी नपुंसकता उत्पन्न कर संतान उत्पन्न करने में व्याधा उत्पन्न कर सकती हैं। 

इनमें उच्चरक्तचाप की औषधियां एवं मधुमेह जैसे रोग शामिल हैं। कई बार नपुंसकता का कारण शारीरिक न होकर मानसिक होता है, ऐसे में केवल चिकित्सकीय काऊंसीलिंग ही काफी होती है। ऐसे ही कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे स्त्री एवं पुरुषों में नपुंसकताजन्य निःसंतानता के साथ ही शुक्राणुजन्य समस्याओं को दूर करने में कारगर सिद्ध होती हैं, जो निम्न हैं :
- श्वेत कंटकारी के पंचांग को सुखाकर पाउडर बना लें तथा स्त्री में मासिक धर्म के ५ वें दिन से लगातार तीन दिन प्रातः एक बार दूध से दें एवं पुरुष को : अश्वगंधा 10 ग्राम, शतावरी 10 ग्राम, विधारा 10 ग्राम, तालमखाना 5 ग्राम, तालमिश्री 5 ग्राम सब मिलकर 2 चम्मच दूध के साथ प्रातः सायं लेने पर निश्चित लाभ होता है।
- स्त्री में "फलघृत" नामक आयुर्वेदिक औषधि भी इनफरटीलीटी को दूर करता है।
- पलाश के पेड़ की एक लम्बी जड़ में लगभग 250 एम.एल. की एक शीशी लगाकर, इसे जमीन में दबा दें, एक सप्ताह बाद इसे निकाल लें, अब इसमें इकठ्ठा होने वाला निर्यास द्रव प्रातः पुरुष को एक चम्मच शहद से दें। यह शुक्रानुजनित कमजोरी (ओलिगोस्पर्मीया) को दूर करने में मददगार होता है।
- अश्वगंधा 1.5 ग्राम. शतावरी 1.5 ग्राम, सफ़ेद मुसली 1.5 ग्राम एवं कौंच बीज चूर्ण को 75 मिलीग्राम की मात्रा में गाय के दूध से सेवन करने से भी नपुंसकता दूर होकर कामशक्ति बढ़ जाती है।
- शिलाजीत का 250 मिलीग्राम से 500 मिलीग्राम की मात्रा में दूध के साथ नियमित सेवन भी मधुमेह आदि के कारण आयी नपुंसकता को दूर करता है।
अतः नपुंसकता को दूर करने के लिए उचित चिकित्सकीय परामर्श एवं समय पर कुछ आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग कर इस बीमारी से निजात पाया जा सकता है।
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