स्वाइन फ्लू क्या है
स्वाइन फ्लू के मामले देश में तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में यह स्थिति आ सकती है, जिसमें डॉक्टर स्वाइन फ्लू के हर संदिग्ध मरीज को एंटी-वायरल दवाएं दे सकते हैं। मगर, हर मरीज को एंटीवायरल दवाओं की जरूरत नहीं होती, ऐसे में डॉक्टर के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि किस मरीज को एंटीवायरल दवा की जरूरत है और किस मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ.ए. मार्तण्ड पिल्लै और आईएमए के महासचिव पद्मश्री, डॉ. बीसी रॉय व डीएसटी नेशनल साइंस कम्युनिकेशन पुरस्कारों से सम्मानित हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल का कहना है कि अगर एंटीवायरल दवा की जरूरत है, तो इसे मरीज को जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी दिया जाना चाहिए। अगर मरीज को लक्षण सामने आने के 48 घंटे के भीतर अगर एंटी-वायरल दवाएं न दी जाएं तो इसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।
इस संबंध में आईएमए द्वारा कुछ तथ्य भी जारी किए गए। इससे डॉक्टरों को ऐसे मरीजों की पहचान करने में सहायता मिलेगी, जिन्हें एंटी-वायरल दवा लेने या अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है।
ये हैं तथ्य :
1. अमेरिका में कुल मामलों में से 0.3 फीसदी को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ती है।
2. फ्लू की महामारी की स्थिति में प्रति 100,000 आबादी पर 0.12 मृत्युदर है।
3. अमेरिका में में एच1 एन1 इन्फ्लुएंजा की महामारी में होने वाली कुल मौतों की संख्या मौसमी इन्फ्लुएंजा के दौरान हुई थीं।
एंटी-वायरल थेरेपी की जल्द शुरुआत स्वाइन फ्लू के ऐसे संदिग्ध बच्चों, किशोरों अथवा वयस्क मरीजों में करने की सलाह दी जाती है, जिनमें निम्नलिखित लक्षण हों :
* अस्पताल में भर्ती करने की स्थिति वाला फ्लू हो
* बढ़ता हुआ, गंभीर अथवा जटिल फ्लू
* ऐसे मरीज जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो (किसी बीमारी, हेमैटोपेटिक अथवा सॉलिड ऑर्गन टृांसप्लांट का मरीज हो)।
जिनमें जटिलता का खतरा अधिक होता है :
-पांच साल से कम उम्र के बच्चे, खासतौर से दो साल से कम उम्र वाले, 65 साल या इससे अधिक उम्र के बुजुर्ग, गर्भवती महिला या जच्चा को मातृत्व के बाद दो हफ्तों तक।
-ऐसे लोग जो पुरानी मेडिकल समस्याओं से पीड़ित हों जैसे कि फेफड़े की बीमारी जिसमें अस्थमा भी शामिल है, खासतौर से जिसने पिछले एक साल में स्टेरॉइड लिया हो; किडनी की पुरानी बीमारी हो, लिवर की बीमारी हो, हाइपरटेंशन हो, डायबीटीज हो, सिकल सेल डिजीज हो, अन्य पुरानी बीमारियां एवं गंभीर मोटापा।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ.ए. मार्तण्ड पिल्लै और आईएमए के महासचिव पद्मश्री, डॉ. बीसी रॉय व डीएसटी नेशनल साइंस कम्युनिकेशन पुरस्कारों से सम्मानित हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल का कहना है कि अगर एंटीवायरल दवा की जरूरत है, तो इसे मरीज को जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी दिया जाना चाहिए। अगर मरीज को लक्षण सामने आने के 48 घंटे के भीतर अगर एंटी-वायरल दवाएं न दी जाएं तो इसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है।
इस संबंध में आईएमए द्वारा कुछ तथ्य भी जारी किए गए। इससे डॉक्टरों को ऐसे मरीजों की पहचान करने में सहायता मिलेगी, जिन्हें एंटी-वायरल दवा लेने या अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत है।
ये हैं तथ्य :
1. अमेरिका में कुल मामलों में से 0.3 फीसदी को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ती है।
2. फ्लू की महामारी की स्थिति में प्रति 100,000 आबादी पर 0.12 मृत्युदर है।
3. अमेरिका में में एच1 एन1 इन्फ्लुएंजा की महामारी में होने वाली कुल मौतों की संख्या मौसमी इन्फ्लुएंजा के दौरान हुई थीं।
एंटी-वायरल थेरेपी की जल्द शुरुआत स्वाइन फ्लू के ऐसे संदिग्ध बच्चों, किशोरों अथवा वयस्क मरीजों में करने की सलाह दी जाती है, जिनमें निम्नलिखित लक्षण हों :
* अस्पताल में भर्ती करने की स्थिति वाला फ्लू हो
* बढ़ता हुआ, गंभीर अथवा जटिल फ्लू
* ऐसे मरीज जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो (किसी बीमारी, हेमैटोपेटिक अथवा सॉलिड ऑर्गन टृांसप्लांट का मरीज हो)।
जिनमें जटिलता का खतरा अधिक होता है :
-पांच साल से कम उम्र के बच्चे, खासतौर से दो साल से कम उम्र वाले, 65 साल या इससे अधिक उम्र के बुजुर्ग, गर्भवती महिला या जच्चा को मातृत्व के बाद दो हफ्तों तक।
-ऐसे लोग जो पुरानी मेडिकल समस्याओं से पीड़ित हों जैसे कि फेफड़े की बीमारी जिसमें अस्थमा भी शामिल है, खासतौर से जिसने पिछले एक साल में स्टेरॉइड लिया हो; किडनी की पुरानी बीमारी हो, लिवर की बीमारी हो, हाइपरटेंशन हो, डायबीटीज हो, सिकल सेल डिजीज हो, अन्य पुरानी बीमारियां एवं गंभीर मोटापा।