परिवार में भी मिल सकता है सच्चा दोस्त
आजकल सच्चा दोस्त मिलना बहुत मुश्किल हो गया है और मित्रता भी साधन बन गई है। ये एक ऐसा साधन है, जिससे व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करवाया जा सकता है। जिस उम्र में सबसे ज्यादा मित्र बनते हैं, उस उम्र में पढ़ाई-लिखाई का दबाव काफी अधिक रहता है। इस दबाव के चलते मित्रता लेन-देन का जरिया बन जाती है। इस कारण सच्चे मित्र मिल पाना मुश्किल हो जाता है। यदि हम सच्चे मित्र की तलाश में हैं और बाहर की दुनिया में दोस्त नहीं बन पा रहे हैं या पुराने मित्र हमें भूल चुके हैं या सभी मित्र अपने-अपने जीवन में व्यस्त हो चुके हैं तो घर में भी अपने जीवन साथी को या किसी अन्य रिश्तेदार को मित्र बनाया जा सकता है।
अधिकतर परिवारों में रिश्तेदारी तो होती है, लेकिन दोस्ती का अभाव होता है। लोग परिवार में रिश्तों को महत्व देते हैं, मित्रता को नहीं। इसीलिए पति-पत्नी का रिश्ता भी मित्रता नहीं बन पाता है। दोनों एक-दूसरे के लिए जो भी कर रहे होते हैं, उसमें परिवार के संबंध महत्वपूर्ण रहते हैं, दोस्तों जैसा भाव नहीं रहता है। यही हालत पिता-पुत्र, मां-बेटी के रिश्ते में भी रहती है। यदि रिश्तों में मित्रता का भाव नहीं होगा तो रिश्ते बोझ बन सकते हैं। जबकि दोस्ती में हमेशा ताजगी बनी रहती है। परिवार का आधार प्रेम होना चाहिए और परिवारों में प्रेम की शुरुआत मित्रता से की जाएगी तो सभी रिश्तों में प्रेम सदैव बना रहेगा। संबंधों में प्रेम आएगा तो सुख और शांति भी अपने आप आ जाएगी।