परिवार में भी मिल सकता है सच्चा दोस्त
अधिकतर परिवारों में रिश्तेदारी तो होती है, लेकिन दोस्ती का अभाव होता है। लोग परिवार में रिश्तों को महत्व देते हैं, मित्रता को नहीं। इसीलिए पति-पत्नी का रिश्ता भी मित्रता नहीं बन पाता है। दोनों एक-दूसरे के लिए जो भी कर रहे होते हैं, उसमें परिवार के संबंध महत्वपूर्ण रहते हैं, दोस्तों जैसा भाव नहीं रहता है। यही हालत पिता-पुत्र, मां-बेटी के रिश्ते में भी रहती है। यदि रिश्तों में मित्रता का भाव नहीं होगा तो रिश्ते बोझ बन सकते हैं। जबकि दोस्ती में हमेशा ताजगी बनी रहती है। परिवार का आधार प्रेम होना चाहिए और परिवारों में प्रेम की शुरुआत मित्रता से की जाएगी तो सभी रिश्तों में प्रेम सदैव बना रहेगा। संबंधों में प्रेम आएगा तो सुख और शांति भी अपने आप आ जाएगी।