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नाभि का हटना


आमतौर पर पुरुषों की नाभि बाईं ओर तथा स्त्रियों की नाभि दाईं ओर टला करती है।


यदि नाभि का स्पंदन ऊपर की तरफ चल रहा है याने छाती की तरफ तो यकृत प्लीहा आमाशय अग्नाशय की क्रिया हीनता होने लगती है ! इससे फेफड़ों-ह्रदय पर गलत प्रभाव होता है। मधुमेह, अस्थमा,ब्रोंकाइटिस -थायराइड मोटापा -वायु विकार घबराहट जैसी बीमारियाँ होने लगती हैं। 
यही नाभि मध्यमा स्तर से खिसककर नीचे अधो अंगों की तरफ चली जाए तो मलाशय-मूत्राशय -गर्भाशय आदि अंगों की क्रिया विकृत हो अतिसार-प्रमेह प्रदर -दुबलापन जैसे कई कष्ट साध्य रोग हो जाते है !फैलोपियन ट्यूब नहीं खुलती और इस कारण स्त्रियाँ गर्भधारण नहीं कर सकतीं। स्त्रियों के उपचार में नाभि को मध्यमा स्तर पर लाया जाये ! इससे कई वंध्या स्त्रियाँ भी गर्भधारण योग्य हो जाती है ।
बाईं ओर खिसकने से सर्दी-जुकाम, खाँसी,कफजनित रोग जल्दी-जल्दी होते हैं।
- दाहिनी तरफ हटने पर अग्नाशय -यकृत -प्लीहा क्रिया हीनता -पैत्तिक विकार श्लेष्म कला प्रदाह -क्षोभ -जलन छाले एसिडिटी [अम्लपित्त ]अपच अफारा हो सकती है।
प्रयोग .......
1*.दोनों हथेलियों को आपस में मिलाएं। हथेली के बीच की रेखा मिलने के बाद
जो उंगली छोटी हो यानी कि बाएं हाथ की उंगली छोटी है तो बायीं हाथ को
कोहनी से ऊपर दाएं हाथ से पकड़ लें। इसके बाद बाएं हाथ की मुट्ठि को कसकर
बंद कर हाथ को झटके से कंधे की ओर लाएं। ऐसा ८-१० बार करें। इससे नाभि
सेट हो जाएगी।ऐसा ही दाई और की नाभि टलने में करें !
२*.नाभि सेट करके पाँव के अंगूठों में चांदी की कड़ी भी पहिनाई जाती है !कमर पेट हमेशा कस कर बांधे जाने चाहिए !
३*.दो चम्मच पिसी सौंफ, ग़ुड में मिलाकर एक सप्ताह तक रोज खाने से नाभि का
अपनी जगह से खिसकना रुक जाता है
४.*सीधा (चित्त) सुलाकर उसकी नाभि के चारों ओर सूखे आँवले का आटा
बनाकर उसमें अदरक का रस मिलाकर बाँध दें एवं उसे दो घण्टे चित्त ही
सुलाकर रखें। दिन में दो बार यह प्रयोग करने से नाभि अपने स्थान पर आ
जाती है हैं।
५*.नाभि खिसक जाने पर व्यक्ति को हल्का सुपाच्य पथ्य देना चाहिए । दिन में एक-दो बार अदरक का 2 से 5 मिलिलीटर रस बराबर शहद मिलाकर पिलाने से लाभ होता है। ११ काली मिर्च २०० ml पानी में २ TSF शक्कर डाल धीमी आंच उबाले ,१०० ml शेष रहने पर १ TSF घी डालकर पीना लाभ करता है !
६.* कमर के बल लेट जाएं और पादांगुष्ठनासास्पर्शासन कर लें। इसके लिए लेटकर बाएं पैर को घुटने से मोड़कर हाथों से पैर को पकड़ लें व पैर को खींचकर मुंह तक लाएं। सिर उठा लें व पैर का अंगूठा नाक से लगाने का प्रयास करें। जैसे छोटा बच्चा अपना पैर का अंगूठा मुंह में डालता है। कुछ देर इस आसन में रुकें फिर दूसरे पैर से भी यही करें। फिर दोनों पैरों से एक साथ यही अभ्यास कर लें। ३-३ बार करने के बाद नाभि सेट हो जाएगी। 
7 * कमर के बल लेटकर पेट की मालिश भी की जा सकती है। इसके लिए सरसों का तेल लेकर पेट पर लगाएं और नाभि स्पंदन जो ऊपर या साइड में सरक गया है, उस पर अंगूठे से दबाव डालते हुए नाभि केंद में लाने का प्रयास करें।
8* दो चम्मच पिसी सौंफ, ग़ुड में मिलाकर एक सप्ताह तक रोज खाने से नाभि का अपनी जगह से खिसकना रुक जाता है।
९.* नाभि खिसक जाने पर व्यक्ति को मूँगदाल की खिचड़ी के सिवाय कुछ न दें। दिन में एक-दो बार अदरक का 2 से 5 मिलिलीटर रस पिलाने से लाभ होता है।
10 * दो चम्मच पिसी सौंफ, ग़ुड में मिलाकर एक सप्ताह तक रोज खाने से नाभि का अपनी जगह से खिसकना रुक जाता है।

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