राजस्थान में भी है खजुराहो, रात में गए तो बन जाओगे पत्थर
जयपुर/बाड़मेर। मध्यप्रदेश के खजुराहो में स्थित मंदिर देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में विख्यात हैं। क्या आपको पता है कि ऐसी स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना लिए राजस्थान में भी कुछ मंदिर है। इनकी दीवारों पर संभोग की मुद्रा में अनेक मूर्तियां देखी जा सकती हैं। कहते हैं एक ऋषि ने श्राप दिया था, जिसके कारण यहां सूरज ढलने के बाद जो भी रुकता है वह पत्थर बन जाता है। यही वजह है कि यह स्थान वीरान है और इसे खजुराहो जैसी प्रसिद्धि नहीं मिली।\
बाड़मेर मुनाबाव रेलमार्ग से पांच किमी दूर हथमा गांव के पास पहाड़ी के नीचे स्थित एक स्थान है किराड़ू। यह लोगों के रोंगटे खड़ा कर देने के लिए काफी है। इस स्थान पर कभी-कभार दिन में प्रेमी जोड़े और यूथ घूमते हुए दिखाई दे जाते हैं, लेकिन रात होने के साथ ही यह क्षेत्र वीरान हो जाता है।
कभी बाड़मेर का यह इलाका शिव, विष्णु और ब्रह्मा के मंदिरों के लिए समृद्ध माना जाता था। यहां दो दर्जन से ज्यादा मंदिर थे, लेकिन आज यह बदहाल अवस्था में। यहां केवल पांच मंदिर और उनके अवशेष बचे हैं। इनमें एक भगवान विष्णु और अन्य चार भगवान शिव के मंदिर हैं।
कभी यह परमार राजाओं की राजधानी थी
एक शिलालेख में मिले साक्ष्य के मुताबिक कभी यह क्षेत्र बहुत विकसित और समृद्ध था। इसका नाम किरात कूप था। यह क्षेत्र परमार राजाओं की राजधानी थी। 11वीं सदी में इन मंदिरों का निर्माण किया गया था।
एक शिलालेख में मिले साक्ष्य के मुताबिक कभी यह क्षेत्र बहुत विकसित और समृद्ध था। इसका नाम किरात कूप था। यह क्षेत्र परमार राजाओं की राजधानी थी। 11वीं सदी में इन मंदिरों का निर्माण किया गया था।
आखिर क्यों बन जाते हैं लोग पत्थर
इतिहास में जाएं तो इस स्थान के वीरानगी की वजह मोहम्मद गौरी के क्रमण को बताया जाता है। वहीं दूसरी ओर एक और भी बात सामने आती है। कहते हैं मुगलों का आक्रमण 14वीं शताब्दी में हुआ था लेकिन यह क्षेत्र 12वीं शताब्दी में ही वीरान हो गया था। इसके वीरान होने के पीछे एक कहानी बताई जाती है।
ऋषि के श्राप ने बनाया वीरान
कहते हैं एक बार एक ऋषि अपने शिष्यों के साथ किराड़ू आए और यहां ठहरे। ऋषि को कहीं कुछ दिनों के लिए कहीं और जाना हुआ। तब उन्होंने किराड़ू के आस-पास सटे गांव के लोगों के पास शिष्यों को छोड़कर तीर्थ पर चले गए। जब वे लौट कर आए तो पता चला कि सारे शिष्य बुरी तरह से बीमार पड़ गए थे। गांव वालों ने उनकी देखभाल नहीं की। यह जानकार ऋषि को क्रोध आया। उन्होंने कहा कि यहां रहने वाले लोगों में मानवीय गुण नहीं हैं। ऐसे में इस स्थान पर मानव जाति का रहना ठीक नहीं है। हालांकि एक कुम्हारिन ने उनके शिष्यों की मदद की थी। ऋषि ने कुम्हारिन को सूरज ढलने से पहले उस नगर को छोड़ने को कहा और शाप दिया कि जो भी व्यक्ति सूरज ढलने के बाद यहां आएगा वह पत्थर हो जाएगा। बस यही मान्यता आज भी लोगों के जेहन में ताजा है। इसी य से वहां जाने से लोग कतराते हैं
कहते हैं एक बार एक ऋषि अपने शिष्यों के साथ किराड़ू आए और यहां ठहरे। ऋषि को कहीं कुछ दिनों के लिए कहीं और जाना हुआ। तब उन्होंने किराड़ू के आस-पास सटे गांव के लोगों के पास शिष्यों को छोड़कर तीर्थ पर चले गए। जब वे लौट कर आए तो पता चला कि सारे शिष्य बुरी तरह से बीमार पड़ गए थे। गांव वालों ने उनकी देखभाल नहीं की। यह जानकार ऋषि को क्रोध आया। उन्होंने कहा कि यहां रहने वाले लोगों में मानवीय गुण नहीं हैं। ऐसे में इस स्थान पर मानव जाति का रहना ठीक नहीं है। हालांकि एक कुम्हारिन ने उनके शिष्यों की मदद की थी। ऋषि ने कुम्हारिन को सूरज ढलने से पहले उस नगर को छोड़ने को कहा और शाप दिया कि जो भी व्यक्ति सूरज ढलने के बाद यहां आएगा वह पत्थर हो जाएगा। बस यही मान्यता आज भी लोगों के जेहन में ताजा है। इसी य से वहां जाने से लोग कतराते हैं
खजुराहो की तर्ज पर कलाकृति और मूर्तियां
किराड़ू के मंदिर में लगे पत्थरों पर उत्कीर्ण कलाकृतियां बहुत बेमिसाल हैं। सोमेश्वर मंदिर के पास ही एक छोटा-सा सुंदर शिवालय भी है। इन मंदिरों की दीवारों पर युद्ध कौशल के दृश्य, बिगुल, तुरही, नगाड़े, पंच गणेश व अनेक देव- देवी की प्रतिमाएं, समुद्र मंथन, रामायण तथा महाभारत की विभिन्न दृश्यावलियां उत्कीर्ण हैं। इसके अलावा मंदिरों के बीच के भाग में बिखरे पड़े कलात्मक स्तंभ, कला खंड व कलश खंड, मैथुन व रति क्रिया को दिखाया गया है।
किराड़ू के मंदिर में लगे पत्थरों पर उत्कीर्ण कलाकृतियां बहुत बेमिसाल हैं। सोमेश्वर मंदिर के पास ही एक छोटा-सा सुंदर शिवालय भी है। इन मंदिरों की दीवारों पर युद्ध कौशल के दृश्य, बिगुल, तुरही, नगाड़े, पंच गणेश व अनेक देव- देवी की प्रतिमाएं, समुद्र मंथन, रामायण तथा महाभारत की विभिन्न दृश्यावलियां उत्कीर्ण हैं। इसके अलावा मंदिरों के बीच के भाग में बिखरे पड़े कलात्मक स्तंभ, कला खंड व कलश खंड, मैथुन व रति क्रिया को दिखाया गया है।
नारी सौंदर्य की बेजोड़ नमूना
मंदिर के मंडप के भीतर उत्कीर्ण नारी प्रतिमाएं नारी सौंदर्य के बेजोड़ नमूने को प्रस्तुत किया गया है। गर्भगृह के द्वार पर मंदिर परंपरा की अवधारणा के अनुरूप द्वारपाल, क्षेत्रपाल, देव- देवी तथा मंदिर के मूल नायक की सूक्ष्म कृतियों से सज्जित है।
मंदिर के मंडप के भीतर उत्कीर्ण नारी प्रतिमाएं नारी सौंदर्य के बेजोड़ नमूने को प्रस्तुत किया गया है। गर्भगृह के द्वार पर मंदिर परंपरा की अवधारणा के अनुरूप द्वारपाल, क्षेत्रपाल, देव- देवी तथा मंदिर के मूल नायक की सूक्ष्म कृतियों से सज्जित है।