सोते समय सांस के साथ तेज आवाज और वाइब्रेशन आने को खर्राटे कहा जाता है। कई बार ये इतने तेज होते हैं कि खुद लेने वाले और घर में अन्य सदस्यों की नींद खराब करते हैं। खर्राटे भरना अपने आप में एक बीमारी है जिसे स्लीप एपनिया कहते हैं। यह अन्य जानलेवा बीमारियों को न्योता भी देती है। स्लीप एपनिया की स्थिति में सांस लगातार रुकता और चालू होता है। रक्त में ऑक्सीजन का स्तर कम हो जाता है। ऐसे में खर्राटे आते हैं।
बहुत से लोग खर्राटों को एक आम समस्या मानकर इग्नोर करते हैं, जबकि यह स्‍लीपिंग डिसऑर्डर का एक हिस्‍सा है। ऐसे में खर्राटों से परेशान लोगों के लिए यह राहत की खबर है कि बिना दवा के खर्राटों को रोका जा सकता है, वह भी बस एक नोज रिंग पहनकर। 
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गौरतलब है कि वैज्ञानिकों ने एक नई इलेक्ट्रॉनिक रिंग तैयार की है जिससे खर्राटों की समस्या से निपटा जा सकेगा। माचिस की डिब्बी के आकार की यह रिंग सोने के बाद रातभर नाक में हवा प्रवाहित करती है जिससे नाक का वायुमार्ग खुला रहता है और खर्राटे नहीं आते।
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इस डिवाइस का निर्माण स्लीप एपनिया के मरीजों के लिए किया गया है। ऐसे मरीजों में गले के ऊत्तक रात को नींद के दौरान सिकुड़कर सांसनली को अवरुद्ध कर देते हैं जिससे खर्राटों की समस्या होती है। 30 ग्राम से कम भार की इस रिंग को 'एयररिंगÓ नाम दिया गया है। यह डिवाइस बैट्री से चलती है।