बारिश के साइड इफैक्ट्स
मानसून में पाचनतंत्र से संबंधित 2 तरह की बातें देखने को मिलती हैं. पहली, भोजन को पचाने की गति धीमी हो जाती है, जिस कारण सारे खाद्यपदार्थ आसानी से नहीं पचते. फलस्वरूप शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता कम हो जाती है. दूसरी बात यह है कि इस दौरान बैक्टीरिया तथा वायरस ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं. इसलिए खानपान में यदि पर्याप्त हाइजीन मेंटेन नहीं करेंगे तथा सही खाना नहीं खाएंगे तो संक्रमण की प्रबल संभावना रहेगी. इस मौसम में यह समस्या सामने आती है कि क्या खाएं, क्या नहीं. अत: इस मौसम में कच्ची सब्जियों के सेवन से बचें. फलों से भी परहेज करें, क्योंकि फलों तथा सब्जियों में नमी की वजह से तरहतरह के बैक्टीरिया तथा वायरस पनपते हैं. अत: इन की जगह अंकुरित तथा पूरी तरह से पकी सब्जियां ही खाएं. मांस से भी परहेज करें, क्योंकि गरिष्ठ भोजन आसानी से नहीं पचता. यदि आप नानवेज नहीं छोड़ना चाहते तो ताजा ही खाएं. मछली इस मौसम में न खाएं, क्योंकि इस समय मार्केट में ताजा मछलियां कम मिलती हैं.
अपनी डाइट में सूप, गाय का दूध तथा नारियलपानी की मात्रा को बढ़ा दें. इस से शरीर की रोगाणुओं से लड़ने की क्षमता बढ़ती है. ज्यादा तेल, घी तथा मसालेदार खाने से भी बचें. पानी में शहद तथा नीबू की थोड़ी मात्रा डाल कर सेवन करें. इस से इम्यून सिस्टम सुदृढ़ होता है.
खानपान के नियम
खाने में नमक का प्रयोग कम से कम करें, क्योंकि इस से गैस तो बनती ही है, शरीर में पानी का जमाव भी होता है.
अत्यधिक तले भोज्यपदार्थों से परहेज करें, क्योंकि इस मौसम में पाचन क्षमता कमजोर होती है.
मक्का, बाजरा के आटे में अत्यधिक पोषक तत्त्व होते हैं, इसलिए इस आटे का सेवन करें. ऐसे खाद्यपदार्थ जिन में पानी की मात्रा ज्यादा होती है, जैसे करी आदि, को न लें.
सलाद से परहेज करें.
खट्टे भोज्यपदार्थों से बचें.
बाजार के रायते, पनीर का सेवन न करें.
मानसून में करेलों, मेथी के सेवन से संक्रमण से बचाव होता है. इन्हें डाइट में शामिल करें.
कुछ अतिरिक्त सावधानियां
घर को अंदर तथा बाहर से हमेशा साफ तथा सूखा रखें.
घर के आंगन में या बाहर आसपास बारिश के पानी को जमा न होने दें.
शरीर को ढक कर रखें. कम तापमान होने पर संक्रमण की संभावना होती है.
एसी वाले कमरे में भीगे केश तथा भीगे कपड़े पहन कर न जाएं.
पैर गीले हों तो सुखा लें. उन्हें गीला मत छोड़ें.
फल तथा सब्जियों को साफ पानी से धोएं.
खूब पानी पिएं ताकि शरीर में पानी की कमी न होने पाए.
बच्चों को कीचड़, बारिश के गंदे पानी में न खेलने दें