गर्भवती स्त्री की उल्टी (Vomiting of a pregnant woman)
गर्भवती स्त्री की उल्टी (Vomiting of a pregnant woman)
परिचय
गर्भावस्था के समय (गर्भकाल के दौरान) सभी गर्भवती स्त्रियों को उल्टी या जी मिचलाने जैसे लक्षण पैदा हो जाते हैं। ऐसे लक्षण गर्भवती स्त्री को गर्भ ठहरने के 4 से 5 महीनों में होते हैं।
आयुर्वेद से इलाज
1. धनिया: धनिया की 20 ग्राम मात्रा को 200 मिलीलीटर पानी में उबालकर उसमें एक चौथाई रस रह जाने पर उसे छानकर इसमें खाण्ड मिलाकर सुबह-शाम पिलाने से गर्भवती स्त्री की उल्टी बंद हो जाती है।
2. सूखा धनिया: सूखा धनिया 25 ग्राम की मात्रा में पीसकर इसमें 25 ग्राम की मात्रा में खांड मिला देते हैं। इसे लगभग 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से गर्भवती की उल्टी बंद हो जाती है।
3. लौंग: लौंग एक ग्राम पीसकर शहद में मिलाकर दिन में 3 बार चटाने से गर्भवती की उल्टी बंद हो जाती है।
4. बेलगिरी: बेलगिरी का चूर्ण चावलों के पानी के साथ पीने से उल्टी बंद हो जाती है।
5. जामुन: जामुन और आम की छाल को बराबर की मात्रा में लेकर काढ़ा बना लेते हैं। इसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर पीने से पित्त के कारण होने वाली उल्टी बंद हो जाती है।
होमेओपेथी से इलाज
1. ऐपोमोरफिया :- गर्भावती स्त्री को खाली उबकाई आए तथा सिर में दर्द हो रहा हो, छाती में जलन हो रही हो तो ऐसी स्त्री के इस रोग को ठीक करने के लिए ऐपोमोरफिया औषधि की 3 या 6 शक्ति का उपयोग करना अधिक लाभदायक है।
2. टैबैकम :- गर्भावस्था के समय में दिन रात जी कच्चा-कच्चा हो रहा हो लेकिन उल्टी न आए तो इस स्थिति में उपचार के लिए टैबैकम औषधि की 30 शक्ति उपयोगी होती है।
3. कोलचिकम :- गर्भावस्था के समय में रोगी स्त्री में इस प्रकर के लक्षण दिखाई दें जैसे- जी मिचलाना, कभी-कभी रसोई की गंध से बेहोशी आना, अनेक वस्तुओं को खाने की इच्छा होना लेकिन जब उन्हें हाथ में लेकर गर्भवती स्त्री सूंघती है तब उसका जी मिचलाने लगता है, पेट बरफ के समान ठंडा महसूस होना आदि तो इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी स्त्री के इस रोग को ठीक करने के लिए कोलचिकम औषधि की 3 से 30 शक्ति का प्रयोग करना चाहिए।
4. सीपिया :- यदि किसी गर्भवती को सुबह के समय में खाने से पहले जी मिचलाता हो, खाने के बाद उल्टी करने को जी करता हो, भोजन की गंध से भी जी मिचलाता हो, यहां तक कि भोजन को देखते ही जी मिचलाने लगता हो, एक तरफ लेटने पर जी मिचलाना बढ़ने लगता हो, हर चीज खाने पर नमकीन लगती है, आचार, चटनी अम्ल, खट्टा खाने को जी करता है। इस प्रकार के लक्षण होने पर उपचार करने के लिए सीपिया औषधि की 30 या 200 शक्ति का उपयोग करना फायदेमंद होता है।
नेचरोपैथी से इलाज
रोगी स्त्री को सुबह के समय में बिस्तर से उठने के बाद एक गिलास गर्म पानी में नींबू निचोड़कर और उसमें थोड़ा सा सैंधानमक मिलाकर पीना चाहिए।चूने के निथरे (चूने का छना हुआ पानी) हुए पानी को गर्भवती स्त्री को पिलाने से बहुत अधिक लाभ मिलता है। इसके फलस्वस्वरूप स्त्री को उल्टी आना बंद हो जाती है तथा उसका जी मिचलना भी ठीक हो जाता है।अंकुर निकले हुए गेहूं को धूप में सुखाकर, फिर उसका आटा पीसकर, उस आटे की रोटी बनाकर खाने से उल्टी आना बंद हो जाती है।