मासिक-धर्म (माहवारी) न होने के कई
मासिक-धर्म (माहवारी) न होने के कई
कारण होते हैं जो निम्नलिखित है-
प्रकृति के नियमानुसार 40-50 वर्ष की आयु की महिलाओं में हमेशा के लिए मासिक धर्म का आना बंद हो जाता है। महिलाओं के शरीर का खून का दौरा इस अवस्था में कम हो जाता है। इसलिए आर्तव (मासिक धर्म) नहीं आता है। गर्भाशय के छोटा होने से अथवा गर्भाशय के न होने के कारण, गर्भाशय में वायु की अधिकता होने, भग (योनि) की दोनों दीवारे जुड़ी होने से, भग (योनि) का मुंह बंद होने से, भग (योनि) का मुंह बहुत ही छोटा होने से, बीजकोष के न होने से तथा योनि छिद्र के न होने से मासिक-धर्म नहीं होता है।
इन कारणों की वजह से न आने वाला मासिक-धर्म असाध्य होता है। परन्तु इनमें से योनि छिद्र काटकर आर्तव (मासिक स्राव) जारी किया जा सकता है जो स्त्रियां जन्म से बंध्या (बांझ) होती हैं उनका मासिक जारी नहीं कराया जा सकता है।अधिक मोटापे के कारण गर्भाशय में चोट लग जाने में, रज के कम बनने से, छोटी उम्र में ही विवाह हो जाने से, स्त्रियों को सोम रोग हो जाने पर, मासिक के दिनों में स्नान करने से तथा गर्भ गिर जाने से अथवा मिट्टी आदि रूक्ष पदार्थों के सेवन करने से, पीलिया, यक्ष्मा (टी.बी) या अन्य रोग के कारण क्षीण हो जाने पर तथा डिम्ब ग्रंथियों में चर्बी बढ़ जाने से माहवारी नहीं होती है।
नियमित रूप से चिकित्सा करते रहने से इन रोगों से छुटकारा मिल जाता है और माहवारी आने लगती है।भोजन ठीक प्रकार हजम न होने से, अधिक परिश्रम व चिंतित रहने से, ठंडी चीजों के खाने से, शारीरिक कमजोरी होने के कारण, अधिक मैथुन करने से दिन में सोने और रात्रि को जागने के कारण, विरुद्धाहार करने से, अधिक गर्म वस्तुओं के सेवन करने से भी मासिक में रुकावट हो जाती है। शुद्ध हवा व धूप के न मिलने से भी मासिक स्राव में रुकावट हो जाती है।गर्भवती हो जाने के बाद भी मासिक नहीं होता है। तथा गोद के छोटे बच्चे को दूध पिलाते रहने की अवस्था में भी प्राय: मासिक नहीं होता है। इस समय मासिक स्वभावत: प्राकृतिक रूप से नहीं होता है। ऐसी स्थिति में चिकित्सा की आवश्यकता नहीं होती है। हां बच्चों के बड़े हो जाने पर भी यदि मासिक-धर्म न आता हो तो इसकी चिकित्सा अवश्य ही करानी चाहिए।
विभिन्न औषधियों से उपचार-
1. मालकांगनी: मालकांगनी के बीज 3 ग्राम की मात्रा में लेकर गर्म दूध के साथ सेवन करने से अधिक दिनों का रुका हुआ मासिकस्राव भी जारी हो जाता है।
2. तिल: काले तिल 10 ग्राम की मात्रा में 500 मिलीलीटर पानी के साथ कलईदार बर्तन में पकायें। जब यह लगभग 50 मिलीलीटर की मात्रा में बचे तो इसमें पुराना गुड़ मिलाकर मासिक होने से 5 दिन पहले सुबह के समय पीयें इससे मासिक धर्म शुरू हो जाएगा। परन्तु ध्यान रहें कि मासिक धर्म आ जाने के बाद इसका सेवन बंद कर देना चाहिए।
3. सफेद और लाल चन्दन: सफेद और लाल चन्दन का काढ़ा बनाकर पीने से दुर्गन्धित व पीप वाला मासिक स्राव भी बंद हो जाता है।
4. सुहागा: सुहागा 10 ग्राम, हीरा कसीस 10 ग्राम, मुसब्बर 10 ग्राम तथा हींग 10 ग्राम को पानी के साथ पीसकर आधा ग्राम की गोली बनाकर 1-1 गोली सुबह और शाम को अजवायन के साथ सेवन करने से कुछ दिनों तक लगातार सेवन करने से मासिक धर्म ठीक समय पर आने लगता है।
5. गाजर: गाजर का पाक अथवा गाजर का हलुवा सेवन करने से भी मासिक-धर्म समय पर जारी हो जाता है।
6. सोंठ: काली जीरी, सोंठ, एलुवा, अण्डी की मींगी (बीज, गुठली) सभी की 3-3 ग्राम की मात्रा में लेकर अच्छी तरह पीसकर रख लें। फिर इसे गर्म करके पेडु व योनि (जननांग, गुप्तांग) में 4-5 दिन दिनों तक लगाने से मासिक-धर्म आना शुरू हो जाता है।
7. एलुआ: एलुआ लगभग 100 ग्राम, हीरा कसीस लगभग 75 ग्राम, दालचीनी 50 ग्राम, इलायची 50 ग्राम, गुलकन्द 20 ग्राम, सभी को कूट-पीसकर गुलकन्द में मिलाकर गोली बनाकर सेवन करें। इससे ऋतु का अधिक आना और कम या अनियमित रूप से आने की शिकायत दूर हो जाती है।
8. मजीठ: मजीठ, कलौंजी और मूर सभी को कूट-पीसकर ऊपर से गुनगुना दूध का सेवन 7 दिनों तक करने से मासिक धर्म नियतिम रूप से आने लगता है।
9. नारियल: नारियल खाने से मासिक धर्म खुलकर आता है।
10. मटर: मटर का अधिक मात्रा में सेवन मासिक-धर्म अवरोध (माहवारी रुकावट) को दूर करता है।
11. राई: मासिक धर्म में गड़बड़ी होने पर भोजन से पहले 2 ग्राम पिसी हुई राई भोजन के साथ नियमित रूप से प्रात: काल सेवन करने से लाभ होता है।
12. तुलसी: तुलसी की जड़ को छाया में सुखाकर पीसकर चौथाई पान में रखकर खाने से अनावश्यक रक्त-स्राव बंद हो जाता है।
13. नीम: मासिक-धर्म के दिनों में दर्द होकर, जांघों में हो तो नीम के पत्ता के 6 मिलीलीटर रस, अदरक का रस 12 मिलीलीटर को पानी में मिलाकर पिलाने से दर्द तुरंत आराम मिलता है।