महिलाओं के यौन रोग :-प्रसवोत्तर रक्तस्राव , प्रसव के बाद अधिक रक्त निकलना
प्रसवोत्तर रक्तस्राव
परिचय:
प्रसव के बाद गर्भाशय के अन्दर की गंदगी के साथ-साथ रक्त निकलता है जो कभी-कभी अधिक निकलने लगता है, यही प्रसवोत्तर रक्तस्राव होता है।
विभिन्न औषधियों से उपचार-
1. फिटकरी: फिटकरी का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में लेकर 1 लीटर पानी में घोल बनाकर रूई की फूरेरी भिगोकर गर्भाशय के मुख पर रखने से रक्तस्राव बंद हो जाता है।
2. धनिया: 50 ग्राम धनिया कूट करके आधा लीटर पानी में खौलाएं। आधा पानी बचने पर उतारकर छानकर मिश्री मिलाकर गर्म-गर्म करके सुबह-शाम लगातार 7 दिनों तक बराबर इसके सेवन से प्रसव के बाद का रक्तस्राव बंद हो जाता है।
3. मेथी :
मेथी के लड्डू बनाकर बराबर रूप से खाने से प्रसूता (बच्चों को जन्म देने वाली माता) की भूख बढ़ती है। मल और आर्तव (मासिक स्राव) की शुद्धि हो जाती है। इनमें गर्भाशय संकोचन होता है, जिससे गर्भाशय जल्द ही अपने आकार में हो जाती है और रक्तस्राव रुक जाता है।मेथी के चूर्ण में बराबर मात्रा में गु़ड़ मिलाकर 5 से 10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गर्म पानी के साथ खाने से वेदनाएं खत्म हो जाती हैं।4. हींग: घी में भुनी हुई हींग एक चौथाई ग्राम से एक ग्राम सुबह-शाम लेने से आर्तव (मासिकस्राव) की शुद्धि होकर रक्तस्राव ठीक हो जाता है।
5. बांस: बांस के पत्तों और कोमल गांठों का काढ़ा 40 ग्राम में रोज गुड़ मिलाकर 4 बार लेने से गर्भाशय का संकोचन और गर्भाशय की शुद्धि हो जाती है।
6. अनन्तमूल: प्रसव यानी डिलीवरी के बाद रक्तस्राव की शुद्धि के लिए अनन्तमूल का चूर्ण एक चौथाई ग्राम तक लेने से ही लाभ मिलता है। इसे अधिक मात्रा में लेना हानिकारक होता है।
7. ईश्वरमूल: ईश्वरमूल आधा से दो को पीपलामूल के बारीक चूर्ण और हींग के साथ मिलाकर पान में रखकर रस चूसने से बहता हुआ खून बंद हो जाता है।
8. मजीठ: मजीठ, ईश्वरमूल और पीपरामूल बराबर मात्रा में लेकर, चूर्ण रख लें। 3 से 6 ग्राम सुबह-शाम गुड़ के साथ खाने से प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्राव यानी खून का बहना रुकता है।
9. नागरमोथा: नागरमोथा 6 ग्राम दूध में पीसकर सुबह-शाम खाने से रक्तस्राव यानी खून का बहना बंद हो जाता है।
10. कचूमर: कचूमर का पाक खाने से प्रसवोत्तर के बाद रक्तस्राव में लाभ होता है।
11. तपझाड़: तपझाड़ का साग प्रसूता को खिलाने से आर्तव (माहवारी) की शुद्धि होती है और भूख भी अधिक लगती है और पैखाना (दस्त) भी साफ आता है।
12. नीम: नीम का रस 30 से 60 ग्राम सुबह-शाम लेने से लाभ होता है इससे गर्भाशय का संकोचन होकर स्राव की शुद्धि होती है। साथ ही सूजन भी कम हो जाती है। भूख लगना, मल साफ आना, ज्वर का रुक जाना जैसे अनेक लाभ होते हैं।
13. फरहद: फरहद के पत्ते का काढ़ा नारियल के दूध में उबालकर सुबह-शाम पीने से आर्तव (माहवारी) शुद्धि हो जाती है। साथ ही दूध की मात्रा भी बढ़ती है।
14. सोंठ: सोंठ का चूर्ण दूध में उबालकर बार-बार पिलाते रहने से प्रसवोत्तर यानी डिलीवरी के बाद की वेदनाएं (दर्द) नष्ट हो जाती हैं।