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गर्भपात, गर्भस्राव करना (Abortion)

गर्भपात, गर्भस्राव करना (Abortion)

परिचय

स्त्री का गर्भ ठहरने के समय से लेकर 6 महीने तक गर्भ से भ्रूण निकल जाने को गर्भपात या गर्भ-स्राव कहते हैं। इस अवस्था में संतान तो जीवित ही नहीं रहती लेकिन सातवें महीने के बाद और नौ महीने के पहले गर्भपात होने को अकाल प्रसव कहते हैं। गर्भपात होने पर प्रसूता को खतरा हो सकता है इससे उसकी जान भी जा सकती है। यदि किसी कारण से एक बार गर्भपात हो जाए तो बार-बार गर्भपात होने का भय रहे तो इस अवस्था में गर्भपात के लक्षण प्रकट होने पर तुरंत ही उपचार करा लेना चाहिए। 

लक्षण

अक्सर गर्भवती स्त्रियों के पेट में ही बच्चा मर जाता है या पूरी तरह पनपने से पहले ही बच्चे की धड़कन आदि रुक जाती है जिसे स्त्री का गर्भपात होना कहते हैं। गर्भपात होने पर रोगी स्त्री के कमर तथा पेट के तल में दर्द होता है, बच्चा पेट के नीचे खिसक आता है, खून या कफ जैसे पदार्थ का स्राव होने लगता है। 

कारण

गर्भवती स्त्री का गर्भपात होने के बहुत से कारण होते हैं जैसे- स्त्री के शरीर में हामोन्स की गड़बड़ी, किसी तरह की चोट आदि लगने के कारण, दिमागी सदमे के कारण, किसी तरह का रोग हो जाने के कारण आदि। इसके अलावा इन्फैक्शन या गर्भाशय की कमजोरी या किसी रोग के कारण भी गर्भपात हो जाता है। गर्भावस्था में कसे हुए कपड़े पहनने, अधिक मेहनत करने, अधिक गाड़ी पर सफर करने, रेलगाड़ी पर चढ़ने, अधिक पसीना आने, चेचक का बुखार होने, योनि में दर्द आदि के कारण से भी गर्भपात हो सकता है। 

आयुर्वेद से इलाज

1. अमरबेलः  अमरबेल (आकाशबेल जो पीले धागे के समान सदृश बेर आदि वृक्षों पर जीवी रूप में पायी जाती है) का काढ़ा 80-90 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन 3-4 बार सेवन करने से गर्भपात हो जाता है।

2. करेला: करेले की जड़ का काढ़ा सुबह-शाम 40 से 80 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन 3-4 बार सेवन करने से गर्भपात की संभावना रहती है।

3. मूली: मूली के बीज 1 से 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से आर्तव (मासिकस्राव) जारी होता है। अत: गर्भपातक औषधियों के साथ जैसे गाजर के बीज के चूर्ण के साथ या क्वाथ (काढ़ा) में इसे भी साथ-साथ दिया जा सकता है।

4. अनन्नास: कच्चे अनन्नास का रस बार-बार अधिक मात्रा में पीने से गर्भपात हो जाता है। 

घरेलू इलाज

1. सोंठ: सोंठ दरदरी कूटकर, खरबूजे के बीज 10 ग्राम, गोखरू दरदरे कूटे 5 ग्राम को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें जब यह एक चौथाई रह जाए तो इसे छानकर इसमें खाण्ड मिलाकर सुबह-शाम को पीना चाहिए। इससे गर्भपात के बाद होने वाले सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। 

होमेओपेथी से इलाज

1. सैबाइना-  अगर रोगी स्त्री को गर्भावस्था के शुरुआती 3 महीनों में ऐसा महसूस होता है कि उसका गर्भ गिर सकता है या उसका गर्भाशय में दर्द होने या खून आने लगता है तो उसे सैबाइना औषधि की 3x मात्रा देनी चाहिए।

2. सिकेलि- अगर गर्भवती स्त्री को गर्भावस्था के चौथे महीने या बाद के महीनों में गर्भ गिरने का डर लगता है तो उसे सिकेलि औषधि की 3 शक्ति दी जा सकती है।

3. आर्निका-  गर्भवती स्त्री के गिर पड़ने, ज्यादा वजन उठाने, चोट आदि के कारण गर्भ गिरने का डर लगता हो तो उसे आर्निका औषधि की 3 शक्ति देनी चाहिए।

4. कैमोमिला- गर्भवती स्त्री को ज्यादा दिमागी परेशानी या गुस्सा आदि आने के कारण अगर गर्भ गिरने की आशंका रहती है तो उसे कैमोमिला औषधि की 6 शक्ति का प्रयोग कराया जा सकता है। 

नेचरोपैथी से इलाज
स्त्री को संतुलित आहार (भोजन) तथा अधिक मात्रा में फल, सलाद, दूध अंकुरित दाल तथा रसाहार पदार्थ का सेवन करना चाहिए।इस रोग से पीड़ित स्त्री को सिंघाड़ा तथा मुनक्का का सेवन करना चाहिए।हल्के गर्म पानी का एनिमा लेना भी काफी लाभदायक होता है।प्रतिदिन नियमित रूप से कटिस्नान करना भी फायदेमंद होता है।

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