loading...
loading...

स्त्रियों की कामोत्तेजना कम होना (Women have low sexual arousal)

स्त्रियों की कामोत्तेजना कम होना (Women have low sexual arousal)

संभोग क्रिया के समय पति-पत्नी जब एक-दूसरे को पूर्ण रूप से सहयोग देकर भरपूर आनन्द प्राप्त करते हैं तो उनका संबंध एक-दूसरे के प्रति बहुत अधिक गहरा होता है। इस क्रिया में पुरुष को मुख्य रूप से सेक्स का कर्ता माना गया है। इसलिए इस क्रिया में पुरुष का तो पूरा सहयोग होता ही है लेकिन इसके साथ-साथ इसमें स्त्री का भी सहयोग होना बहुत आवश्यक है। आज भी भारत जैसे देश में यह देखा गया है कि स्त्रियों में सेक्स को लेकर अभी तक खुलापन नहीं आ पाया है। आज सेक्स क्रिया में पुरुष जैसा तरीका अपनाता है, ठीक वैसा तरीका बहुत सी स्त्रियां नहीं कर पाती हैं। इस प्रकार के व्यवहार के बावजूद भी वे सुख देती और लेती हैं। इसके अतिरिक्त कुछ स्त्रियां ऐसी भी होती हैं जो संभोग क्रिया के समय में एकदम खमोश पड़ी रहती हैं। ऐसा लगता है कि उसके शरीर में प्राण ही नहीं है। उनका हृदय तो धड़कता रहता है लेकिन उसमें सेक्स के प्रति भावनाएं महसूस नहीं होती हैं और न ही अनुभूति होती है। ऐसी स्त्रियां बेजान मूर्ति की तरह पड़ी रहती हैं। ऐसी स्त्रियों के साथ संभोग क्रिया करते समय पुरुष को ऐसा लगता है कि मानो वह किसी निर्जीव शरीर से संभोग कर रहा है। ऐसी स्त्रियों को कम उत्तेजना वाली स्त्री कहते हैं।

कुछ स्त्रियां ऐसी भी होती हैं जोकि सेक्स के समय में किसी प्रकार का सहयोग नहीं देती हैं। ऐसी स्त्रियों का विवाह हो जाता है तो वह अपने पति से भी सेक्स संबंध बनाना नहीं चाहती लेकिन वह अपने पति को मना भी नहीं कर पाती। वह सेक्स संबंध बनाने से अपने पति को इसलिए मना नहीं कर पाती क्योंकि पहली रात के दिन अपने तन को पति को सौंपना एक मजबूरी हो जाती है लेकिन संभोग क्रिया के समय वह अपनी ओर से न तो कोई सहयोग देती है, न ही रुचि लेती है और न ही किसी प्रकार से उत्साह दिखाती है। उस रात अगर पति उससे कोई बात भी करना चाहता है तो वह उसे भी ठीक प्रकार से सुनना नहीं चाहती। उस समय तो उसकी यह इच्छा तथा कामना होती है कि उसका पति उसे छोड़ दे तथा एक तरफ जाकर लेट जाए। वह मन ही मन सोचती है कि जितना जल्दी हो सके पति जी मुझे छोड़कर, अपना काम करके एक तरफ होकर लेट जाए। बहुत से विद्वानों का मानना यह है कि ऐसी स्त्रियां सेक्स क्रिया करते समय पति को कुछ भी सहयोग नहीं देती लेकिन जैसे-जैसे सेक्स क्रियाएं बढ़ने लगती हैं, उसके शरीर से पति छेड़खानी करने लगता है वैसे-वैसे संभोग क्रिया में वह अपने आप को शामिल करने लगती है। ऐसी स्त्रियां जब सेक्स का आनन्द लेने लगती हैं तो पति को कसकर सीने से लगा लेती हैं, सीने से भींचने तथा कंठ से मदहोशी भरी सिसकियां लेने लगती हैं। जब वह पूरी तरह से चरम सुख की ओर बढ़ने लगती हैं तो अधिक से अधिक सेक्स का आनन्द लेने लगती हैं। उसकी शरीर की उत्तेजना इस समय और भी तेज हो जाती है तथा अंत में फिर मूर्ति के समान निर्जीव हो जाती है। लेकिन इस समय उसका चेहरा शांत और आनन्द से भरा हुआ लगता है। सेक्स चिकित्सकों का यह भी मानना है कि जो स्त्रियां संभोग क्रिया के समय अधिक आनन्द और उत्तेजना प्राप्त करती हैं, पति के प्रति उसका लगाव उतना ही अधिक और प्यार भरा होता है। संभोग क्रिया शुरू करते समय या भरपूर आनन्द लेने के बाद भी ऐसी स्त्रियों के शरीर में किसी प्रकार की कोई भी हलचल दिखाई नहीं देती है। जब पति संभोग क्रिया को समाप्त करता है तो वह चैन की सांस लेती है और मन ही मन सोचती है कि आज रात तो बच गई या बला टली।

स्त्रियों की कामशीतलता को दूर करने के उपाय-

22.  पारिवारिक तथा सामाजिक संस्कारों के कारण से बहुत-सी स्त्रियां सेक्स के बारे में अपने विचारों का खुलासा नहीं कर पाती और न ही विचारों को व्यक्त ही कर पाती हैं। इसके बावजूद जब उनकी शारीरिक आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं होती है तब इसका असर सेक्स क्रिया के दौरान दिखाई पड़ता है। इन सभी करणों की वजह से ही उनमें कामशीतलता की कमी आ जाती है।
21.  स्त्रियों में कामोत्तेजना कम होने के कारण यदि उसे मानसिक रोग हो गया हो तो इस मानसिक रोग होने के पीछे पुरुष भी जिम्मेदार होता है क्योंकि कभी-कभी वह अपनी गलतियों को पत्नी पर ही थोपता है, अपनी गलतियों को स्वीकार तक नहीं करता। बहुत से पुरुष तो यह सोचते हैं कि सेक्स क्रिया के द्वारा आनन्द लेने में स्त्रियों का कोई लेना देना नहीं है। यह केवल पुरुषों के लिए होता है। इस कारण से वे अपनी स्त्रियों का कुछ भी ख्याल नहीं करते हैं जिसकी वजह से उनकी स्त्रियां इस रोग का शिकार हो जाती हैं।

20.  पति-पत्नी यदि सुखपूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे हों और किसी कारण से उसके पति को यौन दुर्बलता हो जाए या किसी दुर्घटना के कारण से वह अपनी पत्नी को सेक्स सुख देने में असमर्थ हो गया हो तो इस स्थिति में उसकी पत्नी कभी भी चरमानन्द प्राप्त नहीं कर पाती है। इतना होने के बावजूद अपनी दुर्बलता का इलाज करवाने को प्रेरित करती हैं लेकिन कई बार उसका पति यह मानने के लिए तैयार नहीं होता है क्योंकि यौन कमजोरी से वह ग्रस्त होता है। ऐसी स्थिति में जब वे दोनों एक-दूसरे के साथ सेक्स संबंध बनाते हैं तो पति की उत्तेजना तुरंत ही शांत हो जाती है। स्त्री बिस्तर पर इस प्रकार से छटपटाती रहती है जैसे पानी के बिन मछली छटपटाती रहती है। जब यह स्थिति स्त्री के साथ प्रतिदिन होने लगती है तो उसे सेक्स से नाराजगी होने लगती है। कई बार तो यह भी देखा गया है कि वह पुरुष को ज्यादा जोर देकर इलाज करने को कहती है तो वह उस पर उल्टा गुस्से में चिल्लाने लगता है और उल्टा उस पर कई आरोप लगा देता है। वह अपनी कमजोरी को छिपाने के लिए कई बार तो यह भी कह देता है कि तुझमें कोई दोष है। इस प्रकार की बातों को सुनकर वह शारीरिक तथा मानसिक दोनों रूप से सेक्स से नाराज रहती है। वह मन में यह भी सोचती है कि उनको मेरा कुछ भी ख्याल नहीं, वे केवल मुझे उपभोग का केवल एक वस्तु समझते हैं, उन्हें मेरी सुख से कोई मतलब नहीं है और न ही मेरी कोई चिंता करते हैं। इस सबको देखते हुए वह अपने आप को स्थितियों के अनुसार ढा़ल लेती है जिसके कारण से उसकी इच्छाएं और संवेदनाएं समाप्त हो जाती हैं।

Theme images by konradlew. Powered by Blogger.