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वीर्य के सम्बंध में गलत धारणाए (Incorrect assumptions in relation to semen)

वीर्य के सम्बंध में गलत धारणाए (Incorrect assumptions in relation to semen)

बहुत से लोगों को वीर्य के संबंध में गलत धारणाएं हो जाती हैं। वैसे देखा जाए तो सेक्स से संबंधित बहुत सारे रोग तो ऐसे होते हैं जो गलत धारणाएं तथा भम्र के कारण ही उत्पन्न होते हैं। लेकिन वीर्य से संबंधित रोगों के होने की समस्या और भी गंभीर होती है। सेक्स के बारे में जिन लोगों को ठीक प्रकार से ज्ञान नहीं होता है, उन युवकों को सेक्स से संबंधित कई प्रकार के रोग हो जाते हैं और वे ही इनसे अधिक प्रभावित होते हैं।

कुछ लोग तो ऐसे भी होते हैं जो सेक्स से संबंधित सामान्य रोग के लक्षणों तथा परिवर्तनों को गंभीर समस्या अथवा रोग मान बैठते हैं और व्यर्थ की चिंता में परेशान होने लगते हैं। ऐसे लोग इन कारणों से मुक्ति पाने के लिए वैद्यों, नीम-हकीमों के चक्कर में फंसकर अपना धन बर्बाद कर बैठते हैं। इन लोगों को सेक्स के बारे में पुराने और अधकचरे ज्ञान के चलते अनेक विद्वान समझे जाने वाले लोग भी इस बारे में किशोर तथा युवा को वास्तविक जानकारी दे पाने में असफल रहते हैं।

आज बहुत से ऐसे झूठे वैद्य तथा नीम-हकीमों ने युवा तथा किशोर वर्ग के लोगों को डराने के लिए यह बात फैला रखी है कि वीर्य का निर्माण व्यक्ति के खून से होता है और 40 बूंद खून से मात्र एक बूंद वीर्य बनता है जो व्यक्ति हस्तमैथुन द्वारा वीर्य का नाश करते हैं या जो स्वप्नदोष जैसी समस्या से ग्रस्त हों, उसमें खून की कमी हो जाती है, यह कमी कई प्रकार के रोगों को पैदा कर देती है, सबसे बड़ी समस्या यह बतायी जाती है कि शरीर में खून की कमी के कारण कमजोरी आ जाती है जिससे व्यक्ति की कामशक्ति भी प्रभावित हो जाती है। यह सभी प्रकार की धारणाएं गलत हैं। क्योंकि सामान्य प्रकार से सेक्स संबंधों में स्खलन होने पर वीर्य की मात्रा लगभग आधे से एक चम्मच होती ही है। ऐसे झूठे तथा ढोंगी वैद्यों तथा नीम-हकीमों की बातों को झूठा साबित करने के लिए नीचे गणित की भाषा के अनुसार दिया जा रहा है, इसे ध्यान से देखें।

     1 बूंद वीर्य = 40 बूंद खून

     16 बूंद वीर्य= 1 मिली. खून

हम जानते हैं कि एक बार संभोग करने पर लगभग 48 बूंद वीर्य स्खलन होता है।  

तब

     50 बूंद वीर्य= 3 मि.ली. खून

     50 बूंद वीर्य×40 बूं. खून=2000 बूंद रक्त

     2000/16=125 मि. ली. खून

अब इस भ्रम को आधार मानकर चलते हैं तो 40 बूंद खून से 1 बूंद वीर्य बनता है तो एक बार के स्खलन के बाद 120 मि.ली. खून नष्ट हो जाता है। हम सभी जानते हैं कि विवाह के पहले के दिनों में लगभग सभी विवाहित व्यक्ति औसतन प्रतिदिन एक बार शारीरिक संबंध जरूर बनाता है।

इस आधार पर गणित से यह हल निकलता है कि –

     1 महीने में शारीरिक संबंध = 30 बार।

     30×120 मि.ली.=3600 मि.ली. खून।

वैज्ञानिक जांच के अनुसार यह पता चलता है कि शरीर में खून की कुल मात्रा लगभग साढ़े तीन लीटर होती है। इस आधार पर यह गणित मान लीजिए की ठीक है तो विवाह के एक महीने के बाद सभी विवाहित पुरुषों को मर जाना चाहिए क्योंकि रक्त के बिना तो व्यक्ति जीवित रह नहीं सकता है। यहां पर ऐसे झूठे तथा ढोंगी वैद्यों तथा नीम-हकीमों की बात पूरी तरह से झूठ साबित होती है। आज हम सभी जानते हैं कि विवाह के बाद सभी पुरुष ज्यादा प्रसन्न तथा तरोताजा दिखाई देते हैं। इसका मुख्य कारण संभोग को माना गया है। अच्छे तथा संतुष्टपूर्वक संबंध बनाने से व्यक्ति में नयी ऊर्जा का संचार होता है। इसके अलावा एक बात और ध्यान देने योग्य है कि यदि रक्त से ही वीर्य का निर्माण होता तो फिर स्त्रियों में वीर्य का निर्माण क्यों नहीं होता? और हम सभी को पता है कि स्त्रियों में भी रक्त का संचार होता ही है। प्रकृति ने स्त्री एवं पुरुषों को अलग-अलग प्रकार की विशेषताएं प्रदान की हैं। इसलिए स्त्रियों में वीर्य का निर्माण नहीं होता है। वीर्य केवल पुरुष की जननेन्द्रियों का स्राव मात्र है जिसका प्रमुख कार्य शुक्राणुओं को प्रजनन के लिए योनि मार्ग से गर्भाशय मुख तक ले जाना होता है।

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