अष्ठीला (Enlargment of prostate gland- Hypertrophy prostatic)
पुरस्थ कूल थपिथन।
परिचय:
पेशाब करने की जगह पर गोल सी एक नली होती है जिसे प्रोस्टेट या पौरुष ग्रंथि कहते है। यह नली साधारण आकार से जब बढ़ जाती है तो रोगी के पेशाब करने की रास्ते में परेशानी पैदा करती है जिसे अष्ठीला कहा जाता है। यह रोग ज्यादातर बुढ़ापे में होता है।
विभिन्न भाषाओं में नाम:
हिन्दी | अष्ठीला। |
अंग्रेजी | एनलार्जड् प्रोस्टेट। |
अरबी | मल मूत्र रुहाका ग्रंथि। |
बंगाली | अष्ठीला। |
मलयालम | कुझावी। |
मराठी | अष्ठीला। |
पंजाबी | पुरख ग्रंथिवाब। |
तमिल |
विभिन्न औषधियों से उपचार-
1. कर्कटी :
- कर्कटी बीज सेंधानमक और त्रिफला को बराबर मात्रा में लेकर 3 से 6 ग्राम 50 से 100 मिलीलीटर गुनगुने पानी से दिन में सुबह और शाम देने से लाभ होता है।
- 25 ग्राम कर्कटी के बीज को 25 मिलीलीटर कांजी में भिगोकर इसमें 4 ग्राम सेंधानमक को मिलाकर रख दें। इसकी 2 पुड़िया बना कर 1 पुड़िया सुबह और 1 पुड़िया शाम को देनी चाहिए।
2. कुष्माण्ड : 56 मिलीलीटर कुष्माण्ड के गूदे के रस को 0.5 ग्राम यवक्षार और 25 ग्राम शर्करा के साथ सुबह और शाम सेवन करने से अष्ठीला में आराम होता है।