शिलाजीत खाये और मर्दाना ताकत पाये
आयुर्वेद के बलपुष्टिकारक, ओजवर्द्धक, दौर्बल्यनाशक एवं धातु पौष्टिक अधिकांश नुस्खों में शिलाजीत का प्रयोग किया जाता है।
इसकी एक बहुत बड़ी विशेषता यह है कि यह सिर्फ रोग ग्रस्त का रोग दूर करने के लिए ही उपयोगी नहीं है, बल्कि स्वस्थ व्यक्ति के लिए भी उपयोगी है। इसे यौन दौर्बल्य यानी
विशेषकर मधुमेह, धातु क्षीणता, बहुमूत्र, स्वप्नदोष, सब प्रकार के प्रमेह, यौन दौर्बल्य यानी नपुंसकता, शरीर की निर्बलता, वृद्धावस्था की निर्बलता आदि व्याधियों को दूर करने के लिए शिलाजीत उत्तम गुणकारी सिद्ध होती है।
नपुंसकता से पीड़ित विवाहित व्यक्ति ही नहीं, अविवाहित युवक भी सेवन कर सकता है।
स्वप्नदोष :
* शुद्ध शिलाजीत 25 ग्राम, लौहभस्म 10 ग्राम, केशर 2 ग्राम, अम्बर 2 ग्राम, सबको मिलाकर खरल में खूब घुटाई करके महीन कर लें और 1-1 रत्ती की गोलियां बना लें। एक गोली सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष होना तो बंद होता ही है, साथ ही पाचनशक्ति, स्मरण शक्ति और शारीरिक शक्ति में भी वृद्धि होती है, इसलिए यह प्रयोग छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी है।
* शिलाजीत और बंगभस्म 20-20 ग्राम, लौहभस्म 10 ग्राम और अभ्रक भस्म 5 ग्राम, सबको मिलाकर खरल में घुटाई करके मिला लें और 2-2 रत्ती की गोलियां बना लें। सुबह-शाम एक-एक गोली दूध के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष होना बंद होता है और शरीर में
बलपुष्टि आती है। यदि शीघ्रपतन के रोगी विवाहित पुरुष इसे सेवन करें तो उनकी यह व्याधि नष्ट होती है। खटाई और खट्टे पदार्थों का सेवन बंद करके इन दोनों में से कोई एक नुस्खा कम से कम 60 दिन तक सेवन करना चाहिए।
मधुमेह :
* शुद्ध शिलाजीत 20 ग्राम, विजयसार चूर्ण 40 ग्राम, हरिद्रा (हल्दी) 20 ग्राम, मैथी का चूर्ण 40 ग्राम, सबको मिलाकर बारीक पीस लें। (शिलाजीत को सुखाकर पीसें और मिला लें)। जामुन के शरबत के साथ आधा चम्मच चूर्ण सेवन करने से शर्करा नियंत्रित रहती है। जामुन का शरबत घर पर बना लें या जामुन का सिरका बाजार से लाकर प्रयोग कर सकते हैं। इसी प्रकार प्रमेह गज केसरी और शिलाजत्वादि वटी अम्बरयुक्त की 1-1 गोली सुबह-शाम दूध के साथ लेने से भी मधुमेह में लाभ होता है। यह दोनों योग शिलाजीत युक्त हैं।
उच्च रक्तचाप : शुद्ध शिलाजीत 2-2 रत्ती मात्रा में अनन्तमूल और मुलहठी के दो चम्मच भरकर काढ़े के साथ सुबह लेना चाहिए। रात को पेट साफ करने के लिए स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण एक चम्मच गर्म पानी के साथ फांककर लेना चाहिए। इस प्रयोग के सेवन से उच्च रक्तचाप सामान्य होता है।
सिर दर्द : शुद्ध शिलाजीत 5 ग्राम, गिलोय सत्व और मजीठ चूर्ण 20-20 ग्राम, सबको मिलाकर एक शीशी में भर लें। आंवले के मुरब्बे के साथ, आधा-आधा चम्मच, दिन में चार बार सेवन करने से कुछ दिनों में सिर दर्द होना बंद हो चाता है।
यकृत विकार : शुद्ध शिलाजीत और लौह भस्म 2-2 रत्ती तथा त्रिफला चूर्ण आधा चम्मच, तीनों मिलाकर सुबह और रात को सोने से पहले आधा कप गोमूत्र के साथ लेने से यकृत विकार दूर होता है।
कुछ स्थितियों में वर्जित
* यदि रोगी पित्त प्रकोप (एसिडिटी) या अम्ल पित्त (हायपर-एसिडिटी) से पीड़ित हो, आंखों में लाली रहती हो, पेट में अल्सर हो, शरीर की उष्णता बढ़ी हुई रहती हो और किसी भी अंग में जलन होती हो तो ऐसी अवस्था ठीक न होने तक उसे शिलाजीत का सेवन नहीं करना चाहिए।
* शिलाजीत का सेवन करते हुए स्त्री सहवास, लाल मिर्च, जलन करने वाले और उष्ण प्रकृति के पदार्थ, तेज मिर्च-मसालेदार व्यंजन, मांस, अंडा, शराब, मछली, कुलथी, मकोय, तेल गुड़, खटाई, तेज धूप, रात्रि जागरण, सुबह देर तक सोना, मलमूत्र के वेग को रोकना, कब्ज, लगातार बहुत अधिक मात्रा में श्रम या व्यायाम अपथ्य है।
शिलाजीत से बनी अन्य औषधियां
शुद्ध शिलाजीत निरंतर सेवन करने से शरीर पुष्ट तथा स्वास्थ्य बढ़िया रहता है।
आयुर्वेद में ऐसे कई योग हैं, जिनमें शुद्ध शिलाजीत होती है जैसे
--सूर्यतापी शुद्ध शिलाजीत बलपुष्टिदायक है,
--शिलाजत्वादि वटी अम्बरयुक्त मधुमेह और शुक्रमेह नाशक है,
-- शिलाजतु वटी आयुवर्द्धक है, वीर्यशोधन वटी स्वप्नदोष और धातु क्षीणता नाशक है
--चंद्रप्रभावटी विशेष नं. 1 मूत्र विकार और स्वप्नदोष नाशक है,
--प्रमेहगज केसरी मधुमेह नाशक है, आरोग्य वर्द्धिनी वटी विशेष नं. 1 उदर विकार नाशक है और
--ब्राह्मी वटी मस्तिष्क को बल देने वाली और स्मरण शक्तिवर्द्धक है।
--शिलाजीतयुक्त से सभी औषधियां बनी बनाई औषधि विक्रेता की दुकान पर इन्हीं नामों से मिलती है।
शिलाजीत एक गाढ़ा, लसलसेदार पदार्थ है जो हिमालय, गिलगित बल्टिस्तान, अल्ताई तथा काकेसस के पर्वतों में पाया जाता है।
विशेषकर मधुमेह, धातु क्षीणता, बहुमूत्र, स्वप्नदोष, सब प्रकार के प्रमेह, यौन दौर्बल्य यानी नपुंसकता, शरीर की निर्बलता, वृद्धावस्था की निर्बलता आदि व्याधियों को दूर करने के लिए शिलाजीत उत्तम गुणकारी सिद्ध होती है।
नपुंसकता से पीड़ित विवाहित व्यक्ति ही नहीं, अविवाहित युवक भी सेवन कर सकता है।
स्वप्नदोष :
* शुद्ध शिलाजीत 25 ग्राम, लौहभस्म 10 ग्राम, केशर 2 ग्राम, अम्बर 2 ग्राम, सबको मिलाकर खरल में खूब घुटाई करके महीन कर लें और 1-1 रत्ती की गोलियां बना लें। एक गोली सुबह-शाम दूध के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष होना तो बंद होता ही है, साथ ही पाचनशक्ति, स्मरण शक्ति और शारीरिक शक्ति में भी वृद्धि होती है, इसलिए यह प्रयोग छात्र-छात्राओं के लिए भी उपयोगी है।
* शिलाजीत और बंगभस्म 20-20 ग्राम, लौहभस्म 10 ग्राम और अभ्रक भस्म 5 ग्राम, सबको मिलाकर खरल में घुटाई करके मिला लें और 2-2 रत्ती की गोलियां बना लें। सुबह-शाम एक-एक गोली दूध के साथ सेवन करने से स्वप्नदोष होना बंद होता है और शरीर में
बलपुष्टि आती है। यदि शीघ्रपतन के रोगी विवाहित पुरुष इसे सेवन करें तो उनकी यह व्याधि नष्ट होती है। खटाई और खट्टे पदार्थों का सेवन बंद करके इन दोनों में से कोई एक नुस्खा कम से कम 60 दिन तक सेवन करना चाहिए।
मधुमेह :
* शुद्ध शिलाजीत 20 ग्राम, विजयसार चूर्ण 40 ग्राम, हरिद्रा (हल्दी) 20 ग्राम, मैथी का चूर्ण 40 ग्राम, सबको मिलाकर बारीक पीस लें। (शिलाजीत को सुखाकर पीसें और मिला लें)। जामुन के शरबत के साथ आधा चम्मच चूर्ण सेवन करने से शर्करा नियंत्रित रहती है। जामुन का शरबत घर पर बना लें या जामुन का सिरका बाजार से लाकर प्रयोग कर सकते हैं। इसी प्रकार प्रमेह गज केसरी और शिलाजत्वादि वटी अम्बरयुक्त की 1-1 गोली सुबह-शाम दूध के साथ लेने से भी मधुमेह में लाभ होता है। यह दोनों योग शिलाजीत युक्त हैं।
उच्च रक्तचाप : शुद्ध शिलाजीत 2-2 रत्ती मात्रा में अनन्तमूल और मुलहठी के दो चम्मच भरकर काढ़े के साथ सुबह लेना चाहिए। रात को पेट साफ करने के लिए स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण एक चम्मच गर्म पानी के साथ फांककर लेना चाहिए। इस प्रयोग के सेवन से उच्च रक्तचाप सामान्य होता है।
सिर दर्द : शुद्ध शिलाजीत 5 ग्राम, गिलोय सत्व और मजीठ चूर्ण 20-20 ग्राम, सबको मिलाकर एक शीशी में भर लें। आंवले के मुरब्बे के साथ, आधा-आधा चम्मच, दिन में चार बार सेवन करने से कुछ दिनों में सिर दर्द होना बंद हो चाता है।
यकृत विकार : शुद्ध शिलाजीत और लौह भस्म 2-2 रत्ती तथा त्रिफला चूर्ण आधा चम्मच, तीनों मिलाकर सुबह और रात को सोने से पहले आधा कप गोमूत्र के साथ लेने से यकृत विकार दूर होता है।
कुछ स्थितियों में वर्जित
* यदि रोगी पित्त प्रकोप (एसिडिटी) या अम्ल पित्त (हायपर-एसिडिटी) से पीड़ित हो, आंखों में लाली रहती हो, पेट में अल्सर हो, शरीर की उष्णता बढ़ी हुई रहती हो और किसी भी अंग में जलन होती हो तो ऐसी अवस्था ठीक न होने तक उसे शिलाजीत का सेवन नहीं करना चाहिए।
* शिलाजीत का सेवन करते हुए स्त्री सहवास, लाल मिर्च, जलन करने वाले और उष्ण प्रकृति के पदार्थ, तेज मिर्च-मसालेदार व्यंजन, मांस, अंडा, शराब, मछली, कुलथी, मकोय, तेल गुड़, खटाई, तेज धूप, रात्रि जागरण, सुबह देर तक सोना, मलमूत्र के वेग को रोकना, कब्ज, लगातार बहुत अधिक मात्रा में श्रम या व्यायाम अपथ्य है।
शिलाजीत से बनी अन्य औषधियां
शुद्ध शिलाजीत निरंतर सेवन करने से शरीर पुष्ट तथा स्वास्थ्य बढ़िया रहता है।
आयुर्वेद में ऐसे कई योग हैं, जिनमें शुद्ध शिलाजीत होती है जैसे
--सूर्यतापी शुद्ध शिलाजीत बलपुष्टिदायक है,
--शिलाजत्वादि वटी अम्बरयुक्त मधुमेह और शुक्रमेह नाशक है,
-- शिलाजतु वटी आयुवर्द्धक है, वीर्यशोधन वटी स्वप्नदोष और धातु क्षीणता नाशक है
--चंद्रप्रभावटी विशेष नं. 1 मूत्र विकार और स्वप्नदोष नाशक है,
--प्रमेहगज केसरी मधुमेह नाशक है, आरोग्य वर्द्धिनी वटी विशेष नं. 1 उदर विकार नाशक है और
--ब्राह्मी वटी मस्तिष्क को बल देने वाली और स्मरण शक्तिवर्द्धक है।
--शिलाजीतयुक्त से सभी औषधियां बनी बनाई औषधि विक्रेता की दुकान पर इन्हीं नामों से मिलती है।
शिलाजीत एक गाढ़ा, लसलसेदार पदार्थ है जो हिमालय, गिलगित बल्टिस्तान, अल्ताई तथा काकेसस के पर्वतों में पाया जाता है।