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नारी काम-विमुखता: बुझते यौवन में भरें जवानी का जोश..


नारी काम-विमुखता: बुझते यौवन में भरें जवानी का जोश..

नारी काम विमुखता:
बुझते यौवन में  भरें जवानी का जोश.
                                        
                                                
                                         क्या भोजन पदार्थों में ऐसे तत्व पाये जाते हैं जो स्त्री की ठंडी पड चुकी सेक्स भावना low libido को पुन: जाग्रत करने की सामर्थ्य रखते हो। क्या विटामिन्स इस मामले में उपयोगी हो सकते हैं? 

अनुभवी चिकित्सकों का मत है कि मेनोपोज(ऋतु निवृत्ति) के बाद हारमोन संतुलन बिगड जाने से स्त्रियां सेक्स-विमुख हो जाती हैं।उनके पुरुष के प्रति आकर्षण में गिरावट आ जाती है।

     महिलाओं में लगातार सेक्सुअल अराऊजल के बाद भी  ओर्गास्म के ना आने को  ओर्गेज्मिक डिसआर्डर कहा जाता है। ओर्गास्म फ़ेज तक पहुंचने में जो समय लगता है उसे क्लाईमेक्स कहते हैं। कुछ महिलाएं कभी भी क्लाईमेक्स  तक  नहीं पहुंच पाती हैं। जबकि कुछ महिलाएं ऐसी होती है जो सिर्फ़ हस्त मैथुन से  ही क्लाईमेक्स तक पहुंच जाती हैं। कुछ महिलाओं में भगनासा और यौनि  को भी सहलाकर उत्तेजित करने की जरूरत पड सकती है। ऐसा करने से महिलाएं अपने पार्टनर के साथ क्लाईमेक्स  तक पहुंच जाती हैं।
     
        बहुत सी स्त्रियों में तो मेनोपोज के पहिले ही काम वासना का स्तर बहुत नीचे आ जाता है। दूसरी और पुरुष का सेक्स ड्राईव बना रहता है।पुरुषों का यौन सक्रियता काल महिलाओं की बनिस्बत ज्यादा लंबा होता है। जो लोग ज्यादा सेक्स-सक्रिय रहते हैं उनके अधिक स्वस्थ रहने की उम्मीद ज्यादा रहती है।

     पुरुषों में अच्छे स्वास्थ्य का संबंध उनकी यौन सक्रियता से जुडा रहता है।  स्वस्थ-यौन संबंध पुरुषों और महिलाओं में एक समान नहीं होते हैं। अगर एक पुरुष ५५ साल की उम्र तक पूरी तरह स्वस्थ है और यौन सक्रियता कायम है तो उसके जीवन में यौन सक्रियता ५-७ साल और बढ जाया करती है।

     लेकिन महिलाओं के मामले में अच्छे स्वास्थ्य की महिला का सेक्स जीवन खराब स्वास्थ्य वाली महिला की तुलना में सिर्फ़ ३ या ४ साल बढता है।

चिकित्सा विग्यान का सबसे ज्यादा ध्यान पुरुषों के से़क्स ड्राईव को बढाने वाली दवाओं की खोज में लगा हुआ है।

महिलाओं मे सेक्स के प्रति अनिच्छा( loss of libido) दूर करने वाले तत्वों की खोज भी अहम विषय है। यह समझ लेना जरूरी है कि स्त्री हो या पुरुष सेक्स में संतुष्टि का स्तर सबका अलग-अलग होता है।

महिलाओं में सेक्स की ईच्छा को बढावा देने के लिये कुदरती पदार्थों और भोजन का विशेष महत्व है। स्त्री का सेक्स ड्राईव बढाने के लिये विटामिन ब१,ब२ और ब३ की खास भूमिका मानी गई है।

    विटामिन ब१ सूखेमेवों और अनाजों में मिलताहै। विटामिन ब२ मुख्यत: केला,ब्रोकोली और मांस में पाया जाता है। विटामिन ब३ रक्त संचार बढाने के लिये और सेक्स हार्मोन की उत्पत्ति में सहायता करता है।

विटामिन ई सेक्स हार्मोन पैदा करने और परिसंचरण तंत्र को मजबूत बनाता है। यह विटामिन अनाजों ,फ़लों और हरी सब्जीयों में प्रचुरता से पाया जाता है।

  एक मेडीकल रिसर्च का निष्कर्ष है कि वियाग्रा गोली स्त्रियों में सेक्स शक्ति (sex power)बढाने के लिये इस्तेमाल की जा सकती है।लेकिन यह प्रभाव कुछ ही स्त्रियों पर देखने को मिला है। इसे काम क्रीडा में प्रवृत होने के एक घंटे पूर्व लेना चाहिये। शतावर  का प्रयोग अच्छे परिणाम देता है। सफ़ेद मूसली स्त्रियों के सेक्स ड्राईव बढाने की बेजोड औषधि है।
कामोद्दीपक तत्व aphrodisiacs भोजन के माध्यम से प्राप्त करना उचित है। इन तत्वों से स्त्री में टेस्टोस्टरोन.एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टरोन हार्मोन का लेविल संतुलित बनाने में मदद मिलती है। ये हार्मोन स्त्री की लिबिडो याने कामेच्छा बरकरार रखने के लिये उत्तरदायी होते हैं। यहां अब उन पदार्थों का विवेचन करेंगे जिन्हें महिलाओं को भोजन में प्रचुरता से शामिल करने की चिंता रखनी चाहिये-







१) केला,स्ट्राबेरी, आम ये फ़ल नियमित लेते रहना चाहिये।स्त्री की लिबिडो वृद्धि करने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहता है।






२) भोजन में गाजर,अदरक,लहसुन और अन्य सब्जीयां शामिल करें।












३) सूखे मेवे जैसे बादाम,मूंगफ़ली,छुआरे में कामोद्दीपक तत्व पाये जाते हैं। इनका उपयोग करें।





४) सोयाबीन, जौ, अजवाईन,अंडा,मक्खन और मशरूम सेक्स ड्राईव बढाने में सहायक हैं।








५) ओमेगा ३ फ़ेट्टी एसीड का कामेच्छा जाग्रत करनेमें विशेष योगदान है।मछलियों में यह तत्व ज्यादा मिलता है। शाकाहारी १५ ग्राम अलसी का तेल रोज लेकर इस तत्व की पूर्ति करें।



    यह भी हो सकता है कि स्त्रियों की सेक्स-विमुखता कारण उनकी जीवन शैली और खान-पान हो। भोजन वस्तुओ में मामूली बदलाव करने से वे भरपूर सेक्स का आनंद लेने में कामयाब हो सकेंगी। संतुष्टिप्रद सेक्स ड्राईव के लिये सबसे महत्वपूर्ण बात शरीर में आदर्श रक्त संचार का होना है।







  स्त्रियों में सेक्स लिबिडो बढाने के लिये विटामिन किस प्रकार उपयोगी हैं-

विटामिन ए -- यह विटामिन नारी में एस्ट्रोजिन हार्मोन पैदा करने में सहयोगी है,जो स्त्री में काम-भावना जागृत करने के लिये उत्तरदायी माना गया है। वैसे तो यह हार्मोन स्त्री की ओवरी में पैदा होता है और जब
एस्ट्रोजन पर्याप्त मात्रा में रक्त संचार में आता है तो स्त्री में सेक्स के लिये लपक बढ जाती है। यह विटामिन गोली के रूप में या भोजन के माध्यम से लिया जा सकता है।

विटामिन ब२-- यह विटामिन स्त्री की लिबिडो में वृद्धि के लिये जरूरी है। इससे स्त्री की योनि में सूखापन समाप्त होकर चिकनाई पैदा होती है और स्त्री सहवास के लिये तैयार हो जाती है। कई औरतें योनि के भीतर और बाहरी हिस्से में रुक्षता( सूखापन) मेहसूस करती हैं जिससे संभोग क्रिया में कष्ट होता है अत: पुरुष के सानिध्य से बचना चाहती हैं। इस समस्या के निदान हेतु विटामिन ब २ लेना हितकर है। इससे योनि गुहा मे व्यवस्थित लुब्रिकेशन याने चिकनाई बनी रहती है। यह विटामिन मल्टी विटामिन गोली- केप्सुल के रूप में ले सकते हैं।

विटामिन बी ६ -यह विटामिन स्त्री के खून में आवश्यक एस्ट्रोजिन की मात्रा बनाये रखने में मददगार है। उम्र बढने पर एस्ट्रोजिन उत्पादन में कमी हो जाती है और सेक्स के प्रति अनिच्छा जाग्रत हो जाती है। लेकिन शरीर में बी ६ विटामिन का उच्च स्तर बनाये रखने से स्त्री शरीर में एस्ट्रोजिन की कमी नहीं होती है। इस विटामिन से मासिक धर्म के कष्टों का निवारण भी होता है और स्त्री का मूड बनाने में भी सहायता करता है।


विटामिन बी१२-- यह विटामिन स्त्री में कामोद्दीपन के लिये बेहद जरूरी है। नाडीमंडल की सुचारु कार्य प्रणाली के लिये अति आवश्यक है। स्त्री की क्लिटोरिस(भगनासा) पुरुष में लिंग के समकक्ष अंग है और इसमें बहुसंख्य नाडियों के अंतिम छोर होते हैं। जब भगनासा के नाडी तंतु उत्तेजित किये जाते हैं तो वे दिमाग को संकेत भेजते हैं और दिमाग फ़ोरन स्त्री के गुप्तांगो की ओर अधिक रक्त संचार का आदेश देता है। स्त्री के गुप्तांगो में पर्याप्त रक्त संचार होना मैथुन के लिये आवश्यक प्रक्रिया है। इस प्रकार स्त्री की लिबिडो बढाने में विटामिन बी १२ की महती भूमिका है। इस विटामिन की अल्पता से भगनासा सहज ही उत्तेजित नहीं होती और स्त्री को चरम आनंद की अनुभूति नहीं होती है।

विटामिन सी -- यह विटामिन भी नारी में कामोद्दीपन के लिये आवश्यक है। यह खून की नलियों को स्वस्थ रखता है और विशे्षकर स्त्री के गुप्तांगों के रक्त संचार को चुस्त-तंदुरस्त बनाये रखता है। भगनासा,योनि गुहा और बाहर्री मांसल भाग में अधिक रक्त भरने से यह हिस्सा फ़ूल जाता है और आनंद दायक काम-क्रीडा की भूमिका तैयार हो जाती है। यह विटामिन गोली के रूप में अथवा भोजन के माध्यम से लिया जा सकता है।खट्टे फ़लों में यह प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
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