शीघ्रपतन में ये सावधानिया रखनी चाहिये
सावधानी (Caution)
अगर शरीर के अंदर खून की कमी होने के कारण शीघ्रपतन का रोग होता है तो जितनी भूख लगे उससे कम ही भोजन करना चाहिए। भोजन में दारू, मांस, घी, आलू, उड़द की दाल जैसे भारी पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। रोगी को अनार, अंगूर, मसूर, सिरका, शिकंजी आदि जल्दी पचने वाली चीजों का सेवन करना चाहिए।
अगर शरीर में पित्त बढ़ाने वाले भोजन करने के कारण संभोग क्रिया के समय स्खलन जल्दी हो जाता है और वीर्य निकलने में जलन होती है तो खसखस का शर्बत पीना चाहिए या ईसबगोल की भूसी को फांककर उसके ऊपर से गाय का शुद्ध दूध पीना चाहिए।
इससे पित्त के कारण होने वाले विकार दूर होते हैं और संभोग करने की शक्ति तेज होती है।
यदि खुश्की, कब्ज या ठंड लगने के कारण शीघ स्खलन हो जाता हो तो सबसे पहले उल्टी और दस्त लाने वाली औषधियों का सेवन करके पेट को साफ कर लेना चाहिए।
अगर शारीरिक अवयवों की कमजोरी के कारण संभोग क्रिया के समय शीघ्र स्खलन हो जाता है तो रोगी के शरीर को ताकत देने वाले, वीर्य बढ़ाने वाले और दिमाग को ताजा रखने वाले पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
जैसे- मलाई, सूजी का हलवा, मक्खन, खीर, शहद, पेठे की मिठाई, काजू-बादाम, किशमिश, आलू, परवल, गेंहू के चोकर के आटे की रोटी आदि।
शीघ्रपतन के रोगी या साधारण व्यक्तियों को ज्यादा भोजन करने के तुरंत बाद ही या खाली पेट संभोग नहीं करना चाहिए।
शीघ्रपतन रोग से ग्रस्त रोगी के लिए शीर्षासन करना काफी लाभकारी रहता है।
शीघ्रपतन से ग्रस्त रोगी को संभोग करने से पहले स्त्री के साथ प्राक-क्रीड़ा करते समय भी अपने मन को सेक्स संबंधी विषयों से दूर रखना चाहिए क्योंकि अगर मन में ऐसे विचार तेज गति से घूमेंगे तो लिंग में उत्तेजना पैदा करने वाली गिल्टियां जल्दी थककर अपनी पकड़ ढीली कर देंगी और वीर्यपात जल्द ही हो जाता है।
शीघ्रपतन से ग्रस्त रोगी अगर ज्यादा से ज्यादा समय संभोग क्रिया से दूर रहे तो इससे उसके शरीर में ताकत पैदा होगी और शीघ्रपतन का प्रकोप कम होगा। इसके लिए 4-5 महीने तक अपने मन को योग आदि में लगाकर स्त्री के विचारों से बिल्कुल ही दूर रखें।
शीघ्रपतन से ग्रस्त रोगी को रोजाना नंगे पांव ओस वाली घास पर घूमना चाहिए। घूमने के 15-20 मिनट के बाद पैरों को ठंडे पानी से धो लें और नहाते समय कमर के नीचे के भाग पर ठंडे पानी की धार डालें।
घर के अंदर लकड़ी की खड़ाऊ पहनकर चलना भी रोगी के लिए लाभकारी रहता है।
पैर के अंगूठे और उसके साथ वाली उंगली के बीच वाले भाग पर सरसों के तेल की मालिश करना भी शीघ्रपतन से ग्रस्त रोगियों के लिए लाभकारी रहता है।
शीघ्रपतन के रोगी को रोजाना सुबह ताजी हवा में घूमने और व्यायाम करने से लाभ मिलता है।शीघ्रपतन रोग से ग्रस्त होने पर सबसे पहले इस रोग के होने के कारणों को पता करके उन्हें दूर करना चाहिए जैसे नपुंसकता, वीर्यविकार, स्वप्नदोष, लिंग का ढीलापन, लिंग का छोटा या टेढ़ा-मेढ़ा होना, बिना उत्तेजना के ही वीर्य निकल जाना, स्त्री का ठंडापन, प्रमेह।
शीघ्रपतन होने के कारणों ऐसे कारणों को समाप्त करने के लिए संभोग में नियमित और दीर्घकालिक संयम, पथ्यापथ्य और उपचार की जरूरत पड़ती है
इसलिए किसी भी उपचार को शुरू करने के बाद बीच में नहीं छोड़ना चाहिए।