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कब्ज को दूर करने के 60 घरेलु उपाय (CONCEPTIONS)

       कब्ज
(CONCEPTIONS)
परिचय :
कब्ज से अभिप्राय है, कि मल-त्याग न होना, मल-त्याग कम होना, मल में गांठें निकलना, लगातार पेट साफ न होना, रोजाना टट्टी नहीं जाना, भोजन पचने के बाद पैदा मल पूर्ण रूप से साफ न होना, टट्टी जाने के बाद पेट हल्का और साफ न होना आदि को कब्ज कहते हैं।
कारण :
खानपान सम्बंधी गलत आदतें जैसे- समय पर भोजन न करना, बासी और अधिक चिकनाई वाला भोजन, मैदा आदि से बनाया गया मांसाहारी भोजन, भोजन में फाइबर की कमी, अधिक भारी भोजन अधिक खाना, शौच को रोकने की आदत, शारीरिक श्रम न करना, विश्राम की कमी,
मानसिक तनाव (टेंशन), आंतों का कमजोर होना, पानी की कमी, गंदगी में रहना, मादक द्रव्यों का सेवन, एलोपैथी दवाइयों के दुष्प्रभाव के कारण, भोजन के साथ अधिक पानी पीने, मिर्च-मसालेदार तथा तले हुए पदार्थ जैसे-पूरी-कचौड़ी, नमकीन, चाट-पकौड़े खाने, अधिक गुस्सा, दु:ख आलस्य आदि कारणों से कब्ज हो जाती है।
लक्षण :
कब्ज से पीड़ित रोगी को अनेक प्रकार के लक्षण माने जाते हैं। जैसे- पेट में भारीपन होना , पेट में दर्द, भोजन में अरुचि (भोजन अच्छा न लगना), सुस्ती और बेचैनी, जी मिचलाना , सिर में दर्द होना, पेट में दर्द होना, चक्कर आना , खांसी, श्वास (दमा), बवासीर (अर्श) आदि।
भोजन तथा परहेज :
दालों में मूंग और मसूर की दालें, सब्जियों में कम से कम मिर्च-मसालें डालकर परवल , तोरई,
टिण्डा , लौकी, आलू , शलजम, पालक और मेथी आदि को खा सकते हैं। आधे से ज्यादा चोकर मिलाकर गेहूं तथा जौ की रोटी खाएं। भूख से एक रोटी कम खाएं।
अमरूद, आम, आंवला, अंगूर, अंजीर , आलूचा, किशमिश, खूबानी और आलूबुखारा, चकोतरा और संतरे,
खरबूजा, खीरा, टमाटर , नींबू, बंदगोभी, गाजर , पपीता, जामुन , नाशपाती, नींबू, बेल , मुसम्मी, सेब आदि फलों का सेवन करें। दिन भर में 6-7 गिलास पानी अवश्य पीयें। मूंग की दाल की खिचड़ी खायें। फाइबर से बने खाने की चीजें का अधिक मात्रा में सेवन करें, जैसे- फजियां, ब्रैन (गेहूं, चावल और जई आदि का छिलका), पत्ते वाली सब्जियां, अगार, कुटी हुई जई, चाइनाग्रास और ईसबगोल आदि को कब्ज से परेशान रोगी को खाने में देना चाहिए।
तले पदार्थ, अधिक मिर्च मसाले, चावल , कठोर पदार्थ, खटाई, रबड़ी, मलाई, पेड़े आदि का सेवन न करें। कब्ज दूर करने के लिए हल्के व्यायाम और टहलने की क्रिया भी करें। पेस्ट्रियां, केक और मिठाइयां कम मात्रा में खानी चाहिए।
विभिन्न औषधियों से उपचार-
1. त्रिफला (छोटी हरड़, बहेड़ा
तथा आंवला) :
त्रिफला का चूर्ण 5 ग्राम की मात्रा में लेकर हल्के गर्म पानी के साथ रात को सोते समय लेने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) समाप्त होती है।
त्रिफला का चूर्ण 6 ग्राम को शहद में मिलाकर रात में खा लें, फिर ऊपर से गर्म दूध पीने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।
त्रिफला 25 ग्राम, काली हरड़ 25 ग्राम, सनाय 25 ग्राम, गुलाब के फूल 25 ग्राम, बीज रहित मुनक्का 25 ग्राम, बादाम की गिरी 25 ग्राम, काला दाना 25 ग्राम और वनफ्शा 25 ग्राम को आदि लेकर अच्छी तरह पीस लें। इस मिश्रण को गर्म दूध के साथ पीने से कब्ज के रोग को समाप्त करता है।
त्रिफला (छोटी हरड़, बहेड़ा तथा आंवला) तीनों को एक समान मात्रा में लेकर इसका चूर्ण तैयार कर लेते हैं। फिर रोजाना रात में सोते समय 2 चम्मच चूर्ण गर्म दूध या गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज दूर हो जाती है।
1 चम्मच त्रिफला के चूर्ण को गर्म पानी के साथ सोने से पहले सेवन करने से कब्ज में आराम मिलता है।
50 ग्राम त्रिफला, 50 ग्राम बादाम की गिरी, 50 ग्राम सौंफ, 10 ग्राम सोंठ और 30 ग्राम मिश्री आदि को अलग-अलग जगह कूट लें। इन सबको मिलाकर 6 ग्राम को खुराक के रूप में रात को सोने पहले पी लें।
त्रिफला गुग्गुल की 2-2 गोलिया दिन में 3 बार (सुबह, दोपहर और शाम) गर्म पानी के साथ देने से पुरानी कब्ज़ मिट जाती है।
त्रिफला के चूर्ण को कुछ घण्टे तक पानी में भिगोकर, छानकर उसका पानी पीने से भी गैस की शिकायत नहीं रहती है।
15 से 20 मुनक्का को 250 ग्राम दूध और 250 मिलीलीटर पानी में डालकर उबाल लें और जब केवल दूध बच जाये, तब इसे उतार दे। मुनक्के को खाकर ऊपर से दूध को पीने से कब्ज की शिकायत में लाभ होता है।
2. मुनक्का :
रोजाना प्रति 10 मुनक्का को गर्म दूध में उबालकर सेवन करने से लाभ मिलता है।
3 पीस मुनक्का, 20 ग्राम किशमिश और एक अंजीर को शाम के दौरान 250 मिलीलीटर पानी में भिगो दें। सुबह उठकर इन सभी को मसलकर उसमें थोड़ा पानी मिलाकर छान लें। बाद में इसमें एक नींबू का रस निचोंड़ दें और 2 चम्मच शहद को मिलाकर पीने से कुछ ही दिनों कब्ज़ में लाभ मिलता है।
मुनक्का का ताजा रस 28 मिलीलीटर से 56 मिलीलीटर को चीनी या सेंधानमक मिलाकर पीने से कब्ज दूर हो जाती है।
मुनक्का को रात को सोने से पहले गर्म दूध के साथ पीने से लाभ होता है।
3. सेब :
सेब, अंगूर या पपीता खाने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) में राहत मिलती है।
सेब का रस पाचन अंगों पर एक पतली तह चढ़ाता है जिससे वे संक्रमण और बदबू से बचे रहते हैं और वायु पैदा होना रुक जाता है। मलाशय और निचली आंतों में बदबू और संक्रमण नहीं होता है। सेब का रस पीने के बाद गर्म पानी पीना चाहिए।
खाली पेट या खाना खाने के बाद सेब खाने से कब्ज होती है। सेब का छिलका दस्तावर या पेट को साफ करने वाला होता है इसलिए रोगियों को सेब छिलके सहित ही खाना चाहिए।
खाली पेट सेब छिलके सहित खाने से कब्ज ठीक हो जाती है।
4. आंवला :
सूखे आंवले का चूर्ण रोजाना 1 चम्मच की मात्रा में खाना खाने के बाद ने से लाभ होता हैं।
1 चम्मच आंवले का चूर्ण शहद के साथ रात में लें।
आंवले के फल का चूर्ण यकृत बढ़ने, सिर दर्द, कब्ज, बवासीर व बदहजमी रोग में त्रिफला चूर्ण के रूप में प्रयोग किया जाता है। 3 से 6 ग्राम की मात्रा में त्रिफला चूर्ण फंकी गर्म पानी के साथ रात में सोते समय लेने से कब्ज मिटता है।
रात को एक चम्मच पिसा हुआ आंवला पानी या दूध से लेने से सुबह दस्त साफ आता है, कब्ज नहीं रहती। इससे आंत तथा पेट साफ हो जाता है।
आंवले का मुरब्बा खाकर ऊपर से दूध पीने से कब्ज समाप्त हो जाती है।
आंवला, हरड़ और बहेड़ा का चूर्ण बनाकर गर्म पानी के साथ लें।
ताजे आंवले का रस शहद के साथ लेने से पेट खाली होता है।
आंवला की चटनी खायें
5. टमाटर :
कच्चा टमाटर सुबह-शाम खाने से कब्ज दूर होती है।
टमाटर खाने से कब्ज मिटती है और आमाशय व आंतों में जमा मल, पदार्थ निकालने में और अंगों को कार्य करने में मदद करता हैं।
टमाटर के रस में थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर रोजाना खाने से गैस नहीं बनती है।
पके टमाटर का रस एक कप पीने से पुरानी से पुरानी कब्ज दूर होती है और आंतों को ताकत भी मिलती है।
कब्ज की बीमारी से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन लगभग 50 ग्राम टमाटर खाने चाहिए।
पके टमाटर के रस का सूप 1 कप प्रतिदिन पीने से आंतों में जमा हुआ सूखा मल मुक्त होता है और पुराना कब्ज खत्म हो जाता है।
6. बैंगन : बैंगन व पालक का सूप पीने से कब्ज मिटती है और पाचन-शक्ति बढ़ती है।
7. शहद : 2 चम्मच शुद्ध शहद को दूध के साथ सोने से पहले सेवन करने से सुबह शौच आती है।
8. आम : आम को खाने के बाद दूध पीने से शौच खुलकर आती है और पेट साफ हो जाता है।
9. चना :
1 या 2 मुट्ठी चने को धोकर रात को भिगो दें। प्रात:काल जीरा और सोंठ को पीसकर चनों पर डालकर खाएं। घंटे भर बाद चने भिगोये हुए पानी को भी पी लें। इससे कब्ज दूर होगी।
अंकुरित चना, अंजीर और शहद को मिलाकर या गेहू के आटे में चने का मिश्रण कर रोटी खाने से कब्ज मिटती है।
रात को लगभग 50 ग्राम चने भिगो दें। सुबह इन चनों को जीरा तथा नमक के साथ खा लें।
10. नमक :
रात को तांबे के बर्तन में पानी भरकर रख दें। उसमें 1 चुटकी की मात्रा में नमक डालकर सुबह के समय सेवन करने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
50 ग्राम नमक या कालानमक, लाहौरी नमक 10 ग्राम, अजवायन 5 ग्राम, भुनी हींग 10 ग्राम, त्रिफला व सौंफ 50-50 ग्राम को पीसकर छान लें। इस चूर्ण को खाना खाने के बाद 5 ग्राम गर्म पानी से लें। इससे कब्ज दूर हो जाती है।
काला नमक, अजवाइन, छोटी हर्र और सौंठ को बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक पीसकर रख लें। रात को खाने से 1 घण्टे बाद 1 चम्मच गर्म पानी से फंकी लेने से कब्ज दूर होती है और आराम मिलता है।
1 से 2 ग्राम नमक को गुनगुने पानी में रोज रात को पीने से कब्ज की शिकायत नहीं रहती हैं, क्योंकि इसको पीने से आंते साफ रहती हैं। शौच खुलकर आती है और पुरानी से पुरानी कब्ज चली जाती है।
कालानमक और छोटी हरड़ को पीसकर गर्म पानी के साथ खाना खाने के पहले 1 से 2 चम्मच की मात्रा में लेने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
नमक, 4 कालीमिर्च के पीस, 4 लौंग के पीस आधी कटोरी पानी में उबालकर पीने से कब्ज में राहत प्राप्त होती है।
11. गिलोय :
गिलोय का मिश्रण या चूर्ण 1 चम्मच गुड़ के साथ खाने से कब्ज दूर होती है।
गिलोय का बारीक चूर्ण को गुड़ के साथ बराबर की मात्रा में मिलाकर 2 चम्मच सोते समय सेवन करने से कब्ज का रोग दूर हो जाता है।
12. लहसुन :
साग-सब्जियों में लहसुन को मिलाकर खाने से कब्ज नहीं रहती है।
पेट में गैस बनने पर सुबह 4 कली लहसुन की खाये इससे पाचन शक्ति बढ़ती है और गैस दूर होती है।
1 पुतिया लहसुन की कली और सोंठ 250 ग्राम अलग-अलग पीसकर आधा किलो शहद में मिलाकर रख लें। 10-10 ग्राम की मात्रा में यह मिश्रण खाने से वायु की पीड़ा मिटती है।
13. गाजर :
गाजर, मूली, प्याज, टमाटर, खीरा व चुंकदर का सलाद बनाकर, नींबू का रस और सेंधानमक मिलाकर सेवन करने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) में लाभ होता है।
गाजर के रस का रोजाना सेवन करने से कोष्ठबद्धता (कब्ज) ठीक हो जाती है। ऐसे व्यक्ति अर्श (बवासीर) रोग से सुरक्षित रहते हैं।
गाजर या संतरे का 200 मिलीलीटर रस दिन में 2-3 बार पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) मिटती है।
कच्ची गाजर 250 ग्राम को रोजाना खाली पेट खाने से कब्ज नहीं होती है, भूख अच्छी तरह लगती है।
गाजर व हरड़ का मुरब्बा खाने से पेट में गैस नहीं रुक पाती है।
14. पालक : पालक, मेथी, बथुआ या चौलाई की सब्ज़ी खाने से कब्ज़ (कोष्ठबद्धता) से राहत मिल जाती हैं।
15. घी :
घी के साथ काकजंघा को मिलाकर पीने से वायु के रोगों में लाभ होता है।
घी में कालीमिर्च मिलाकर गर्म दूध में घी के साथ पीने से आंतों में रुका मल नरम और ढीला हो करके बाहर निकल जाता है।
16. बड़ी इलायची : बड़ी इलायची के दाने 250 ग्राम, इन्द्रायण की गिरी बिना बीजों का 10 ग्राम की मात्रा में पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर सुबह-शाम देने से पेट की गैस कम हो जाती है।
17. फूलगोभी :
रात को सोते समय गोभी का रस पीने से कब्ज के रोग में लाभ होता है।
आधा गिलास फूल की गोभी के रस को सोने से पहले पीने से कब्ज में लाभ होता है।
18. पत्ता गोभी (करम कल्ला) :
पत्तागोभी के रस को रोजाना पीने से पुरानी कब्ज दूर हो जाती है। शरीर में मौजूद दोषों (कमियों) को मल के द्वारा बाहर निकाल देता है।
पत्तागोभी (करमकल्ले) के कच्चे पत्ते रोजाना खाने से पुराना कब्ज दूर हो जाता है। शरीर में मौजूद विजातीय पदार्थ और दोष-पूर्ण पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।
पत्तागोभी को कच्चा खाने से आंतों की कमजोरी के साथ गैस की शिकायत भी दूर होती है।
19. खरबूजा : कब्ज में पका हुआ खरबूजा खाने से कब्ज मिटती है।
20. बथुआ :
बथुआ की साग-सब्जी बनाकर रोजाना खाते रहने से कब्ज की शिकायत कभी नहीं होती है। यह आमाशय को ताकत देता है। इससे शरीर में ताकत व स्फूर्ति आती है।
बथुआ को उबालकर इच्छानुसार चीनी मिलाकर एक गिलास सुबह-शाम पीने से कब्ज में आराम मिलता है।
बथुआ आमाशय को ताकत देता है और कब्ज दूर करता है। यह पेट को साफ करता है। अत: कब्ज वालों को बथुए का साग रोज खाना चाहिए। कुछ हफ्ते लगातार बथुआ का साग खाते रहने से हमेशा होने वाला कब्ज दूर हो जाता है।
बथुआ और चौलाई की भुजी को मिलाकर सेवन करने से कब्ज नष्ट होती है।
21. चौलाई : चौलाई की सब्जी खाने से कब्ज में लाभ मिलता है।
22. मूंग :
चावल और मूंग के दाल की खिचड़ी खाने से कब्ज़ में आराम होता है।
चावल और मूंग की खिचड़ी खाने से कब्ज दूर होती है। 20 ग्राम मूंग की दाल और 10 ग्राम चावल की खिचड़ी बनाएं। फिर इसमें नमक मिलाकर और घी डालकर खाने से कब्ज दूर होकर दस्त साफ आता है।
23. मसूर की दाल : मसूर की दाल खाने से कब्ज में लाभ होता है।
24. तरबूज : तरबूज कुछ दिनों तक सेवन करने से पेट की कब्ज दूर हो जाती है।
25. तिल :
60 ग्राम तिल को कूटकर रख लें, फिर इसमें समान मात्रा में गुड़ मिलाकर खाने से कब्ज समाप्त होती है।
लगभग 6 ग्राम तिल को पीसकर रख लें, फिर इसमें मीठा मिलाकर खाने से कब्ज मिटता है। तिल, चावल और मूंग की दाल की खिचड़ी भी कब्ज को दूर करती है।
तिल का छिलका उतारकर, मक्खन और मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर सुबह-सुबह खाने से कब्ज दूर हो जाती है।
तिल, चावल और मूंग की दाल की खिचड़ी को खाने से पेट में गैस नहीं रहती है।
26. सज्जीखार : सज्जीखार 3 ग्राम, 3 ग्राम पुराना गुड़ दोनों को मिलाकर रगड़कर छोटी गोलियां बना लें। रोजाना सुबह 1 गोली खुराक के रूप में सेवन करने से कब्ज की बीमारी समाप्त हो जाती है।
27. आक (मदार) :
आक की जड़ को छाया में सुखाकर पीस लें। फिर लगभग 1ग्राम का चौथा भाग से लेकर लगभग आधा ग्राम तक खुराक के रूप में खाकर, ऊपर से दूध को पीने से पेट में मौजूद वायु के गोले नष्ट होते हैं।
आक के पत्ते को बांधने से पेट साफ हो जाता है।
28. दाख : दाख, हरड़ और चीनी या सेंधानमक मिलाकर खाने से लाभ होता है।
29. कोयली का बीज : कोयली के बीज 4 से 6 ग्राम, नमक और सोंठ के साथ पीसकर खाने से पेट साफ हो जाता है।
30. पीपल :
पीपल के 5-10 फल को रोजाना खाने से कब्ज का रोग मिट जाता है।
पीपल के पत्ते और कोमल कोपलों का 40 मिलीलीटर काढ़ा पिलाने से विरेचन (पेट साफ करने वाला) लगता है।
पीपल के पेड़ का फल और नई कोपलें खाने से पेट मल का रुकना दूर हो जाता है।
31. अंकोल : अंकोल की जड़ का चूर्ण खाने से पेट की कब्ज में आराम मिलता है।
32. ढाक : ढाक के 20 पत्तों को ताजे पानी में पीसकर मरीज को दें, यदि दर्द हल्का हो जाये तो एक बार फिर इसी मात्रा में देने से वायु (गैस) के रोग में राहत देता है।
33. नागदोन : नागदोन और हरड़ का चूर्ण खाने से लाभ होता है।
34. बड़ी पीलू : बड़ी पीलू के पत्तों का काढ़ा बनाकर पीने से पेट साफ हो जाता है।
35. दही : दही का तोड़ (खट्टा पानी) पीने से कब्ज दूर हो जाती है।
36. दूध :
250 मिलीलीटर गाय का दूध, 250 ग्राम पानी और 5 कालीमिर्च साबुत लेकर आग पर चढ़ा दें और जब पानी जल जाये, तब उतारकर छान लें। इसमें मिश्री मिलाकर पीने से वायुगोला का दर्द मिट जाता है।
गर्म दूध के साथ ईसबगोल की भूसी या गुलकंद लेने से शौच खुलकर आता है। बवासीर रोग से ग्रस्त रोगियों को भी इसका सेवन करना चाहिए। गाय का ताजा दूध तलुवों पर रगड़ने से बवासीर में राहत मिलती है।
गर्म दूध के साथ 2 चम्मच गुलाब का गुलकंद या ईसबगोल की भूसी रात को लेने से शौच खुलकर आता है।
कब्ज होने पर दूध और घी का सेवन भी कर सकते हैं।
दूध में घी या मुनक्का डालकर सेवन करने से कब्ज नहीं होता है।
2 चम्मच गुलकंद को गर्म दूध में डालकर सोने से पहले पीने से सुबह शौच खुलकर आती है।
250 मिलीलीटर दूध में 4 चम्मच ईसबगोल की भूसी डालकर पीने से मल ढीला होकर निकल जाता है।
ईसबगोल 20 ग्राम को दूध के साथ रात में सोने से 30 मिनट पहले सेवन करने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) समाप्त हो जाती है।
ईसबगोल के बीज की भूसी 1 से 2 चम्मच रात को पानी में भिगो दें सुबह उठकर मिश्री में मिलाकर शर्बत बना लें। फिर इसे पीने से पेट की आंते फूल जाती हैं जिससे मल आसानी से बिना किसी रुकावट के बाहर निकल जाता है। ध्यान रहे कि भूसी को बिना भिगोये सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह कभी-कभी कष्ट को बढ़ा देता है।
37. सत्यानाशी :
सत्यानाशी की जड़ की छाल 10 ग्राम, कालीमिर्च 5 पीस लेकर पानी में पीस लेने से पेट के दर्द दूर हो जाता है।
1 ग्राम से 3 ग्राम तक सत्यानाशी के तेल को पानी में डालकर पीने से पेट साफ हो जाता है।
सत्यानाशी की जड़ की छाल 6 से 10 ग्राम तक पानी के साथ खाने से शौच साफ आती है।
पीले धतूरे के बीजों से प्राप्त तेल की 30 बूंदों को दूध में मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से कब्ज दूर होती है।
38. चाकसू : चाकसू के बीजों को पीसकर चूर्ण बनाकर खाने से पुरानी कब्ज मिट जाती है।
39. मिट्टी :
कपड़े को पानी से गीला कर लें, उस पर गीली मिट्टी का लेप करके दोबारा इस पर फिर कपड़ा बांधें। रातभर इस तरह पेट पर गीली मिट्टी की पट्टी को पेट पर रखने से कब्ज दूर हो जाती है तथा पेट साफ हो जाता है।
पेट पर गीला कपड़ा बिछायें। फिर उस पर गीली मिट्टी का लेप करके मिट्टी बिछाकर कपड़ा बांधे। रातभर इस तरह पेट पर गीली मिट्टी रखने से कब्ज दूर होगी। मल बंधा हुआ तथा साफ आयेगा।
40. मुलहठी :
मुलहठी 5 ग्राम को गुनगुने गर्म दूध के साथ सोने से पहले पीने से सुबह शौच साफ आती है।
पिसी मुलहठी 125 ग्राम, पिसी सोंठ 3 चम्मच, पिसे गुलाब के सुखे फूल 2 चम्मच, 1 गिलास पानी में उबालकर ठण्डा होने पर छानकर सोते समय रोजाना पीने से पेट में जमा कब्ज और आंव (एक तरह का चिकना सफेद मल) निकल जायेगा।
41. नीम :
नीम के सूखे फल को रात में गर्म पानी के साथ खाने से शौच खुलकर आती है।
नीम के फूलों को सुखाकर पीसकर रख लें। इस चूर्ण को रोजाना एक चुटकी रात को गर्म पानी के साथ लेने से कब्ज में लाभ होता है।
नीम की 20 पत्तियों को पीसकर 1 गिलास पानी में मिला लें, सुबह-सुबह इससे एक कुल्ला करके यह सारा पानी पीने से कब्ज नहीं रहती है।
42. ईसबगोल :
ईसबगोल 2 चम्मच, हरड़ 2 चम्मच, बेलक का गूदा 3 चम्मच आदि को पीसकर चटनी बना लें। सुबह-शाम इसमें से 1-1 चम्मच गर्म दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
रात को सोने से पहले ईसबगोल की भूसी को दूध के साथ लेने से सुबह शौच खुलकर आती है।
ईसबगोल 6 ग्राम को 250 मिलीलीटर गुनगुने दूध के साथ सोने से पहले पी लें। कभी-कभी ईसबगोल की भूसी लेने से पेट फूल जाता है। ऐसा बड़ी आंतों में ईसबगोल पर बैक्टीरिया के प्रभाव से पैदा होने वाली गैस से होता है। इसलिए ध्यान रखें कि ईसबगोल की मात्रा कम से कम ही लें, क्योंकि ईसबगोल आंतों में पानी को सोखती है, जिससे मल की मात्रा बढ़ती है और मल की मात्रा बढ़ने से आंतों की कार्यशीलता बढ़ जाती है, जिससे मल ठीक से बाहर निकल आता है। ईसबगोल लेने के बाद दो-तीन बार पानी पीना चाहिए। इससे ईसबगोल अच्छी तरह फूल जाता है। इसलिए ईसबगोल रात को ही लेना चाहिए और खाने के तुरंत बाद लें।
रानी आंव या आंतों की सूजन में 100-100 ग्राम बेल का गूदा, सौंफ, ईसबगोल की भूसी और छोटी इलायची को एक साथ पीसकर पाउडर बना लें। अब इसमें 300 ग्राम देशी खांड या बूरा मिलाकर कांच की शीशी में भरकर रख दें। इस चूर्ण की 2 चम्मच मात्रा सुबह नाश्ता करने के पहले ताजे पानी के साथ लें और 2 चम्मच शाम को खाना खाने के बाद गुनगुने पानी या गर्म दूध के साथ 7 दिनों तक सेवन करने से लाभ मिल जाता है। लगभग 45 दिनों तक यह प्रयोग करने के बाद बंद कर देते हैं। इससे कब्ज, पुरानी आंव या आंतों की सूजन के रोग दूर हो जाते हैं।
कोष्ठबद्धता (कब्ज) होने पर ईसबगोल को जल में घोलकर उसका लुबाव बनाकर उसमें बादाम का तेल मिलाकर पीने से बहुत लाभ मिलता है। कोष्ठबद्धता (कब्ज) दूर होने से पेट का दर्द भी नष्ट हो जाता है।
ईसबगोल भूसी के रूप में काम में आता है। यह कब्ज को दूर करता है। ईसबगोल के रेशे आंतों में पचते नहीं हैं तथा तरल पदार्थ सूखकर फूल जाते हैं और मल की निकासी शीघ्र करते हैं। इसका लुबाव आंतड़ियों को शीघ्र चलने में सहायता करता है जिससे मलत्याग में सहायता मिलती है। तीन चम्मच ईसबगोल गर्म पानी या गर्म दूध से रात को सेवन करने से कब्ज में लाभ मिलता है।
ईसबगोल के बीज की भूसी 1 से 2 चम्मच रात को पानी में भिगो दें सुबह उठकर मिश्री में मिलाकर शर्बत बना लें। इसे पीने से पेट की आंते फूल जाती हैं जिससे मल आसानी से बिना किसी रुकावट के बाहर निकल जाता है। ध्यान रहें कि भूसी को बिना भिगोये सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह कभी-कभी कष्ट को बढ़ा देता है।
गर्मी के दिनों में सुबह-शाम 3-3 चम्मच ईसबगोल की भूसी को मिश्री के मिले हुए जल में कुछ दिनों तक भिगोकर सेवन करने से कब्ज दूर हो जाता है।
43. करेला : करेला का रस 1 चम्मच, जीरा आधा चम्मच, सेंधानमक 2 चुटकी को पीसकर चटनी बनाकर कब्ज की शिकायत में खा सकते हैं।
44. कच्चा पालक : कच्चे पालक का रस रोज सुबह पीते रहने से कब्ज दूर होती है। पालक और बथुआ की सब्जी खाने से भी पेट की गैस कम हो जाती है।
45. शलगम : कच्चे शलगम को खाने से पेट साफ हो जाता है।
46. अंगूर :
खाना खाने के बाद लगभग 200 ग्राम अंगूर खाने से कब्ज नष्ट होती है।
कब्ज में अंगूर खाने से लाभ होता है।
47. धनिया :
धनिया 20 ग्राम और 20 ग्राम सनाय को रात में 250 मिलीलीटर पानी में भिगो दें। सुबह इसे छानकर, मिश्री मिलाकर पीने से कब्ज (पेट में गैस) को कम कर देता है।
हरे धनिये की चटनी में कालानमक मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
धनिया कब्ज तोड़ने में भी सहायता करता है। धनिये के चूर्ण से पुराना से पुराना कब्ज भी दूर हो जाता है। इसके लिए 50 ग्राम धनिया, 10 ग्राम सोंठ, 2 चुटकी कालानमक तथा 3 ग्राम हरड़ लेकर सभी चीजों को कूट पीसकर कपड़े से छानकर रख लेना चाहिए। इस चूर्ण को थोड़ी सी मात्रा में भोजन करने के बाद गुनगुने पानी से लें। इससे कब्ज नष्ट होता है और मल भी खुलकर आने लगता है। इससे पेट का दर्द भी कम हो जाता है और आंतों की खुश्की भी दूर हो जाती है। इससे भूख खुलकर आती है। मलावरोध समाप्त हो जाता है। यदि पुराना कब्ज हो तो इस चूर्ण को लगातार 40 दिनों तक लेना चाहिए। कब्ज न रहने पर भी यह चूर्ण लिया जा सकता है। इससे किसी भी प्रकार की हानि की संभावना नहीं होती है।
48. त्रिकुटा : त्रिकुटा (सोंठ, कालीमिर्च, छोटी पीपल) 30 ग्राम, त्रिफला (हरड़, बहेड़ा, आंवला), 50 ग्राम पांचों नमक, 10 ग्राम अनारदाना, 10 ग्राम बड़ी हरड़ को पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। रात को ठण्डे पानी में 6 ग्राम की खुराक के रूप में सेवन करने से कब्ज में रोगी को लाभ होगा।
49. बालू : बालू रेत की एक चुटकी को फांककर 1 गिलास पानी के साथ पीने से कब्ज कम हो जाती है।
50. अजवायन :
अजवायन 10 ग्राम, त्रिफला 10 ग्राम और सेंधानमक 10 ग्राम को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर चूर्ण बना लें। रोजाना 3 से 5 ग्राम इस चूर्ण को हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से काफी पुरानी कब्ज समाप्त हो जाती है।
5 ग्राम अजवायन, 10 कालीमिर्च और 2 ग्राम पीपल को रात में पानी में डाल दें। सुबह उठकर शहद में मिलाकर 250 मिलीलीटर पानी के साथ पीने से वायु गोला के दर्द को नष्ट करता है।
अजवायन 20 ग्राम, सेंधानमक 10 ग्राम, कालानमक 10 ग्राम को पुदीना के लगभग 1ग्राम का चौथाई भाग रस में कूट लें, फिर इसे छानकर 5-5 ग्राम सुबह-शाम खाना खाने के बाद गर्म पानी के साथ सेवन करने से आराम मिलता है।
लगभग 1ग्राम का चौथा भाग अजवायन के बारीक चूर्ण को गुनगुने पानी के साथ पीने से कब्ज (गैस) समाप्त होती जाती है।
अजवायन और कालानमक को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को पानी के साथ पीने से पेट के दर्द में आराम देता है।
6 ग्राम अजवाइन में लगभग 2 ग्राम कालानमक को मिलाकर फंकी देकर गर्म पानी पिलाने से गैस मिटती है। अजवाइन पेट की वायु को बाहर निकालती है। भोजन में किसी भी रूप से अजवाइन का सेवन करना चाहिए। अजवाइन और कालानमक समान मात्रा में पीसकर 4-4 ग्राम की फंकी छाछ से लेने से पेट की गैस दूर होती है।
51. सौंफ :
सौंफ 50 ग्राम, कालानमक 10 ग्राम, कालीमिर्च 5 ग्राम को कूटकर छान लें। सुबह-शाम इसे 5-5 ग्राम खाना खाने के बाद गर्म पानी के साथ लेने से लाभ होता है।
सौंफ का चूर्ण रात को खाकर ऊपर से पानी पीने से कब्ज दूर होती है।
सौंफ आधा चम्मच, हरड़ आधा चम्मच और चीनी आधा चम्मच की मात्रा में बारीक पीसकर रख लें। फिर रात को खाना खाने के बाद 1 घण्टे बाद सेवन करने से लाभ होता है।
सौंफ 3 ग्राम, बनफ्शा 3 ग्राम, बादाम 3 ग्राम और 10 ग्राम चीनी को लेकर पीस लें। इसकी 3 खुराक सुबह, दोपहर और शाम लेने से कब्ज में लाभ होगा।
सौंफ 50 ग्राम, बहेड़ा 100 ग्राम और गूदा कंवर गंदल 150 ग्राम को बारीक पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। इन गोलियों को सुबह और शाम को पानी के साथ पीने से लाभ होता है।
सौंफ 50 ग्राम, गूदा घी ग्वार 100 ग्राम, सोंठ 100 ग्राम, जीरा 50 ग्राम को मिलाकर पीसकर मिश्रण बना लें। फिर इस मिश्रण की छोटी-छोटी गोलियां बना लें। 1-1 गोली सुबह-शाम पानी के साथ लेने से कब्ज में लाभ मिलता है।
सौंफ, सनाय, हरड़ का छिलका, सोंठ और सेंधानमक बराबर मात्रा में मिलाकर बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। 3 ग्राम की मात्रा में 14 से 18 साल तक के बच्चों को होने वाली कब्ज में पानी के साथ पिलाने से कब्ज से छुटकारा मिलता है।
सौंफ 4 ग्राम, सनाय 4 ग्राम, द्राक्षा (मुनक्का) 4 ग्राम को पानी में उबालकर काढ़ा बना लें, इस काढ़े को पिलाने से कब्ज नहीं रहती है।
सौंफ की जड़ दो ग्राम सुबह-शाम पीसकर लेने से शौच खुलकर आती है।
4 चम्मच सौंफ 1 गिलास पानी में उबालें। जब आधा पानी रह जाये तो छानकर पीने से कब्ज दूर हो जायेगा।
सोते समय आधा चम्मच पिसी हुई सौंफ की फंकी गर्म पानी से लेने से कब्ज दूर होती है। सौंफ, हरड़, चीनी रोज आधा चम्मच मिलाकर पीसकर गरम पानी से फंकी लें।
52. सौंठ : सौंठ 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम में 3 ग्राम कालानमक मिलाकर मिश्रण बना लें। रोज 2-2 ग्राम की मात्रा में थोड़े-से पानी के साथ सुबह-शाम पीने से लाभ होता है।
53. लौंग : लौंग 10 ग्राम, कालीमिर्च 10 ग्राम, अजवायन 10 ग्राम, लाहौरी नमक 50 ग्राम और मिश्री 50 ग्राम को पीस-छानकर नींबू का रस डाल दें। सूखने पर 5-5 ग्राम गर्म पानी से खाना खाने के बाद खुराक के रूप में लाभ होता है।
54. अदरक :
अदरक का रस 10 मिलीलीटर को थोड़े-से शहद में मिलाकर सुबह पीने से शौच खुलकर आती है।
1 कप पानी में 1 चम्मच भर अदरक को कूटकर पानी में 5 मिनट तक उबाल लें। फिर इसे छानकर पीने से कब्ज दूर होती है।
अदरक, फूला हुआ चना और सेंधानमक मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।
55. गुलकंद :
गुलकंद 30 ग्राम को दूध के साथ रोजाना पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) समाप्त होती है। गुलकंद को खाकर ऊपर से दूध पी जायें। ऐसा 7 दिनों तक करने से कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।
गुलकंद (गुलाब की पंखड़ियों से प्राप्त रस) 10 से 20 मिलीलीटर सुबह-शाम सेवन करने से शौच साफ आती है। भूख बढ़ती है और शरीर में ताकत आती है।
2 चम्मच गुलकंद को 250 मिलीलीटर हल्के गर्म दूध के साथ सोने से पहले लेने से पेट की गैस में लाभ होता है।
गुलकंद 2 बड़ा चम्मच, मुनक्का 4 पीस, सौंफ आधा चम्मच को मिलाकर एक कप पानी में उबालकर सेवन करें।
गुलाब की सूखी कली 20 ग्राम और तालमिश्री 40 ग्राम को मिलाकर 250 मिलीलीटर गर्म दूध के साथ पीने से लाभ होता है।
गुलकंद, आंवला, हरड़ का मुरब्बा, बहेड़ा का मुरब्बा आदि में से बीजों को बाहर निकालकर पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बना लें। रोजाना 3 बार (सुबह, दोपहर और शाम) 1-1 गोली गर्म दूध या पानी के साथ कुछ दिनों तक सेवन करने से कब्ज मिटती है।
56. नींबू :
नींबू का रस, 5 मिलीलीटर अदरक का रस और 10 ग्राम शहद मिलाकर गर्म पानी के साथ सेवन करने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) नष्ट होती है।
5 मिलीलीटर नींबू के रस को 10 ग्राम मिश्री में घोलकर पानी के साथ पीने से कब्ज (कोष्ठबद्धता) दूर होती है।
नींबू के रस को पीने से वायु (गैस) का गोला समाप्त हो जाता है।
गन्ने का रस गर्म करके और नींबू का रस थोड़ी-सी मात्रा में लेकर सुबह के समय एक साथ लेने से लाभ होता है।
1 नींबू का रस गर्म पानी के साथ रात को सोने से पहले पी लें। इससे सुबह शौच खुलकर आती है।
नींबू का रस 2 चम्मच और चीनी 5 ग्राम को मिलाकर शर्बत बना लें। 4-5 दिन तक लगातार पीने से कब्ज में लाभ होता है।
नींबू के रस में थोड़ी-सी पिसी हुई कालीमिर्च को डालकर सेवन करने से कब्ज नष्ट हो जाती है।
नींबू के 10 मिलीलीटर रस को 250 मिलीलीटर पानी में मिलाकर सुबह के समय सेवन करने से कोष्ठबद्धता तुरंत समाप्त होती है।
1 नींबू का रस 1 गिलास गर्म पानी के साथ रात में सोते समय लेने से पेट साफ हो जाता है। नींबू का रस 15 मिलीलीटर और शक्कर (चीनी) 15 ग्राम लेकर 1 गिलास पानी में मिलाकर रात को पीने से पुराना कब्ज कम हो जाता है।
नींबू के रस में सेंधानमक मिलाकर सेवन करने से पेट की बीमारी और गैस बाहर निकल जाती है।
1 गिलास गुनगुने पानी में 1 नींबू का रस व एक चम्मच शहद मिलाकर पीने से कब्ज दूर होती है और शरीर का वजन घटने लगता है।

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