loading...
loading...

इलायची से 80 प्रकार के रोग ठीक करे Cardamom Benefits In Hindi Choti Elaichi Uses Of Cardamom 

परिचय :
इलायची हमारे भारत देश तथा इसके आसपास के गर्म देशों में ज्यादा मात्रा में पायी जाती है। इलायची ठण्डे देशों में नहीं पायी जाती है। इलायची मालाबार, कोचीन, मंगलौर तथा कर्नाटक में बहुत पैदा होती है। इलायची के पेड़
हल्दी के पेड़ के समान होते हैं। मालाबार में इलायची खुद ही पैदा होती है। मालाबार से हर वर्ष बहुत सी इलायची इंग्लैण्ड तथा दूसरे देशों के लिए भेजी जाती है। इलायची स्वादिष्ट होती है। आमतौर पर इसका उपयोग खाने के पदार्थों में किया जाता है। इलायची छोटी और बड़ी दो प्रकार की होती है। छोटी इलायची कड़वी, शीतल, तीखी, लघु, सुगन्धित, पित्तकर, गर्भपातक और रूक्ष होती है तथा वायु (गैस),
कफ (बलगम) , अर्श (बवासीर) , क्षय (टी.बी.) , विषदोष, बस्तिरोग (नाभि के नीचे का हिस्सा), कंठ (गले) की बीमारी, मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन होना),
अश्मरी (पथरी) और जख्म का नाश करती है। इलायची को रात को नहीं खाना चाहिए। रात को इलायची खाने से कोढ़ (कुष्ठ) हो जाता है। बड़ी इलायची तीखी, रूक्ष, रुचिकारी, सुगन्धित, पाचक, शीतल और पाचनशक्तिवर्द्धक होती है। यह कफ, पित्त , रक्त रोग, हृदय रोग , विष दोष, उल्टी , जलन
और मुंहदर्द तथा सिर के दर्द को दूर करता है।
विभिन्न भाषाओं में नाम :
संस्कृत एला
हिन्दी इलायच
मराठी बेलची
गुजराती एलची
बंगाली एलाच
अंग्रेजी लेजर क
लैटिन एलिटेर
रंग : छोटी इलायची का छिलका सफेद और दाना हरा व काला होता है। बड़ी इलायची का दाना बहुत ही काला होता है।
स्वाद : बड़ी इलायची तीखी सुगन्धित होती है। छोटी इलायची तीखी, स्वादिष्ट और सुगन्धित होती है।
स्वरूप : छोटी इलायची के क्षुप (झाड़ीनुमा पौधा) अदरक के समान होती है। इसके फूल सफेद और लाल होते हैं।
स्वभाव : छोटी इलायची खाने में शीतल होती है।
हानिकारक : छोटी इलायची का अधिक मात्रा में उपयोग आन्तों के लिए हानिकारक होता है तथा इलायची को रात को नहीं खाना चाहिए। रात को इलायची खाने से कोढ़ हो जाता है।
दोषों को दूर करने वाला :
कतीरा और वंशलोचन इलायची के दोषों को दूर करते हैं।
तुलना : छोटी इलायची की तुलना
लौंग से की जा सकती है।
मात्रा : छोटी इलायची 1 से 3 ग्राम की मात्रा में सेवन कर सकते हैं।
गुण : छोटी इलायची कफ , खांसी, श्वास, बवासीर और मूत्रकृच्छ
नाशक है। यह मन को प्रसन्न करती है। घाव को शुद्ध करती है। हृदय और गले की मलीनता को दूर करती है। हृदय को बलवान बनाती है।
मानसिक उन्माद, उल्टी और
जीमिचलाना को दूर करती है। मुंह की दुर्गन्ध को दूर करके सुगन्धित करती है और पथरी को तोड़ती है। बड़ी इलायची के गुण भी छोटी इलायची के गुण के समान होते हैं।
पीलिया, बदहजमी , मूत्रविकार,
सीने में जलन, पेट दर्द, उबकाई,
हिचकी, दमा , पथरी और जोड़ों के दर्द में इलायची का सेवन लाभकारी होता है।
विभिन्न रोगों में उपयोग :
1. सिर में दर्द:
इलायची को पीसकर मस्तिष्क पर लेप करने से एवं बीजों को पीसकर सूंघने से सिर दर्द में राहत मिलती है।
पानी के साथ छोटी इलायची को पीसकर सिर पर लेप की तरह से लगाने से सिर दर्द खत्म हो जाता है।
छोटी इलायची को महीन पीसकर सूंघने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
पानी के साथ लाल इलायची के छिलकों को घिसकर सिर पर लेप की तरह लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
इलायची के तेल को पिपरमिन्ट, कपूर और गाय के घी को मिलाकर सिर के आगे के भाग में लगाने से तेज सिर का दर्द दूर हो जाता है।
1 बड़ी इलायची, 2 छोटी इलायची और आधा ग्राम कपूर को गुलाब जल में मिलाकर लेप की तरह सिर या माथे पर लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
2. पथरी:
इलायची का चूर्ण खरबूजे की बीजों की मींगी और मिश्री मिलाकर 2-3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से वृक्क की अश्मरी (गुर्दे की पथरी) में लाभ प्राप्त होता है।
इलायची, शिलाजीत और पीपर को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह से पीसकर बने चूर्ण में मिश्री को मिलाकर 1 चम्मच की मात्रा में दिन में सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करें। इससे पथरी कुछ ही दिनों में निकल जाती है।
इलायची, पीपल, महुआ, पाशाण भेद, गोखरू, अडूसा तथा एरंड की जड़ 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर जौकुट (मोटा कूटना) कर लें। फिर काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें।
3. यकृत विकार:
2-3 ग्राम पिसी हुई इलायची का चूर्ण रोजाना लेने से यकृत (जिगर) के रक्त संचय आदि रोगों में लाभ होता है।
1-2 ग्राम इलायची का चूर्ण का रोजाना सेवन करने से जिगर के बढ़ने का रोग दूर हो जाता है।
4. वात वेदना: वातवेदना के रोग में 1-2 ग्राम इलायची के चूर्ण का रोजाना दिन में 3 बार सेवन करने से लाभ होता है।
5. मुंह की सूजन : इलायची के 2-3 ग्राम छिलकों को खाने से मुंह की सूजन, सिर दर्द और दांतों के रोग में लाभकारी है।
6. बुखार: 20 ग्राम इलायची के बीज तथा इसके पेड़ के 10 ग्राम जड़ की छाल को पीसकर 1 चम्मच चूर्ण में दूध और पानी मिलाकर पका लें जब केवल दूध बचे तो 20 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करने से सभी प्रकार के बुखारों में लाभ मिलता है।
7. अधिक केले खाने पर: यदि केला खाने सें अजीर्ण पैदा हो जाए तो इलायची खाने से केला हजम हो जाता है।
8. बिच्छू के दंश पर:
दर्द और विष का प्रभाव कम करने के लिए इलायची के दाने मुंह में चबाकर पीड़ित व्यक्ति के कानों में जोर से फूंकने पर आश्चर्यजनक लाभ होता है।
यदि किसी को बिच्छू काट ले तो आप 5 से 10 दाने इलायची मुंह में रखकर मुंह बंद करके खूब चबा लें। बाद में अपने मुंह की भाप (भगवान का नाम लेते हुए) रोगी के दोनों कानों में फूंकने से तुरन्त आराम हो जाएगा।
9. वमन: पुदीना और इलायची बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से वमन (उल्टी) बंद हो जाती है।
10. दांत रोगों में: इलायची और लौंग का तेल बराबर मात्रा में मिलाकर दांतों में मलने से लाभ मिलता है।
11. सांस की बीमारी: मिश्री के साथ इलायची का तेल सेवन करने से सांस की बीमारी में आराम आता है।
12. अधिक थूक आना : इलायची और सुपारी को बराबर मात्रा में पीसकर इसका 1-2 ग्राम चूर्ण बार-बार चूसते रहने से ज्यादा थूक आना कम हो जाता है।
13. स्वप्नदोष: आंवले के रस में इलायची के दाने और ईसबगोल को बराबर मात्रा में मिलाकर 1-1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से स्वप्नदोष में लाभ होता है।
14. आंखों में जलन होने अथवा धुंधला दिखने पर: इलायची के दाने और शक्कर बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। फिर इसके 4 ग्राम चूर्ण में एरंड का चूर्ण डालकर सेवन करें। इससे मस्तिष्क और आंखों को ठण्डक मिलती है तथा आंखों की रोशनी तेज होती है।
15. रक्त-प्रदर, रक्त-मूल-व्याधि :
इलायची के दाने, केसर, जायफल, वंशलोचन, नागकेसर और शंखजीरे को बराबर मात्रा में लेकर उसका चूर्ण बना लें। इस 2 ग्राम चूर्ण में 2 ग्राम शहद, 6 ग्राम गाय का घी और तीन ग्राम चीनी मिलाकर सेवन करें। इसे रोजाना सुबह और शाम लगभग चौदह दिनों तक सेवन करना चाहिए। रात के समय इसे खाकर आधा किलो गाय के दूध में चीनी डालकर गर्म कर लें और पीकर सो जाएं। इससे रक्त-प्रदर, रक्त-मूल-व्याधि (खूनी बवासीर) और रक्तमेह में आराम होगा। ध्यान रहे कि तब तक गुड़, गिरी आदि गर्म चीजें न खाएं।
16. कफ: इलायची के दाने, सेंधानमक, घी और शहद को मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।
17. वीर्यपुष्टि: इलायची के दाने, जावित्री, बादाम, गाय का मक्खन और मिश्री को मिलाकर रोजाना सुबह सेवन करने से वीर्य मजबूत होता है।
18. मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन): इलायची के दानों का चूर्ण शहद में मिलाकर खाने से मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) में लाभ मिलता है।
19. उदावर्त (मलबंध) रोग पर:
थोड़ी सी इलायची लेकर घी के दिये पर सेंकने के बाद उसको पीसकर बने चूर्ण में शहद को मिलाकर चाटने से उदावर्त रोग में लाभ मिलता है।
20. मुंह के रोग पर: इलायची के दानों के चूर्ण और सिंकी हुई फिटकरी के चूर्ण को मिलाकर मुंह में रखकर लार को गिरा देते हैं। इसके बाद साफ पानी से मुंह को धो लेते हैं। रोजाना दिन में 4-5 बार करने से मुंह के रोग में आराम मिलता है।
21. सभी प्रकार के दर्द: इलायची के दाने, हींग, इन्द्रजव और सेंधानमक का काढ़ा बना करके एरंड के तेल में मिलाकर देना चाहिए। इससे कमर, हृदय, पेट, नाभि, पीठ, कोख (बेली), मस्तक, कान और आंखों में उठता हुआ दर्द तुरन्त ही मिट जाता है।
22. सभी प्रकार के बुखार: इलायची के दाने, बेल और विषखपरा को दूध और पानी में मिलाकर तक तक उबालें जब तक कि केवल दूध शेष न रह जाए। ठण्डा होने पर इसे छानकर पीने से सभी प्रकार के बुखार दूर हो जाते हैं।
23. कफ-मूत्रकृच्छ: गाय का पेशाब, शहद या केले के पत्ते का रस, इन तीनों में से किसी भी एक चीज में इलायची का चूर्ण मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।
24. उल्टी:
इलायची के छिलकों को जलाकर, उसकी राख को शहद में मिलाकर चाटने से उल्टी में लाभ मिलता है।
चौथाई चम्मच इलायची के चूर्ण को अनार के शर्बत में मिलाकर पीने से उल्टी तुरन्त रुक जाती है।
4 चुटकी इलायची के चूर्ण को आधे कप अनार के रस में मिलाकर पीने से उल्टी होना बंद हो जाती है।
25. हैजा:
5-10 बूंद इलायची का रस उल्टी, हैजा, अतिसार (दस्त) की दशा में लाभकारी है।
10 ग्राम इलायची को एक किलो पानी में डालकर पकायें, जब 250 मिलीलीटर पानी रह जाए तो उसे उतारकर ठण्डाकर लेते हैं। इस पानी को घूंट-2 करके थोड़ी-2 से देर में पीने से हैजे के दुष्प्रभाव, प्यास तथा मूत्रावरोध आदि रोग दूर हो जाते हैं।
26. जमालघोटा का विष:
इलायची के दानों को दही में पीसकर देने से लाभ मिलता है।
27. अजीर्ण (अपच): 10 इलायची को पीसकर 500 मिलीलीटर पानी में उबालें जब यह पानी लगभग 60 ग्राम की मात्रा में शेष बचे तो इसमें चीनी मिलाकर पीयें। इससे अजीर्ण के रोग में लाभ मिलता है।
28. कफयुक्त खांसी: आधा ग्राम इलायची के दानों का बारीक चूर्ण, आधा ग्राम सोंठ का बारीक चूर्ण मिलाकर शहद को बार-बार चूसने से कफ वाली खांसी में लाभ होता है।
29. सूखी खांसी: छिलके सहित इलायची को आधा जलाकर उसको कपड़े में छानकर उसका चूर्ण घी और चीनी के साथ खाने से सूखी खांसी दूर हो जाती है।
30. किसी भी कारण से पेट के फूलने पर: आधा ग्राम इलायची के कपड़े में छने हुए चूर्ण में 240 मिलीग्राम भुनी हुई हींग डालकर नींबू के रस में देने से फुला हुआ पेट सही हो जाता है।
31. पेशाब में जलन: 10 इलायची लेकर उसे बारीक पीस लेते हैं। इसके बाद उसमें 250 मिलीलीटर पानी और 250 मिलीलीटर दूध डालते हैं। इसका काढ़ा बना करके दिन में 4 बार सेवन करने से पेशाब की जलन और रुक-रुक कर पेशाब आने का रोग ठीक हो जाता है।
32. पेशाब बिल्कुल न आना: 5 इलायची और 11 तरबूज के बीजों को एक साथ पीसकर उसमें 250 मिलीलीटर पानी और मिलीलीटर ग्राम दूध मिलाकर आधा शेष रहने तक पका लें। इसे पिलाने से पेशाब अच्छी तरह खुलकर आता है और पेशाब के समय होने वाली जलन और पेशाब के साथ धातु का जाना आदि दोष दूर होते हैं।
33. मस्तक दर्द: 20 इलायची को पीसकर छान लें और उसमें 2 चुटकी कपडे़ में छना हुआ छोटी पीपल का चूर्ण मिलायें फिर उसमें इतना शहद मिलाएं कि वह भीग जाए। इसके बाद इसे सेवन करने से सिर के दर्द में लाभ मिलता है।
34. मुंह से दुर्गन्ध आने पर: मुंह में दुर्गन्ध या सांस में बदबू आती हो तो दिन में कई बार इलायची चबाना चाहिए। प्याज, लहसुन खाने के बाद इलायची लेने से इसकी महक नहीं आती है।
35. हकलाहट या तुतलाहट:
हकलाहट या तुतलाहट में छोटी इलायची, कुलंजन, अकरकरा, बच तथा लौंग सभी का 25-25 ग्राम चूर्ण बना लेते हैं। फिर इसमें 5 ग्राम कस्तूरी मिलाकर रख लेते हैं। इस चूर्ण को आधा चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम ब्राह्मी के रस के साथ 2-3 महीने तक लेते हैं।
36. पित्त विकृत (गर्मी के विकार): पित्त विकृत होने पर 2 से 4 चम्मच अरण्डी के तेल का सेवन करने पेट साफ करें। फिर यह प्रयोग करें- 10 ग्राम छोटी इलायची, 10 ग्राम दालचीनी, 10 ग्राम पीपल तीनों को लेकर बारीक पीस लेते हैं। फिर इसमें 25 ग्राम मिश्री मिलाकर पीस लेते हैं। इसे आधा चम्मच मक्खन के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से पित्त विकृत में लाभ मिलता है।
37. स्मरण शक्ति का बढ़ना: 50 ग्राम इलायची और 25 ग्राम वंशलोचन को मिलाकर बारीक पीस लेते हैं। फिर इसे ब्राह्मी के रस या कबाबचीनी के साथ आधा-आधा चम्मच की मात्रा में दो बार लेने से स्मरणशक्ति और बुद्धि तेज होती है।
38. गले या सीने में जलन: गले या सीने में जलन हो, शरीर में एसिड बहुत बनता हो तो वंशलोचन, छोटी इलायची, तेजपात, छोटी हरड़, मोथा, बच, आंवला, अकरकरा सबको समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को एक-एक चम्मच दो बार पानी के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
39. पेट दर्द:
इलायची, अजमोद, पिन्नक, आंवला, सोंठ, कालानमक बराबर मात्रा में लेकर इसका चूर्ण बनाकर रख लेते हैं। यह चूर्ण पेट दर्द, अजीर्ण, अपच, गैस सभी में 1 चम्मच गर्म पानी के साथ सेवन करना चाहिए।
छोटी इलायची को बारीक पीसकर शहद के साथ सेवन करने से पेट की पीड़ा में राहत मिलती है।
पिसी हुई लाल इलायची को चौथाई चम्मच की मात्रा में दिन में 3 बार खुराक के रूप में सेवन करने से पेट के रोग दूर होते हैं।
लाल इलायची के दाने और पिसी हुई सौंफ को मिलाकर चूर्ण बनाकर 1 चुटकी की मात्रा में चूर्ण को मां के दूध में बच्चों को सेवन कराने से लाभ होता है।
40. लीवर की सूजन: 10 ग्राम इलायची, 25 ग्राम आंवला, 25 ग्राम जीरे के साथ चूर्ण बना लें। इसे एक-एक चम्मच गाय के दूध से दो बार लेने से लीवर (जिगर) में सूजन और पीलिया आदि रोगों में लाभ मिलता है।
41. शरीर को शक्तिशाली बनाना : इलायची, बादाम, जायफल और जावित्री को बराबर मात्रा में लेकर पीस लेते हैं। इस चूर्ण के बराबर ही मिश्री मिला लेते हैं। फिर इसकी आधा चम्मच मात्रा को दूध से सुबह-शाम लेने से हर प्रकार की कमजोरी दूर होकर शरीर मजबूत व शक्तिशाली हो जाता है।
42. आंवयुक्त दस्त : 20 ग्राम इलायची को 5 ग्राम सेंधानमक के साथ पीसकर चूर्ण बना लेते हैं। इस चूर्ण को आधे चम्मच की मात्रा में 2 बार पानी के साथ सेवन करने से आंव के दस्त में लाभ मिलता है।
43. श्वेत प्रदर: महिलाओं के श्वेत प्रदर में वंशलोचन (नीली धारी वाली), छोटी इलायची, नागकेशर प्रत्येक को 50-50 ग्राम की मात्रा में लेकर इन्हें बारीक पीसकर इसमें 150 ग्राम पिसी हुई मिश्री को मिलाकर रख लें। इस बने मिश्रण को 1-1 चम्मच की मात्रा में दिन में 2 बार मलाईयुक्त दूध के साथ लेते हैं। लगातार 2 महीने तक लेने से श्वेतप्रदर ठीक हो जाता है।
44. मानसिक तनाव: इलायची के काढ़े का प्रयोग करने से डिप्रेशन से उबरा जा सकता है। इलायची के दानों का पाउडर बनाकर इसे पानी में उबालें और इस काढ़े में थोड़ा सा शहद मिलाकर पीयें। इससे लाभ मिलता है।
45. दांतों का दर्द: बड़ी इलायची को पानी में डालकर पानी को गर्म करें। उस पानी से प्रतिदिन सुबह-शाम कुल्ला करें। इससे दांतों का दर्द तथा मसूढ़ों की सूजन ठीक हो जाती है।
46. दमा के रोग:
लगभग 2 ग्राम मालकांगनी तथा 2 ग्राम इलायची के बीजों को निगलने से कफ के कारण बढ़ा श्वास ठीक हो जाता है।
इलायची, खजूर और द्राक्ष (अंगूर) शहद को एक साथ खाने से खांसी व दमा नष्ट हो जाता है। इससे शरीर शक्तिशाली हो जाता है।
47. काली खांसी: बड़ी इलायची के दानों को तवे पर भूनकर उसमें बराबर मात्रा में सौंफ, मुलहठी और मुनक्का (बीज निकालकर) पीसकर चूर्ण बना लेते हैं। इस 12-12 मिलीग्राम चूर्ण को शहद में मिलाकर रोजाना 2-3 बार चाटने से काली खांसी में लाभ मिलता है।
48. खांसी:
लाल इलायची को भूनकर तथा पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें फिर इसकी 2 चुटकी चूर्ण को शहद में मिलाकर बच्चों को सुबह-शाम चटाने से खांसी के रोग में लाभ मिलता है।
खांसी में छोटी इलायची खाने से लाभ मिलता है।
छोटी इलायची के दानों को तवे पर भूनकर चूर्ण बना लेते हैं। इस चूर्ण में देशी घी अथवा शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से खांसी में लाभ मिलता है।
10-10 ग्राम बड़ी इलायची, सतमुलहठी, बबूल का गोन्द, सतउन्नाव, बादाम की गिरी, कददू (काशीफल) की गिरी, तरबूजे की गिरी, खरबूजे की गिरी, फुलाया हुआ सुहागा, केसर और पीपरमेंट, 50 ग्राम वंशलोचन और 100 ग्राम मिश्री को लेकर बारीक चूर्ण बना लेते हैं। इस चूर्ण को अड़ूसा के काढ़े में मिलाकर मटर के समान गोलियां बनाकर खाने से खांसी में लाभ मिलता है।
आधा चम्मच इलायची का चूर्ण तथा आधा चम्मच सोंठ का चूर्ण लेकर शहद में मिलाकर दिन में 3-4 बार सेवन करने से कफ वाली खांसी में लाभ मिलता है। यह चूर्ण 1 से दो ग्राम सुबह और शाम को देना चाहिए। अथवा खांसी के वेग में 1-1 गोली मुंह में रखकर 3-3 घंटे के अन्तर से चूसनी चाहिए। इससे खांसी का वेग शांत हो जाता है और रोगी चैन का अनुभव करता है। बच्चों की खांसी व कुकर खांसी में भी यह लाभ प्रदान करती है।
49. दांत निकलने पर: इलायची, मिश्री, वंशलोचन तथा कमलगट्टा को मिलाकर बारीक पीसकर पॉउडर बना लें। इसके 240 मिलीग्राम पॉउडर को मॉ के दूध में मिलाकर बच्चों को दें।
50. गुदा में ऐंठन सा दर्द: बड़ी इलायची 240 मिलीग्राम या छोटी इलायची 60 से 180 मिलीग्राम को कूटकर चूर्ण बनाकर रखें। इसके चूर्ण को क्विनाइन के साथ मिलाकर प्रतिदिन सुबह और शाम खायें। इससे गुदा की ऐंठन का दर्द ठीक हो जाता है।
51. सर्दी, जुकाम, खांसी: तेज इलायची को रूमाल पर लगाकर सूंघने से सर्दी, जुकाम और खांसी ठीक हो जाती है।
52. अरुचि (भोजन का अच्छा न लगना) : छोटी इलायची के बीज 6 ग्राम, तेजपात 6 ग्राम, दालचीनी 6 ग्राम, मुलहठी 40 ग्राम इन सभी को महीन पीस-छानकर तथा शहद मिलाकर झरबेरी के बराबर आकार की गोलियां बनाकर रख लेते हैं। इस गोली का नाम `एलादि वटी` है। इसकी 1-1 गोली प्रतिदिन खाने से अरुचि (भोजन का अच्छा न लगना), श्वांस, खांसी, उल्टी, बेहोशी, आलस्य या थकान, स्वरभंग, प्यास, पसली का दर्द, खून की उल्टी, चक्कर आना, तिल्ली, आमवात (घुटने का दर्द), हिचकी आदि रोग दूर हो जाते हैं। उर:क्षत (सीने का घाव) के रोगी और अधिक मेहनत करने वाले पुरुषों के लिए ये गोलियां हानिकारक होती हैं।
53. कब्ज: बड़ी इलायची के दाने 250 ग्राम, इन्द्रायण की गिरी बिना बीजों वाली 10 ग्राम की मात्रा में पीसकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर सुबह और शाम देने से कब्ज और गैस कम हो जाती है।
54. मुंह के छाले:
सफेद इलायची 3 ग्राम, कबाबचीनी 2 ग्राम तथा 3 ग्राम कत्था। इन सबको खरल में बारीक कूटकर मुंह के छालों पर लगायें।
इलायची पीसकर शहद के साथ मिलाकर छालों पर लगाने से लाभ मिलता है।
सोनागेरू, मिश्री, कत्था व इलायची 5-5 ग्राम की मात्रा में लेकर तथा कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण में नीलाथोथा 3 ग्राम फूला हुआ मिला लें। इस चूर्ण को दिन में 3 से 4 बार छालों पर मलें इसके बाद चाय के पानी से कुल्ला करें।
55. जुकाम:
बड़ी इलायची और पीपल के बीजों को पीसकर चूर्ण बनाकर रख लें। इस 1 ग्राम चूर्ण को शहद में मिलाकर चाटने से जुकाम की खांसी 3-4 दिन में पूरी तरह से ठीक हो जाती है।
इलायची, कालीमिर्च, दालचीनी, सोंठ, धनिया को बराबर मात्रा में लेकर मोटा चूर्ण बनाकर रख लें। इस चूर्ण की 2 चम्मच मात्रा को 250 मिलीलीटर पानी में डालकर पकाएं। जब आधा पानी रह जाए तो इसे गुनगुना ही छानकर पिला दें। इससे तेज से तेज जुकाम भी दूर हो जाता है।
56. गर्भवती महिला की दिल की धड़कन: छोटी इलायची, धनिया, वंशलोचन तथा सेवती के फूल 10-15 ग्राम की मात्रा में कूट-छानकर इसमें 40 ग्राम की मात्रा में चीनी मिला दें, इसे 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम दोनों समय सेवन कराना चाहिए। इससे गर्भवती स्त्री के दिल धड़कन सामान्य हो जाती है।
57. हिचकी का रोग:
5 पीस बड़ी इलायची को छिलका सहित लेकर कूट लें और 250 मिलीलीटर पानी में डालकर अच्छी तरह उबाल लें। आधा पानी रह जाने पर उतारकर छान लें। इसे ठण्डा करके 1-1 घूंट पीने से भंयकर हिचकी बंद हो जाती है।
2 ग्राम इलायची को पीसकर पानी में डालकर उबालें। जब आधा पानी बचा रह जाए तो गर्म-गर्म ही यह काढ़ा रोगी को पिलाने से हिचकी आना बंद हो जाती है।
हर 2 घंटे में इलायची खाने से हिचकी बंद हो जाती है।
4 छोटी इलायची छिलका सहित लेकर कूट लें, और उसे 500 मिलीलीटर पानी में डालकर उबालें। जब 200 मिलीलीटर पानी शेष रह जाये तो उतार लें और किसी साफ कपड़े से छानकर रोगी को गुनगुना पिला दें। इसे एक ही मात्रा में दें, इससे हिचकी जल्द मिट जाती है।
1-2 ग्राम की मात्रा में सफेद इलायची का चूर्ण शर्करा के साथ खाने से लंबे समय से चली आ रही (असाध्य) हिचकी का रोग मिट जाता है।
5 दाने इलायची को 100 ग्राम पानी में उबालकर उसका पानी-पीने से हिचकी आना बंद हो जाती है। इलायची चूसने से भी हिचकी मिट जाती है।
58. मूत्र (पेशाब) के रोग:
इलायची को पीसकर बने चूर्ण को शहद के साथ खायें इससे मूत्रकृच्छ (पेशाब करने में कष्ट या जलन) खत्म होता है, छोटी इलायची का चूर्ण, नारियल का पानी, निर्मली और शक्कर पीने से मूत्रकृच्छ में जल्दी ही लाभ होता है।
बड़ी इलायची और शोरा 10-10 ग्राम बारीक पीसकर लें। इसे 4 ग्राम की मात्रा में रोजाना 2 बार दूध के साथ खाने से पेशाब की वजह से होने वाली जलन दूर होती है।
59. बवासीर (अर्श): छोटी इलायची को पीसकर उसमें आधा कप पानी मिलाकर 4 सप्ताह तक पीने से बवासीर में निकल रहे मस्से सूख जाते हैं।
60. मासिक-धर्म सम्बंधी परेशानियां : इलायची, धाय के फूल, जामुन, मंजीठ, लाजवन्ती, मोचरस तथा राल सभी को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर इसका चूर्ण बना लेते हैं। इस चूर्ण को 2 किलो पानी में उबालते हैं फिर इसको छानकर इस पानी से योनि को धोते हैं। इससे कुछ ही दिनों में योनि का लिबलिबापन, दुर्गंध आदि नष्ट हो जाती है। तथा मासिक-धर्म नियमित रूप से आने लगता है।
61. अग्निमान्द्य (हाजमे की खराबी): लाल इलायची, अजमोद, चित्रक, सोंठ, सेंधानमक को मिलाकर बराबर मात्रा में बारीक पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को आधा चम्मच की मात्रा में पानी के साथ सुबह और शाम पीयें।
62. प्रदर:
5-5 ग्राम बड़ी इलायची, माजूफल, में 10 ग्राम मिश्री मिलाकर चूर्ण बना लें। इसे 2-2 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम पानी के साथ सेवन करने से सफेद प्रदर ठीक हो जाता है।
बड़ी इलायची के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिश्री मिलकर 3 ग्राम की मात्रा में फांकने से सफेद प्रदर ठीक हो जाता है।
10 ग्राम बड़ी इलायची, 5 ग्राम छोटी इलायची, 1 ग्राम दालचीनी को एक साथ मिलाकर चूर्ण बना लें। इसे 4 बराबर भागों में करके इसमें मिश्री मिलाकर पानी के साथ सेवन करने से श्वेत प्रदर में लाभ होता है।
5 ग्राम बड़ी इलायची के दाने, 5 ग्राम माजूफल और 10 ग्राम अशोक की छाल। तीनों को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से 2-3 ग्राम सुबह-शाम ताजे पानी के साथ सेवन करने से प्रदर में आराम मिलता है।
बड़ी इलायची और माजूफल को बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह पीसकर चूर्ण तैयार कर लें, फिर इस चूर्ण में समान मात्रा में मिश्री मिलाकर चूर्ण बना लें। इसे 2-2 ग्राम की मात्रा में एक दिन में सुबह और शाम पीने से स्त्रियों को होने वाले श्वेत प्रदर की बीमारी से छुटकारा मिलता है।
63. दर्द व सूजन : इलायची को पीसकर दर्द वाली जगह पर लगायें, लाभ होगा।
64. प्यास अधिक लगना : 12 छोटी इलायची के छिलके 1 गिलास पानी में उबालें। आधा पानी रहने पर इसके 4 हिस्से करके हर 2-2 घण्टे पर पिलायें। इससे प्यास अधिक नहीं लगेगी। किसी भी बीमारी में यदि प्यास अधिक हो तो ठीक हो जाती है।
65. जनेऊ (हर्पिस) रोग: बड़ी इलायची के बीज का चूर्ण 2 ग्राम शहद के साथ सुबह-शाम खायें। ऊपर से अमलतास, सनाय और बड़ी हरड़ के काढ़े को 25 ग्राम की मात्रा में सेवन करें।
66. महिलाओं के सभी प्रकार के रोग: छोटी इलायची के दाने, छोटी पीपल 20 ग्राम और वंशलोचल को लेकर अच्छी तरह पीसकर रख लें, फिर इसमें 60 ग्राम की मात्रा में चीनी मिला दें, फिर इसे 5-5 ग्राम की मात्रा में शहद या कच्चे दूध के साथ सुबह-शाम सेवन कराएं। इससे स्त्रियों के सभी प्रकार के रोग नष्ट हो जाते हैं।
67. चक्कर आना: छोटी इलायची (छिलके सहित) के काढ़े को गुड़ में मिलाकर सुबह और शाम को खाने से चक्कर आने बंद हो जाते हैं।
68. चित्त भ्रम (दिमाग की कमजोरी):
छोटी इलायची के बीज लगभग 1 ग्राम और लगभग आधा ग्राम वंशलोचन को महीन पीसकर मक्खन में मिलाकर खिलाने से दिमाग की कमजोरी दूर हो जाती है।
लगभग 10 ग्राम छोटी इलायची के दाने और 50 ग्राम वंशलोचन को पीस लें, फिर इसमें 60 ग्राम चीनी मिलाकर रोजाना लगभग 5 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ लें। इससे दिमाग की कमजोरी दूर हो जाती है।
69. दिल की धड़कन:
छोटी इलायची का चूर्ण 500 मिलीग्राम से 2 ग्राम को पिप्पलीमूल के साथ घी मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है।
इलायची के दानों का चूर्ण आधा चम्मच शहद के साथ चाटने से घबराहट दूर हो जाती है।
सफेद इलायची का 3 ग्राम चूर्ण लेकर गाय के दूध के साथ सेवन करें।
70. हृदय रोग: पीपरामूल और इलायची के दाने बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें और शहद अथवा गाय के घी के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे हृदय रोग दूर होंगे।
71. मिर्गी (अपस्मार): इलायची, चोपचीनी, लगभग 3 से 6 ग्राम मस्तगी और दालचीनी को मिलाकर चूर्ण बना लें। इसे सुबह और शाम को सेवन करने से मिरगी या अपस्पार में लाभ मिलता है। इस चूर्ण बनाने से पहले चोपचीनी को दूध में उबाल लेना चाहिए।
72. बच्चों के यकृत दोष: 480 मिलीग्राम छोटी इलायची के चूर्ण को सेंककर सुबह और शाम बच्चे को खिलाने से यकृत (जिगर) की सूजन और दर्द में लाभ होता है।
73. होठों का फटना: होठों पर पपड़ी जम जाती है और उतरने पर बहुत दर्द होता है। इसके लिए इलायची को पीसकर मक्खन में मिलाकर कम से कम सात दिन तक सुबह और शाम होठों पर लगाने से लाभ होता है।
74. नाभि रोग (नाभि का पकना): 5 ग्राम छोटी इलायची का दाना, 3 ग्राम दालचीनी, 10 ग्राम छोटी पीपल और 20 ग्राम वंशलोचन। इन सबको 40 ग्राम चीनी के साथ कूट-छानकर मिश्रण बना लें। इस मिश्रण को 5-5 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम 10 ग्राम शहद और 20 ग्राम घी के साथ मिलाकर बच्चों को देने से नाभि के रोग में लाभ होता है।
75. नाड़ी का दर्द: 240 मिलीग्राम बड़ी इलायची का चूर्ण क्विनीन के साथ सुबह-शाम खाने से नाड़ी का दर्द बंद हो जाता है।
76. थकावट होना : लगभग 180 मिलीग्राम इलायची के चूर्ण को क्वीनीन में मिलाकर सुबह-शाम को लेने से स्नायविक (नाड़ी) का दर्द और मानसिक थकावट दूर हो जाती है।

Theme images by konradlew. Powered by Blogger.