किशोरों की समस्याएं (Teen Agers Problems)
किशोरों की समस्याएं (Teen Problems)
परिचय
जब वच्चा बचपन से जवानी की ओर कदम रखता है तो उसे किशोरावस्था कहा जाता है। इस समय उसके शरीर के अन्दर की सारी ग्रंथियां अपना काम करना शुरू कर देती हैं। मतलब यह है कि इस समय उसके शरीर में हार्मोन्स बनना शुरू कर हो जाते हैं। हार्मोन्स बनने से शरीर का कद बढ़ने लगता है, दाढ़ी, मूंछे उगने लगती हैं, आवाज में भारीपन आने लगता है, लिंग का आकार बढ़ जाता है, गुप्तांगों में बाल उगने लगते हैं। यह सारे बदलाव जिस हार्मोन्स के कारण होते हैं उसका नाम गोनाइड्स होता है। इस समय शरीर में एक नई ऊर्जा पैदा होती है जिससे नया जोश पैदा होता है। इस अवस्था में किशोरों में दूसरे लिंग के प्रति आकर्षण पैदा हो जाता है। इस दौरान उनके लिंग में समय-समय पर उतेजना होती रहती है। ये शरीर के स्वाभाविक और प्राकृतिक बदलाव होते हैं।
इसी अवस्था में ही कुछ किशोर संभल जाते है और कुछ बिगड़ जाते है। जिन किशोरों को इस समय अपने अभिभावकों या समाज के द्वारा यौन शिक्षा मिल जाती है ऐसे किशोर ही इस उम्र के पड़ाव को सही तरह से पार कर पाते हैं। दरअसल यह उम्र का बहुत ही नाजुक दौर होता है। इस समय ही किशोरों के जीवन की नींव पड़ती है अब यह किशोरों के हाथ में होता है कि वह इस ऩींव को कमजोर बनाते हैं या मजबूत।
जब किशोरावस्था में शरीर में वीर्य बनना शुऱू होता है तो किशोर के मन में सेक्स संबंधी विचार आने लगते हैं, उसका लिंग बार-बार उत्तेजित होने लगता है और उसे हस्तमैथुन करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। बहुत से किशोरों के मन में हस्तमैथुन के बारे में कई तरह के वहम होते हैं क्योंकि बहुत से लोगों ने हस्तमैथुन के बारे में शरीर में कमजोरी आना, याददाश्त कमजोर होना, शरीर में कई रोग लग जाना, नामर्दी आ जाना जैसी मनगढ़ंत बातें फैला रखी हैं। बहुत से चिकित्सकों ने भी इसके बारे में उल्टी-सीधी बातें फैलाकर पैसा कमाने का धंधा खोल रखा है। ऐसे चिकित्सक अपने प्रचार के माध्यम से लोगों के बारे में ऐसी बातें फैलाते हैं कि हस्तमैथुन करने से लिंग की नसें नीली पड़ जाती हैं, लिंग टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है आदि-आदि।
लिंग शरीर का ही एक अंग होता है जिस तरह शरीर के दूसरे अंगों में नसें दिखाई देती हैं उसी तरह अगर लिंग की नसें भी दिखाई दें तो इसमें डरने की कोई बात नहीं है। ऐसे ही लिंग का टेढ़ापन भी कोई समस्या नहीं है क्योंकि पुरुष के दोनों अंडकोषों में एक अंड दूसरे से थोड़ा बड़ा होता है और लिंग इनके ऊपर लिंग रहता है। लिंग का झुकाव छोटे अंड की तरफ होता है इसलिए यह टेड़ा होता है। इसलिए हस्तमैथुन से होने वाले नुकसान के बारे में कही जाने वाली बातें सिर्फ मनगढ़ंत हैं। हस्तमैथुन करने के बाद बस किशोरों के मन में पाप, शर्मिंदगी आदि होने लगते हैं।
हस्तमैथुन से बचने के उपाय-
अगर किसी किशोर को हस्तमैथुन की आदत पड़ी हुई हो तो उसे छोड़ने के लिए उसे अपने मन पर काबू रखना चाहिए, ज्यादा समय तक अकेले में नहीं होना चाहिए, अश्लील पुस्तकें नहीं पड़नी चाहिए, खेल-कूद में ज्यादा समय बिताना चाहिए। भोजन में हरी सब्जियों, दालों आदि का सेवन करना चाहिए। कुछ किशोरों के मन में यह वहम भी होता है कि अगर वे अपनी हस्तमैथुन करने की आदत छोड़ देते हैं तो उसे स्वप्नदोष होना शुरु हो सकता है।
बहुत से चिकित्सक स्वप्नदोष को भी रोग बताकर किशोरों को डरा देते हैं जबकि स्वप्नदोष अपने आप में कोई रोग नहीं है बल्कि यह शरीर की एक स्वाभाविक और प्राकृतिक क्रिया है क्योंकि वीर्य जब शुक्राशय में ज्यादा जमा हो जाता है तो स्वप्नदोष के जरिए यह बाहर निकल जाता है।
इसकी कोई संख्या निश्चित नहीं होती है। यह सब व्यक्ति के खान-पान, रहन-सहन और स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। जो किशोर कब्ज रोग से पीडि़त होते हैं उन्हें स्वप्नदोष ज्यादा होता है। ऐसा उन लोगों के साथ भी होता है जो कामोत्तेजक माहौल में रहते हैं या संभोग के बारे में सोचते हैं। ऐसे किशोरों को स्वप्नदोष होना शादी के बाद अपने आप बंद हो जाता है।
अगर हम लोग स्वप्नदोष के वास्तविक कारणों को जान लेते हैं तो स्वप्नदोष के रोग में कमी आ सकती है। जिस समय मनुष्य सोता है उस अवस्था में उसे कई प्रकार के सपने आते हैं जिसका केंद्र बिंदु उसके अपने संस्कार और विचार होते हैं। जो मनुष्य पूरे दिन जिस माहौल में रहता है वैसे ही सपने उसे रात में सोते समय भी आते हैं जैसे गंदी फिल्म देखना, गंदी किताब पढ़ना, गंदी- गंदी बाते करना आदि।
यदि कोई किशोर स्वप्नदोष रोग से बचना चाहता है तो उसे अपने मन में बुरे विचारों को आने ही नहीं देना चाहिए।
किशोरियों की समस्याएं-
किशोरों की ही तरह जब किशोरियां बचपन से जवानी की ओर कदम रखती हैं तो उनके शरीर में भी कई प्रकार के शारीरिक बदलाव आते हैं जैसे उनका कद बढ़ने लगता है, शरीर के अंग भर जाते हैं, स्तन उभर जाते हैं, नितंब गोल हो जाते हैं। ऐसे समय में किशोरियों के मन में अजीब सी बेचैनी पैदा होने लगती है जिससे उन्हें जननांगों का घर्षण करने से आराम मिलता है। किशोरियों के नहाते समय, टाईट कपड़े पहनने से या साइकिल आदि चलाते समय जननेन्द्रियां अपने आप उत्तेजित हो जाती हैं। कुछ किशोरियां अपनी जननेन्द्रियों को हाथ से रगड़कर या योनिमार्ग में उंगली डालकर संतुष्टि करती हैं। इस क्रिया को लड़कियों की हस्तमैथुन क्रिया कहते हैं। किशोर और किशोरियों की हस्तमैथुन क्रिया में एक अंतर होता है कि किशोर उत्तेजना की आखिरी सीमा पर पंहुचकर वीर्य को बाहर निकालते हैं लेकिन किशोरियों की योनि में से ऐसा कोई स्राव नहीं निकलता लेकिन इस क्रिया को करने से आनंद उन्हें भी बहुत मिलता है।
हानिकारक-
किशोरियों के मन पर भी हस्तमैथुन करने का बहुत बुरा असर पड़ता है। किशोरियों के मन में भी इस क्रिया को करने से पाप, शर्मिंदगी आदि महसूस होने लगता है और वह हर पुऱुष से खिंची-खिंची रहने लगती है। इसके अलावा बहुत सी किशोरियां इस क्रिया को करने के लिए नकली चीजों को योनि के अंदर डालकर प्रयोग करती हैं। योनि मार्ग के बहुत कोमल होने के कारण कठोर चीजों के इसके अंदर जाने से योनि में जख्म हो सकता है या सूजन आ सकती है।
गलत यौन संबंध-
आज के समय में स्त्रियां हर कदम पर पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। उन्हें समाज में पुरुष के समान अधिकार दिए जा रहे हैं। उन्हें पूरी तरह स्वत्रंता दी जा रही है। लेकिन इस स्वतंत्रता को बहुत सी स्त्रियां गलत तरीके से प्रयोग कर रही हैं और अपनी मर्यादा को भूलकर पुरुषों के साथ गलत संबंध बना रही हैं।
बाहर के देशों में हर लड़के-लड़कियों के संबंधों में काफी आजादी दी जाती है लेकिन इसके कारण उन देशों में तलाकों की संख्या बढ़ती जा रही है। भारतवर्ष की संस्कृति और सभ्यता कुछ अलग है। यहां शादी को सात जन्मों का बंधन माना जाता है इसलिए यहां पर यह रिश्ता सिर्फ सेक्स संबंधों पर ही आधारित नहीं हो सकता इसलिए किशोरियों को कच्ची उम्र में शारीरिक संबंधों से दूर रहना चाहिए क्योंकि उनका एक कदम उनकी पूरी जिंदगी को तबाह कर सकता है इसलिए लड़कों के साथ घूमते समय जब उनके सामने शारीरिक संबंध बनाने की बात आए तो उनको बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि यह संबंध बनाने से हानि लड़के को नहीं होती है बल्कि लड़की को ही होती है।