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महिलाओं के यौन रोग :- वैवाहिक जीवन में सेक्स का महत्व (The importance of sex in marriage)

वैवाहिक जीवन में सेक्स का महत्व (The importance of sex in marriage)

आज के समय में हर पुरुष की इच्छा होती है कि उसकी पत्नी सुंदर व गुणवान हो तथा हर स्त्री की इच्छा होती है कि उसका पति सुंदर, गठीला, सेहतमंद तथा शक्तिशाली हो। इसके अतिरिक्त दोनों की यह इच्छा होती है हमारे आनन्दमय आपसी संबंधों द्वारा स्वस्थ, बुद्धिमान तथा सुंदर संतान पैदा करके अपनी वंश को आगे बढ़ाते हुए सफल वैवाहिक जीवन बिताएं। सफल वैवाहिक जीवन का मतलब यह होता है कि जिसमें पति को परमेश्वर तथा पत्नी को घर की लक्ष्मी के रूप में माना जाता है।

हम आपको यह भी बता देना चाहते हैं कि पति-पत्नी का केवल अपने बिस्तर पर एक साथ सोना और सेक्स करना ही वैवाहिक जीवन जीवन नहीं कहलाता बल्कि उन दोनों के बीच एक-दूसरे के प्रति संपूर्ण समर्पण की भावना होना तथा संतुष्टि प्राप्त होना भी जरूरी होता है।

वैसे देखा जाए तो पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन की शुरुआत, जब उनकी पहली रात होती है तभी शुरू हो जाती है क्योंकि इस रात को पति-पत्नी के बीच में सेक्स संबंध स्थापित हो जाता है, जिससे उनके बीच एक अटूट रिश्ता कायम हो जाता है जो मृत्यु तक बना रहता है। देखा जाए तो जीवन के लम्बे सफर में पति-पत्नी के बीच बहुत सारी समस्याएं उत्पन्न होती हैं जो वैवाहिक जीवन में जहर घोलने का काम करती हैं।

मनुष्यों को जीने के लिए जिस प्रकार से भोजन की आवश्यकता होती है ठीक उसी प्रकार से वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी को सेक्स की आवश्यकता होती है। सेक्स व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह से प्रभावित करता है क्योंकि इसके बिना उसका जीवन ठीक उसी प्रकार से होता है जिस प्रकार से एक पहिए की गाड़ी। हम जानते हैं एक पहिए से गाड़ी चल नहीं सकती है ठीक उसी प्रकार से जीवन को सुखपूर्वक जीने के लिए पति-पत्नी दोनों को एक-दूसरे की आवश्यकता पड़ती है। पति-पत्नी के जीवन को प्रभावित करने वाले अनेक कारण होते हैं। इनमें से किसी बड़े कारण का पता लगाया जाए तो पता चलेगा कि सेक्स समस्या वैवाहिक जीवन को बहुत अधिक प्रभावित करती हैं। विवाह करने के बाद सेक्स संबंध एक आवश्यकता बन जाती है। इसी के द्वारा ही पति-पत्नी के संबंध गहरे होते हैं। इसी गहरे संबंध की वजह से ही परिवार की नींव मजबूत होती है।

जिन दम्पतियों के सेक्स संबंध गहरे होते हैं, वे मानसिक तथा शारीरिक रूप से अधिक स्वस्थ और उमंग भरे होते हैं तथा उनमें आपसी कलह देखने को नहीं मिलती है। किसी ने सच ही कहा है कि पेट और पेट के नीचे की भूख व्यक्ति को समान रूप से लगती है, इसके बिना उसका जीना मुश्किल हो जाएगा। यहां पर पेट की भूख को भोजन से जोड़ गया है तथा पेट के नीचे की भूख का मतलब सेक्स से होता है। व्यक्ति जब जन्म लेता है तभी से उसको भूख लगने जाती है लेकिन पेट के नीचे की भूख जब मनुष्य युवावस्था में पहुंच जाता है तब लगती है।

मनुष्य भोजन की व्यवस्था अपने भूख को शांत करने के लिए करता है लेकिन सेक्स की पूर्ति के लिए समाज ने विवाह व्यवस्था की स्थापना की है। विवाह करने के बाद सेक्स की भूख शांत करने के लिए पत्नी उपलब्ध रहती है।

पति-पत्नी के संबंधों को समाज में सामाजिक, धार्मिक तथा पारिवारिक मान्यता दी गई है। इसके बिना यदि हमारे समाज में कोई किसी से सेक्स संबंध स्थापित करता है तो समाज उसे बुरी नजर से देखता है। पति-पत्नी के संबंध को ठीक प्रकार से चलाने के लिए उनको कई उत्तरदायित्व भी सौंपे गये हैं जिसमे वंश वृद्धि का उत्तरदायित्व सबसे पहले आता है जोकि शारीरिक संबंधों का ही परिणाम है।

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