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पेचिश, आंवरक्त ,दस्त(BASCILLARY DYSENTARY)

परिचय:
पेचिश या आंवरक्त खानपान की गड़बड़ी और एण्टामिवा हिस्टोलिटिका जीवाणु के कारण उत्पन्न होता है। इस रोग में मल के साथ आंवयुक्त खून आता है और पेट के नीचे तेज दर्द होता है। बड़ी आंत में रक्त संचय होकर सूजन हो जाती है और अंत में आंतों में घाव हो जाता है जिसके कारण पेचिश के साथ पीव, आंव और खून आदि निकलते रहते हैं।
विभिन्न भाषाओं में रोग का नाम:
हिन्दी आंवर
अंग्रेजी डि
अरबी पेट्क
बंगाली प्रव
डोगरी मरो
गुजराती पेचि
कन्नड़ आम
मलयालम वाय
मराठी आम
उर्दू ना रक्त
तमिल शी
तेलगू बंक
भोजन तथा परहेज:
मूंग या मसूर से बनाया गया जूस, धान के लावे से बनाई गई खिचड़ी, बकरी या गाय के दूध से बनाया गया मक्खन , अदरक, सोंठ,
चांगेरी (चोपतिया) के पत्ते, जामुन, अनार, बेल पत्थर, केले के फूल, पेचिश (अतिसार, प्रवाहिका) से पीड़ित रोगी के लिए सेवन करना लाभकारी होता है।
परस्पर विरोधी गुणों वाले आहार का सेवन, कड़वे एवं खट्टे भोजन, गन्ने से बने उत्पाद, गेहूं, उड़द, जौ और बथुवा से बना साग आदि का सेवन करना इस रोग से पीड़ित रोगी के लिए हानिकारक होता है।
विभिन्न चिकित्सा से उपचार-
1. एरण्ड : पेचिश के रोगी को एरण्ड का तेल हल्के गुनगुने दूध में मिलाकर रात को सोते समय सेवन करने से पेचिश ठीक हो जाती है।
2. बड़ी माई: 2 से 4 ग्राम बड़ी माई का चूर्ण बनाकर रोजाना सुबह-शाम सेवन करने से पेचिश रोग में लाभ मिलता है।
3. चीनी: आधा से एक ग्राम राल को चीनी के साथ सेवन करने से पेचिश ठीक हो जाती है।
4. जायफल: आधा से एक ग्राम जायफल को भूनकर छाछ (लस्सी) के साथ पीने से पेचिश खत्म हो जाती है।
5. फरहद: पेचिश से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए 60 से 120 ग्राम फरहद की छाल का चूर्ण रोजाना सुबह-शाम रोगी को सेवन कराना चाहिए।
6. नरिचा: पेचिश के रोगी को 60 से 120 मिलीलीटर नरिचा (नाड़ी का शाक) के पत्तों का शर्बत बनाकर पिलाने से पेचिश में खून का आना बंद हो जाता है।
7. चांगेरी : चांगेरी (तिनपतिया) साग खिलाने से लाभ होता है। इसको 40 से 80 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से पेचिश से छुटकारा मिलता है।
8. अनार :
अनार का जूस पेचिश के रोगी को पिलाने से पेचिश में पीव, खून आदि आना बंद हो जाता है।
रोगी को अगर पेचिश हो तो उसे अनार के जूस में गन्ने का जूस मिलाकर पिलाने से रोग ठीक हो जाता है।
अनार का छिलका 5 ग्राम, लौंग का अधकुटा चूर्ण लगभग 8 ग्राम और 500 मिलीलीटर पानी को ढककर उबालें। 15 मिनट बाद इसे नीचे उतारकर ठंडा होने पर कपड़े से छानकर रख लें। यह जल दिन में 25 से 50 मिलीलीटर सेवन करने से नया अतिसार, नई पेचिश और आमातिसार की शिकायत दूर हो जाती है।
अनार का छिलका और इन्द्रजौ 20-20 ग्राम की मात्रा में लेकर 4 गुने पानी में मिलाकर काढ़ा तैयार लें। इस काढ़े की 3 खुराकें बना लें। 1-1 खुराक सुबह, दोपहर शाम लेने से 1-2 दिन में ही रक्तातिसार (पेचिश में खून गिरना) बंद हो जाता है। यदि पेचिश के साथ पेट में दर्द भी हो तो काढे़ में लगभग एक चौथाई ग्राम अफीम भी मिला सकते हैं।
अनार के पेड़ की छाल के काढ़े में सोंठ और चन्दनचूरा डालकर पीने से खूनी पेचिश ठीक हो जाती है।
100 मिलीलीटर अनार के रस को सुबह-शाम पीने से पेचिश में लाभ मिलता है।
9. तुलसी :
तुलसी की ताजी पत्तियों को शक्कर या चीनी के साथ मिलाकर सेवन करने से पेचिश के रोगी को लाभ मिलेगा।
2-2 चम्मच तुलसी का रस मिश्री के साथ मिलाकर दिन में 3-4 बार पीने से दस्त और पेचिश में लाभ मिलता है।
तुलसी की पत्तियों को शक्कर (चीनी) के साथ खाने से पेचिश दूर हो जाती है।
10 मिलीलीटर तुलसी के पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर शाम को पीने से पेचिश के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
10. दूध :
गाय का दूध और पानी बराबर मात्रा मे लेकर उबाल लें। उबलने पर जब केवल दूध शेष रह जाए तब इस दूध को पीने से पेचिश की शिकायत दूर हो जाती है।
125 मिलीलीटर बकरी का दूध और 250 मिलीलीटर पानी में 10 ग्राम बेलगिरी डालकर आग पर गर्म करें। जब केवल दूध शेष रह जाये तो उसे छानकर मिश्री मिलाकर पीने से खूनी पेचिश ठीक हो जाती है।
11. सौंफ:
सौंफ को भूनकर मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करने से पेचिश ठीक हो जाती है।
पेचिश का उपचार करने के लिए नयी सौंफ को पानी में उबालकर छान लें और नमक डालकर 2 से 3 बार सेवन करने से लाभ मिलता है।
बिना भुनी हुई सौंफ, भुनी हुई सौंफ, सूखा धनिया, मिश्री और बेलगिरी सभी को 100 ग्राम लेकर इसमें 30 ग्राम सोंठ मिलाकर सभी को अच्छी तरह से पीस लें। फिर इस चूर्ण का सेवन 5-5 ग्राम की मात्रा में करने से पेचिश ठीक हो जाती है।
सौंफ और छोटी हरड़ को बराबर मात्रा में लेकर घी में भूनकर चूर्ण बना लें। इसमें से 5 ग्राम चूर्ण तथा इसी के बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से पेचिश में लाभ मिलता है।
100 भुनी सोंठ, 100 ग्राम भुनी सौंफ, 30 ग्राम भुनी हरड़ तीनों को अच्छी तरह से पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें 250 ग्राम चीनी मिला लें। इस मिश्रण को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर दिन में 3 बार सेवन करने से पेचिश ठीक हो जाती है।
पेचिश को ठीक करने के लिए पानी में सौंफ को उबालकर छानकर उसमें थोड़ा नमक डालकर सेवन करना चाहिए।
भुनी हुई सौंफ और मिश्री समान मात्रा में पीसकर हर 2 घंटे  पर 2-2 चम्मच की मात्रा ठंडे पानी से सेवन करने से लाभ मिलता है।
12. गाजर : पुराने पेचिश के रोगी को गाजर का रस पीने से लाभ मिलता है।
13. किशमिश: पेचिश के रोगी को किशमिश के रस में शहद मिलाकर पीने से पेचिश का रोग दूर हो जाता है।
14. गूलर :
गूलर के पके फल खायें। इससे पेचिश रोग दूर हो जाता है।
गूलर को गर्म जल में उबालकर उसके बाद पीसकर रोटी बनाकर खाने से पेचिश में लाभ मिलता है।
15. गुरुच : 50 मिलीलीटर गुरुच के रस में मिश्री मिलाकर पीने से पुराना पेचिश रोग दूर हो जाता है।
16. चूड़ा : पेचिश होने पर चूड़ा को उसके दुगुने दही में मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है।
17. जावित्री: 2 ग्राम जावित्री का चूर्ण छाछ (लस्सी) या दही के साथ खाने से 7 दिनों में रोगी को लाभ होता है।
18. दही:
अगर पेचिश पुराना हो गया हो तो उसके लिए बेलपत्थर के गूदे को दही में डालकर खाने से रोगी को लाभ मिलेगा।
मेथी के आटे को दही में मिलाकर सेवन करने से पेचिश (खूनी दस्त) ठीक हो जाती है।
मेथी की भाजी के रस में काली द्राक्ष मिलाकर खाने से खूनी दस्त में लाभ मिलता है।
50 ग्राम दाना मेथी और 50 ग्राम सोंठ पीसकर मिला लें। इन्हें 50 ग्राम गुड़ में मिलाकर रख लें। सुबह-शाम भोजन के आधे घंटे बाद 10-10 ग्राम की मात्रा में रोजाना खाने से आंव का आना बंद हो जाता है।
19. पनीर : पनीर का पानी पेचिश के रोगी को पिलाने से लाभ मिलता है।
20. राई : 3 ग्राम राई पेचिश के रोगी को सेवन कराने से लाभ मिलता है।
21. मक्खन: मक्खन को चाटकर छाछ (लस्सी) पी लें इससे पेचिश ठीक हो जाती है।
22. धनिया: पेचिश के रोगी को धनिया और मिश्री को एक समान भाग में लेकर चूर्ण बनाकर रख लें, फिर 1 से 2 चम्मच पानी में घोलकर पीने से रोगी को लाभ मिलता है।
23. लहसुन: 10 मिलीलीटर लहसुन के रस में 10 ग्राम गाय का घी मिला लें। इसे पीने से पेचिश ठीक हो जाता है।
24. अंजीर: पेचिश तथा दस्तों में अंजीर का काढ़ा बनाकर पीने से रोगी को लाभ होता है।
25. मौसमी : मौसमी का जूस पीने से पेचिश के रोग में आराम होता है।
26. नींबू :
नींबू का रस पीने से पेचिश के रोगी का रोग दूर हो जायेगा।
गर्म पानी में नींबू निचोड़कर पीने से पेचिश के रोगी को लाभ मिलता है।
आधा नींबू को आधा गिलास पानी में निचोड़कर दिन में 3 बार पीने से लाभ मिलता है।
दूध में नींबू निचोड़कर पीने पेचिश ठीक हो जाती है।
मिट्टी के बर्तन (शिकोरा) में 250 मिलीलीटर दूध, इच्छानुसार चीनी, आधा नींबू निचोड़कर मिलाकर सेवन करने से पेचिश ठीक हो जाती है तथा पेट की जलन भी दूर होती है।
27. केला :
पेचिश से पीड़ित रोगी को केले की रोटी खिलाने से लाभ मिलता है।
केले को मसलकर उसमें जीरा और नमक मिलाकर खाने से पेचिश ठीक हो जाती है।
पके हुए केले को चने के सत्तू में मिलाकर खाने से 2 से 3 दिनों में पेचिश के रोगी को आराम मिलता है।
केला को दही में मिलाकर खाने से पेचिश का रोग दूर हो जायेगा।
केले नीबू के साथ खाने से पेचिश रोग मिटता है और आहार शीघ्र ही पचता है। केले में दही मिलाकर खाने से पेचिश और दस्तों में लाभ होता है।
28. बेर :
1 ग्राम बेर, डंठल वाली गोभी और मिश्री दोनों को पीसकर रोज एक बार खाली पेट लेने से पेचिश ठीक हो जाती है।
पेचिश रोग को ठीक करने के लिए बेर के पत्ते, धाय के फूल, कैथ का रस, लोध और शहद को मिलाकर दही के साथ खाने से लाभ मिलता है।
29. कुड़ा:
कुड़ा की छाल, अलसी, बेल गिरी, खस नेत्रवाला मोथा, धनिया आदि सभी को एक ही मात्रा में लेकर पीसकर रख लें। उसके बाद चूर्ण लेकर 250 मिलीलीटर पानी में गर्म करें और जब यह 50 मिलीलीटर बच जाए तब उसमें शहद डालकर खाने से पेचिश ठीक हो जाती है।
खूनी पेचिश के रोगी को कुड़ा की छाल के काढ़े में शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए।
30. रास्ना: रास्ना की जड़ को पीसकर शहद के साथ प्रतिदिन 2 से 3 बार लेने से पुराने खून वाले पेचिश में लाभ मिलता है।
31. मोठ (इसे कहीं-कहीं लोग गोभी के नाम से जानते है): मोठ को उबालकर उसमें प्याज के रस या टुकड़ों को अच्छी तरह से मिलाकर रख लें। उस मिश्रण को खाने से खूनी पेचिश के रोगी को लाभ मिलता है।
32. घी : सौंफ, सोंठ, काली हरड़ तथा घी आदि को बराबर मात्रा में लेकर उसे अच्छी तरह से भून लें। फिर उसमें नमक मिलाकर ताजे पानी के साथ 5 ग्राम की मात्रा लेने से खूनी पेचिश ठीक हो जाती है।
33. तरबूजा : पेचिश के रोगी को तरबूजा या खरबूजा खाना लाभकारी होता है क्योंकि इसे खाने से शरीर के अन्दर एकत्रित मलदोष दूर हो जाता है। मगर ध्यान रहे कि तरबूजा खाने के बाद पानी न पीयें।
34. बेल:
पका हुआ बेल पुराने पेचिश में लाभकारी होता है।
कच्चे बेल के टुकड़े कर दें। फिर उसे आग में पकायें। गुदे से बीजों को फेंक दें। इस गूदे को दही के साथ खाने से पेचिश ठीक हो जाती है।
बेल (बेल पत्थर) के अन्दर के गूदे को दही तथा गुड़ के साथ खाने से पेचिश में लाभ मिलता है।
बेल (बेल पत्थर) का कच्चा गूदा, मिश्री और 2 ग्राम नागकेसर मिलाकर सेवन करने से पेचिश में लाभ मिलता है।
बेल की गिरी का चूर्ण 10 ग्राम, सौंठ का चूर्ण और पुराना गुड़ 6-6 ग्राम पीसकर छाछ के साथ 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से लाभ मिलता है। ध्यान रहे कि खाने में केवल छाछ का ही प्रयोग करें। इससे संग्रहणी (पेचिश) में लाभ होता है।
बेल की गिरी और कुड़ाछाल दोनों का चूर्ण इकठ्ठा (दस से बीस ग्राम तक) कर रात के समय 150 मिलीलीटर पानी में भिगोकर, सुबह पानी में पीसकर छानकर सेवन करने से लाभ मिलता है।
कच्चे बेल को आग में सेंककर इसमें से 10 से 20 ग्राम गूदा निकालकर चीनी और शहद मिलाकर खाएं इससे लाभ मिलेगा और पेचिश ठीक हो जाएगी।
कच्चे बेल को भूनकर रख लें। 1 ग्राम बेल के गूदे में शक्कर (चीनी) मिलाकर खाने से पेचिश दूर हो जाती है।
बेलपत्थर के गूदे में सोंठ का चूर्ण और लस्सी (मट्ठा) मिलाकर पीने से पेचिश ठीक हो जाती है।
पेचिश को ठीक करने के लिए बेल के अन्दर के गूदे को बड़ी सौंफ एवं घोड़बच के साथ मिलाकर काढ़ा तैयार करें और इसमें से 50 से 70 मिलीलीटर काढ़ा सेवन करने से रोगी को लाभ मिलता है। इसके अलावा पेचिश में खून आना बंद हो जाता है।
25 ग्राम बेल की गिरी तथा 6 ग्राम गुड़ को मिलाकर दिन में 4 खाने से पेचिश में लाभ मिलता है।
35. यष्टिमधु : यष्टिमधु को सूर्य के प्रकाश में सुखाकर खूब बारीक से कूट-पीसकर कपड़े से छानकर रख लें। फिर इसे भोजन के बाद 2 चम्मच जल के साथ लेने से पेचिश के रोग में लाभ मिलता है।
36. छाछ :
छाछ (लस्सी) को धीरे-धीरे दिन प्रतिदिन 2 लीटर तक पीयें इससे पेचिश ठीक हो जाती है।
संग्रहणी सदृश्य रोगों में रोगियों को गाय के दूध की छाछ में सोंठ और पीपर का चूर्ण डालकर पीने से लाभ होता है।
नोट : इस प्रयोगकाल में आहार में केवल छाछ और चावल का ही प्रयोग करें।
37. जीरा : सूखे जीरे का 1-2 ग्राम पाउडर, 250 मिलीलीटर मक्खन के साथ दिन में 4 बार लें। इससे पेचिश ठीक हो जाती है।
38. चावल: चावलों को उबालकर दही में मिलाकर रख लें और उसमें भुना हुआ जीरा और स्वाद के अनुसार सेंधानमक भी डालकर खाने से रोगी को पेचिश में लाभ मिलता है।

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