खूनी बावासीर और वीर्य की मात्रा बढ़ाने का उपाय
गेंदा (Marigold)
गेंदे की खूबसूरती और सुगंध सभी को आकर्षित करती है तथा इसके फूलों की मालाओं का अधिक मात्रा में प्रयोग आम जीवन में किया जाता है। इसका पौधा बरसात के मौसम में लगाया जाता है और इसकी खेती पूरे भारत में की जाती है। गेंदे के पौधे की ऊंचाई 80 से 120 सेमी तक होती है। गेंदे के पत्ते से 2 से 5 सेमी लंबे और कंगूरेदार होते हैं इन पत्तों को मसलने पर अच्छी खुशबू आती है। इसके फूल पीले तथा नारंगी रंग के होते हैं जो अक्टूबर-नवम्बर महीने में लगते हैं। ये आकार में अन्य के फूलों के मुकाबले बड़े और घने होते हैं। गेंदे अनेक जातियां होती है, जिनमें मखमली, जाफरे, हवशी, सुरनाई और हजार अधिक प्रचलित हैं।
विभिन्न रोगों में सहायक औषधि :
1. कान में दर्द:
गेंदे की पत्ती का रस कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।
गेंदे के पत्तों का रस गर्म करके सहनीय (हल्का गर्म) अवस्था में पीड़ित कान में 2-3 बूंद की मात्रा में डालने से दर्द में तुरन्त आराम मिलता है।
2. आंखों के दर्द: गेंदे के पत्तों को पीसकर टिकियां बना लें फिर आंखों की पलकों को बंद करके इसे पलको के ऊपर रखे इससे आंखों का दर्द दूर हो जाएगा।
3. शरीर में शक्ति तथा वीर्य की मात्रा बढ़ाना: 1 चम्मच गेंदे के बीज और इतनी ही मात्रा में मिश्री मिलाकर 1 कप दूध के साथ सुबह-शाम प्रतिदिन सेवन करने से वीर्य की मात्रा में वृद्धि तथा शरीर की शक्ति बढ़ती है।
4. गुदाभ्रंश (कांच निकलना): गेंदे के पत्तों का काढ़ा तैयार करके उससे 2-3 बार गरारे करके कुल्ला करने से यह कष्ट दूर हो जाता है।
5. स्तनों की सूजन:
अगर किसी औरत के स्तनों में अचानक सूजन हो जाए तो गेंदे की पत्ती के रस से स्तनों पर मालिश करें इससे सूजन दूर हो जाती है।
गेंदे के पत्तों को पीसकर उसका लेप स्तन पर लगायें और उस पर ब्रा पहनकर गर्म सिंकाई करें इससे सूजन कम हो जाती है।
6. दाद: दाद से प्रभावित अंग पर गेंदे के फूलों का रस निकालकर 2-3 बार रोजाना लगाना चाहिए।
7. चोट, मोच, सूजन:
गेंदे के पंचाग (जड़, पत्ता, तना, फूल और फल) का रस निकालकर चोट, मोच, सूजन पर लगाएं व मालिश करें। इससे लाभ मिलता है।
गेंदा के फूल के पत्तों को पीसकर लेप की तरह शरीर के सूजन वाले भाग पर लगाने से सूजन दूर हो जाती है।
8. दमा तथा खांसी: गेंदे के बीजों को बराबर मिश्री के साथ पीसकर एक चम्मच की मात्रा में एक कप पानी के साथ 2-3 बार सेवन करने से दमा और खांसी में लाभ मिलता है।
9. फोड़े-फुन्सी, घाव:
गेदें के पत्तों को पीसकर 2-3 बार लगाने से फोड़े, फुंसियों तथा घाव में लाभ मिलता है।
गेंदा के फूलों को पीसकर घाव पर लगाने से फायदा मिलता है।
10. खूनी बवासीर:
गेंदे के फूल की पंखुड़ियों को 10 ग्राम की मात्रा में थोड़े से घी के साथ पकाकर दिन में 3 बार रोजाना सेवन करने से लाभ मिलता है।
10 ग्राम गेंदे के पत्ते, 2 ग्राम कालीमिर्च को एक साथ पीसकर पीने से बवासीर के रोग में लाभ होता है।
5 से 10 ग्राम गेंदे के फूलों की पंखुड़ियों को घी में भूनकर रोजाना 3 बार रोगी को देने से बवासीर से बहने वाला खून बंद हो जाता है।
गेंदे के पत्तों का रस निकालकर पीने से बवासीर में बहने वाला रक्त तुरन्त बंद हो जाता है।
रात के समय में 250 ग्राम गेंदे के पत्ते और केले की जड़ को 2 लीटर पानी में भिगों दें और सुबह इसका रस निकाल लें इस रस को 15 से 20 ग्राम की मात्रा में सेवन करें इससे बवासीर रोग में आराम मिलेगा।
खूनी बवासीर में गेंदे के फूलों का 5-10 ग्राम रस दिन में 2-3 बार सेवन करना बहुत ही लाभकारी होता है।
गेंदे के फुल की पंखुड़ियों को पीसकर इसका 10 ग्राम रस निकाल लें। इस रस को गाय के 30 ग्राम घी के साथ मिलाकर प्रतिदिन सूबह-शाम पीने से खूनी बवासीर ठीक होती है।
गेंदे के फूला या पत्तों का रस निकाल कर पीयें। इससे बादी बवासीर के सूजन ठीक होती है।