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गाजर के हैरान कर देने वाले 110 फायदे(110 Benifit of Carrot)

गाजर
(Carrot)
परिचय : गाजर प्रकृति की बहुत ही कीमती देन है जो शक्ति का भण्डार है। गाजर फल भी है और सब्जी भी तथा इसकी पैदावार पूरे भारतवर्ष में की जाती है। मूली की तरह गाजर भी जमीन के अन्दर पैदा होती है।
गाजर के सेवन से शरीर मुलायम और सुन्दर बना रहता है तथा शरीर में शक्ति का संचार होता है और वजन भी बढ़ता है। बच्चों को गाजर का रस पिलाने से उनके दांत आसानी से निकलते हैं और दूध भी ठीक से पच जाता है। बवासीर , क्षयरोग पित्त
आदि में गाजर का सेवन करना बहुत ही उपयोगी है। गाजर का रस
दिमाग के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है। गाजर के सेवन से शरीर स्वस्थ रहता है तथा शरीर में
रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ जाती है। इसके उपयोग से गुदा की जलन भी दूर हो जाती है।
विभिन्न भाषाओं में नाम :
हिन्दी गाजर
अंग्रेजी कैरट
रंग : इसका रंग काला, लाल, पीला और सुनहरा होता है।
स्वाद : यह मीठा और फीका होता है।
स्वरूप : इसके पौधे खेतों में उगाये जाते हैं।
हानिकारक : गाजर का अधिक मात्रा में सेवन करना हानिकारक हो सकता है।
सावधानी : अधिक मात्रा में गाजर खाने से पेट में दर्द हो रहा हो तो गुड़ खाना लाभकारी होता है। जिन व्यक्तियों के पेट में गैस बनने की शिकायत हो उन्हें गाजर का रस या गाजर को उबालकर उसका पानी पीने के लिए दें, इससे उन्हें लाभ मिलेगा। गाजर खाने के बाद तुरन्त कभी भी पानी नहीं पीना चाहिए और गाजर के बीच का पीला भाग नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसे खाने से खांसी होती है।
दोष को दूर करना : गाजर के दोषों को दूर करने के लिए गुड़ का उपयोग करना चाहिए।
तुलना : गाजर की तुलना शलजम से की जा सकती है।
गुण : गाजर का सेवन करने से आमाशय को शक्ति मिलती है तथा दिल खुश रहता है। यह स्वभाव को कोमल करती है। वीर्य को उत्तेजित करती है। यह कफ को गलाकर बाहर निकाल देती है। खांसी और सीने की जकड़न को यह दूर करती है। इसके सेवन से पेशाब खुलकर आता है। यह
पथरी को गलाकर बाहर निकाल देती है। यह जलोदर को नष्ट करती है। इसका रस पागलपन से पीड़ित रोगी को पिलाना लाभकारी होता है। गाजर से बना हलवा तथा पकवान बलवर्धक तथा पौष्टिक होता है।
वैज्ञानिक मतानुसार :
गाजर में प्रोटीन ,
कार्बोहाईड्रेट, चर्बी, फास्फोरस,
गंधक, स्टार्च तथा कैल्शियम होता है। नारंगी रंग के गाजर में केरोटीन बहुत ही अधिक मात्रा में पाया जाता है। केरोटीन विटामिन `ए ´ की तरह ही काम करता है। गाजर का सेवन करने के बाद जब यकृत में इसका पाचन होता है तो विटामिन `ए´ उत्पन्न होता है। विटामिन `ए´ शरीर के लिए बहुत अधिक लाभकारी है। गाजर में फास्फोरस पाया जाता है। इसलिए इसके सेवन से आंखों को बहुत अधिक लाभ मिलता है। इसमें आयरन
लौह तत्व पाया जाता है जिससे शरीर में खून वृद्धि होती है। इसमें सल्फर गंधक का तत्व पाया जाता है जिससे खून साफ होता है। यह
फोड़े-फुन्सियां, खुजली , दाद और
चर्म रोगों को ठीक करने में लाभकारी है।
डायबिटीज (मधुमेह) को छोड़कर लगभग सभी रोगों को ठीक करने में गाजर का सेवन करना लाभकारी है। गाजर खाने की तुलना में इसका रस पीना अधिक लाभदायक होता है। गाजर के रस में जीवनदायिनी शक्ति अधिक होती है। गाजर सेवन से मज्जा तन्त्र (नर्वस सिस्टम) की रक्षा होती है।
आरोग्य शक्ति :
लगतार काम करने के कारण से शरीर में आई कमजोरी को दूर करने के लिए गाजर का सेवन करें इससे यह कमजोरी दूर हो जाएगी। गाजर का रस पीने से पाचन संस्थान मजबूत होता है। इसके सेवन से मल की बदबू और विषैले कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। गाजर में केरोटीन नामक जो तत्व होता है, वह कैंसर को ठीक करने में उपयोगी है। यदि लम्बी बीमारी से पीड़ित रहने के कारण से शरीर में कमजोरी उत्पन्न हो गई हो तो में गाजर का रस पीना बहुत ही लाभकारी होता है। इसके सेवन से रोगी चुस्त, तरो ताजा और शक्तिशाली बनाता है। गाजर का रस, भुना हुआ जीरा , शक्कर तथा
नमक मिलाकर पीने से वातदोष दूर हो जाता है।
निषेध :
नि:सन्देह गाजर का रस सभी रोगों को ठीक करने में बहुत ही लाभकारी होता है फिर भी
जुकाम , जीर्ण ज्वर, न्यूमोनिया, या तेज बुखा र में गाजर के रस का सेवन नहीं करना चाहिए। इसका कारण यह है कि रोग होने के समय शरीर के अन्दर के विषैलें द्रव्य बाहर निकालते हैं। ऐसी अवस्था में गाजर का रस या कोई भी अन्य पेय पदार्थ या फिर कोई भी आहार इस प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करेगा लेकिन टान्सिलाइटिस, पेचिश ,
आंत की जलन, एनीमिया , पथरी,
बवासीर , अल्सर और खून से सम्बंधित रोग आदि में गाजर का रस उपयोगी सिद्ध होता है।
गाजर का रस निकालने की विधि :
गाजर को मिक्सी में पीसकर रस निकाला जा सकता है या लोहे की छलनी में गोल छेद करके और फिर उसकी उल्टी तरफ गाजर को रगडे़। इससे गाजर बुरादे की तरह हो जाएगी फिर इसे कपड़े में रखकर निचोड़ने से रस निकल आता है। ऐसी चलनी और रस निकालने की मशीन बाजार से भी खरीदी जा सकती है।
गाजर का रस पीना बहुत अधिक लाभदायक होता है। एक गिलास गाजर का रस एक बार के भोजन के बराबर होता है। एक बार में केवल एक गिलास का रस पियें इससे अधिक नहीं। इस रस को लगातार सेवन करते रहने से दूषित और विषैले पदार्थ शरीर से बाहर निकल जाते हैं। बडे़-बडे़ असाध्य रोग यहां तक की कैंसर भी इसके सेवन से ठीक हो जाता है।
गाजर के प्राकृतिक गुणों को देखते हुए चिकित्सकों ने इसे गरीबों के लिए सेब के समान माना है जो लोग सेब नहीं खरीद सकते, वे गाजर खाकर उतना ही लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इससे शरीर में खून की कमी दूर हो जाती है। गाजर का रस पर्याप्त मात्रा में लेने से शरीर मोटा-ताजा और चुस्त हो जाता है।
विभिन्न में गाजर का उपयोग :
1. बांझपन : बांझ स्त्री को गाजर के बीजों की धूनी इस प्रकार दें कि उसका धुंआ रोगिणी की बच्चेदानी तक चला जाए। जलते हुए कोयले पर गाजर के बीज डालें। इससे धुंआ होने लगेगा। इसी धूनी को रोगिणी को दें तथा रोजाना उसे गाजर का रस पिलायें।
2. गर्भावस्था: गर्भावस्था में गाजर का रस पीते रहने से सैप्टिक रोग नहीं होता तथा शरीर में कैल्शियम की भी कमी नहीं रहती है। बच्चों को दूध पिलाने वाली माताओं को नियमित रूप से गाजर के रस का सेवन करना चाहिए। इससे उसके दूध की गुणवत्ता बढ़ती है।
3. दस्त:
गाजर का सेवन करने से पुराने दस्त, अपच और संग्रहणी रोग ठीक हो जाते हैं। गाजर का अचार बनाकर सेवन करने से बढ़ी हुई तिल्ली कम हो जाती है।
आधे कप गाजर के रस में थोड़ी-सा सेंधा नमक मिलाकर 1 दिन में लगभग 4 बार चाटने से दस्त ठीक हो जाता है।
4. यकृत रोग: यकृत के रोग से पीड़ित रोगी को गाजर का रस, गाजर का सूप या गाजर का गर्म काढ़ा सेवन कराने से लाभ मिलता है।
5. कैंसर: गाजर का रस पीने से कैंसर नष्ट हो जाता है। ल्यूकोमिया (ब्लड कैंसर) और पेट के कैंसर में यह अधिक लाभदायक होता है।
6. अम्लरक्त: अम्लरक्त के रोग में गाजर का रस पीने से लाभ मिलता है।
7. हृदय अधिक धड़कना: हृदय कमजोर होने पर रोजाना 2 बार गाजर का रस पीने से लाभ होता है। हृदय की धड़कन बढ़ना तथा शरीर का खून गाढ़ा होने पर गाजर का सेवन करने से लाभ मिलता है।
8. घी, तेल, चिकनी चीजों का न पचना: 3 00 मिलीलीटर गाजर का रस और 150 मिलीलीटर पालक का रस मिलाकर सेवन करने से घी, तेल और चिकनी चीजें पचने लगेगी।
9. बड़ी आंत की सूजन: बड़ी आंत में सूजन आ जाने पर रोग को ठीक करने के लिए 200 मिलीलीटर गाजर का रस, 150 मिलीलीटर चुकन्दर का रस और 150 मिलीलीटर खीरे का रस मिलाकर पीने से लाभ मिलेगा।
10. नाक और गले के रोग: 250 मिलीलीटर गाजर और पालक का रस रोजाना पीने से नाक और गले के रोग ठीक हो जाते हैं।
11. दांतों के रोग:
70 मिलीलीटर गाजर का रस रोजाना पीने से मसूढ़ों और दांतों में रोग पैदा नहीं होते और दांतों की जड़ें मजबूत हो जाती है।
दांतों को मजबूत करने के लिए गाजर का रस रोजाना पीयें। इससे दांतों की जड़े मजबूत होते हैं तथा दांत का हिलना बंद हो जाता है।
12. सांस में दुर्गंध आना: गाजर, पालक और खीरे का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से सांस से बदबू नहीं आती है।
13. पेशाब में धातु का आना : 250 मिलीलीटर गाजर का रस रोजाना 3 बार पीने से पेशाब में धातु आना बंद हो जाता है।
14. खून में लाल कणों की कमी होना : 250 मिलीलीटर गाजर का रस और पालक का रस मिलाकर पियें। इससे शरीर के खून में लाल कणों की वृद्धि होती है तथा इसके साथ ही इसके सेवन से कई प्रकार के रक्त चाप, फोड़ा, गुर्दे के रोग जैसे पेशाब बूंद-बूंद आना, पेशाब कम होना, पेशाब में सफेद पदार्थ आना, सांस की नली में सूजन, कैंसर, मोतियाबिन्द, सर्दी, जुकाम, कंठमाला (घेंघा रोग) और बवासीर आदि रोग भी दूर हो जाते हैं।
15. पित्ताशय की पथरी:
250 मिलीलीटर गाजर का रस और सलाद के पत्तों का रस मिलाकर पीने से पथरी गलकर पेशाब के साथ बाहर निकल जाती है और रोगी को अधिक आराम मिलता है।
गाजर का रस प्रतिदिन सुबह-शाम पीयें। इससे पित्ताशय में होने वाली पथरी गलकर पेशाब के रास्ते बाहर हो जाएगी।
गाजर का रस पीने से पित्ताशय की पथरी कट-कट बाहर निकल जाती है और इसके पत्तों का सलाद इस रोग को ठीक करने के लिए उपयोग में ले सकते हैं।
16. गुर्दे की पथरी:
गुर्दे की पथरी तथा मूत्राशय की सूजन को ठीक करने के लिए तथा गुर्दो की सफाई के लिए 150 मिलीलीटर गाजर, चुकन्दर, ककड़ी या खीरे का रस मिलाकर पीने से लाभ मिलता है। गुर्दे और मूत्राशय की पथरी को गाजर का रस तोड़कर पेशाब के रास्ते बाहर निकाल देता है।
गाजर का रस रोजाना 3-4 बार पीने से पथरी निकल जाती है। गाजर के बीजों को पीसकर फंकी लेने से भी पथरी गलकर बाहर निकल जाती है।
मोटी मूली को खोखला करके इसमें गाजर और शलगम के 1-1 चम्मच बीजों को भर दें। मूली के मुंह को बंद करके आग में भून लें। मूली से बीजों को निकालकर प्रतिदिन सुबह-शाम पानी के साथ 1 महीने तक खाने से पथरी का रोग ठीक होने लगता है।
गाजर, मूली तथा शलगम का बीज 5-5 ग्राम को पीसकर चटनी बना लें। प्रतिदिन सुबह-शाम 3-3 ग्राम चटनी पानी के साथ 15 दिन तक लें। इससे पथरी गलकर निकल जाती है।
17. गुर्दे के रोग तथा सूजन: 2 चम्मच गाजर के बीज को 1 गिलास पानी में डालकर उबालकर पीने से पेशाब ज्यादा आता है जिसके फलस्वरूप गुर्दे के कई रोग ठीक हो जाता है और सूजन भी दूर हो जाती है।
18. रक्तस्राव : गाजर किसी भी अंग से बहने वाले खून बहने से रोकती है।
19. फोड़े-फुंसियां:
फुंसियों पर बांधने से ये जल्दी ठीक होने लगते हैं। यह फोड़े- फुंसियों के जमे हुए खून को भी पिघला देती है।
गाजर को उबालकर उसकी चटनी बना लें और फुंसियों पर लगाऐं इससे लाभ मिलेगा।
20. आग से जलना:
कच्ची गाजर को पीसकर आग से जले हुए स्थान पर रखने से जलन नष्ट हो जाती है और पीब भी नहीं बनती है।
आग से जल जाने पर जले हुए स्थान पर गाजर का रस लगाने से जख्म नहीं बनता तथा जलन व पीड़ा दूर हो जाती है।
शरीर के जले हुए भाग पर कच्ची गाजर का रस बार-बार लगाने से लाभ होता है।
आग से जले हुए व्यक्ति की जलन और दर्द को दूर करने के लिए गाजर को पीसकर लगाना चाहिये।
21. सीने का दर्द : गाजरों को उबालकर उसमें शहद मिलाकर सेवन करने से सीने का दर्द समाप्त हो जाता है।
22. घुटने का दर्द: गाजर का रस संधिवात और गठिया के रोग को ठीक करने में लाभकारी है। गाजर, ककड़ी और चुकन्दर का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से जल्दी लाभ होता है।
23. दिमागी थकान: रोजाना सुबह के समय 6-7 बादाम खाकर तथा इसके बाद 125 मिलीलीटर गाजर का रस व 500 मिलीलीटर गाय का दूध मिलाकर पीने से स्मरण शक्ति बढ़ती है जिसके फलस्वरूप दिमागी थकान भी दूर होती है।
24. कैंसर (कर्कट) रोग:
310 मिलीलीटर गाजर का रस, मिलीलीटर ग्राम पालक का रस मिलाकर प्रतिदिन 3 बार पीने या गाजर का रस दूध में मिलाकर पीने से कैंसर को ठीक होने लगता है।
1 गिलास गाजर के रस में 2 चम्मच शहद डालकर रोजाना सेवन करने से कैंसर रोग ठीक होने लगता है।
गाजर का रस दूध में मिलाकर पीने से सिर दर्द, बुखार और कैंसर ठीक होने लगता है तथा खून में लाल कणों की कमी भी दूर हो जाती है।
काली गाजर के रस का सेवन करने से ब्लाड कैंसर, पेट के कैंसर ठीक होता है।
25. आंत की सूजन : बड़ी आंत की सूजन को ठीक करने के लिए 180 मिलीलीटर गाजर का रस, 150 मिलीलीटर चुकन्दर का रस तथा 160 मिलीलीटर खीरे का रस मिलाकर पीने से लाभ मिलेगा।
26. बच्चों की दुर्बलता: कमजोर बच्चे को 2-3 चाय के चम्मच गाजर का रस रोजाना पिलाने से वे हष्ट-पुष्ट हो जाते हैं। स्वस्थ बच्चों को भी गाजर का रस पिलाने से बच्चे के शरीर में ताकत की वृद्धि होती है। जिन बच्चों को जन्म से ही गाजर का रस दिया जाता है। वे कभी बीमार नहीं पड़ते हैं। दूध के साथ गाजर का रस पिलाने से बच्चों का विकास तेजी से होता है।
27. मासिक-धर्म: यदि मासिक धर्म न आता हो तो 2 चम्मच गाजर के बीज और 1 चम्मच गुड़ को 1 गिलास पानी में उबालकर रोजाना सुबह-शाम दो बार गर्म-गर्म पियें तो इससे मासिकधर्म में होने वाला दर्द भी दूर हो जाता है।
28. शक्तिवर्द्धक: गाजर में विटामिन-ई पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है तथा इसका सेवन करने से शरीर में शक्ति की वृद्धि होती है।
29. कोष्ठबद्धता (कब्ज): गाजर के रस का रोजाना सेवन करने से कोष्ठबद्धता (कब्ज) दूर हो जाती है।
30. अल्सर: गाजर के 150 मिलीलीटर रस में 100 मिलीलीटर पालक का रस और 50 मिलीलीटर गोभी का रस मिलाकर पीने से अल्सर रोग ठीक हो जाता है।
31. खून की कमी (एनीमिया):
शरीर में खून की कमी से पीड़ित रोगियों को 200 मिलीलीटर गाजर के रस में 100 मिलीलीटर पालक का रस मिलाकर पिलाने से अधिक लाभ मिलता है।
100 मिलीलीटर गाजर का रस और 30 मिलीलीटर चुकन्दर का रस मिलाकर प्रतिदिन पीयें। इससे शरीर में खून की कमी दूर होती है।
32. मानसिक तनाव: 250 मिलीलीटर गाजर का रस रोजाना पीने से मानसिक तनाव दूर होता है आफिसों में काम करने वाले स्त्री-पुरुषों, परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों और दूसरे मानसिक कार्य करने वालो को गाजर का रस लाभकारी है।
33. हिचकी: गाजर के रस 4-5 बूंद नाक के दोनों छेदों में डालें इससे हिचकी दूर होती है। हिचकी को दूर करने के लिए गाजर को पीसकर सूंघने से लाभ मिलता है।
34. दांतों के रोग : 70 मिलीलीटर गाजर का रस रोजाना पीने से मसूढ़ों और दांतों में रोग पैदा नहीं होता है इससे दांतों की जड़ें मजबूत होती है।
35. नपुंसकता:
गाजर का हलवा रोज 100 ग्राम खाने से सेक्स की क्षमता बढ़ती है।
रोज गाजर का रस 200 मिलीलीटर पीने से मैथुन-शक्ति बढ़ती है।
गाजर का रस शहद के साथ लेने से वीर्य गाढ़ा होता है और नपुंसकता (नामर्दी) दूर होती है।
36. दमा (सांस का रोग):
गाजर का रस 180 मिलीलीटर, चुकन्दर का रस 150 मिलीलीटर, खीरा या ककड़ी का रस 125 मिलीलीटर मिलाकर पीने से दमा में अधिक लाभ होता है। दमा रोग को ठीक करने के लिए गाजर अथवा इसका रस दोनों ही लाभकारी है।
रोजाना एक गिलास गाजर का रस गर्म करके पीने से दमा रोग में आराम मिलता है।
रोजाना सुबह और दोपहर को 1-1 गिलास गाजर का रस पीने से दमा रोग ठीक होने लगता है। इसका 10-15 दिनों तक प्रयोग करना चाहिए। लंबे समय तक गाजर का रस पीते रहने से शरीर को कभी भी हानि नहीं होती है।
37. बालों का सफेद होना:
गाजर का रस रोजाना प्रयोग करने से बाल सफेद नहीं होते और जिसके सफेद बाल है वे काले भी होने लगते हैं।
रोजाना गाजर का रस पीने से बाल काले और सून्दर तथा चमक्दार हो जाते हैं।
38. आंखों का रोग:
गाजर का रस पीने से रतौंधी, दृष्टिहीनता और आंखो के दूसरे रोग समाप्त होते है। इसमे विटामिन `ए´ भी है।
गाजर के रस मे पालक का रस मिला कर सेवन करने से मोतियाबिन्द मे लाभ होता है।
आंखों की रोशनी बढ़ाने के लिये गाजर का मुरब्बा खायें। इसका रोजाना सेवन करने से रतौंधी, मोतियाबिन्द और आंखों की सूजन आदि रोग नहीं होता है।
लगभग 125 मिलीलीटर गाजर और खीरे का रस बराबर मात्रा में मिलाकर पीने से आंखों की रोशनी तेज हो जाती है।
हरे पत्ते वाली सब्जियां और गाजर खाने से आंखों की रोशनी तेज होती है।
39. मोतियाबिन्द: लगभग 300 मिलीलीटर गाजर के रस मे 125 मिलीलीटर पालक का रस मिलाकर पीने से मोतियाबिन्द दूर हो जाती है।
40. रतौंधी (रात में न दिखाई देना):
200 मिलीलीटर गाजर का रस रोजाना पीने से शरीर में ताकत तो बढ़ती ही है साथ में रतौंधी के रोग से भी मुक्ति मिलती है।
रतौंधी के रोग में गाजर का रस और दूध पीने से अधिक लाभ मिलता है।
41. सूखी खांसी: 300 मिलीलीटर गाजर का रस और 125 मिलीलीटर पालक का रस मिलाकर पीने से श्वांस (सांस) नली की सूजन (ब्रोंकाइटिस) में बहुत अधिक लाभ मिलता है। गाजर सूखी खांसी को ठीक करने में बहुत अधिक उपयोगी है।
42. गैस्ट्रिक अल्सर:
गाजर के रस को शहद के साथ रोजाना दिन में तीन बार पीने से पक्काशय में होने वाले घाव ठीक हो जाते हैं।
गाजर का रस पीने से वमन (उल्टी) ठीक हो जाती है।
गाजर का रस में किशमिश का रस मिलाकर पीने से आराम मिलता है।
43. कब्ज:
गाजर, मूली, प्याज, टमाटर, खीरा, व चुंकदर का सलाद बनाकर इसमें नींबू का रस और सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से कब्ज़ (कोष्ठबद्धता) में लाभ होता है।
गाजर या संतरे के 200 मिलीलीटर रस को दिन में 2-3 बार पीने से कब्ज़ (कोष्ठबद्धता) मिटती है।
कच्ची गाजर 250 ग्राम को रोजाना खाली पेट खाने से कब्ज नहीं होती है तथा भूख अच्छी तरह लगती है।
गाजर व हरड़ का मुरब्बा खाने से पेट में गैस नहीं रूक पाती है।
44. स्तन में दूध की कमी:
दूध पिलाने वाली माताओं को गाजर का रस पिलाने से उनके स्तनों में दूध कमी दूर हो जाती है।
गाजर का रस तथा भोजन के साथ कच्चे प्याज का सेवन करने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
45. मसूढ़ों का रोग:- 70 मिलीलीटर गाजर का रस प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से मसूढ़ों का रोग ठीक हो जाता है।
46. सिर की रूसी: गाजर को कुचलकर बालों की जड़ों और माथे पर रगड़ने से रूसी मिट जाती है।
47. वमन (उल्टी): गाजर के रस में शहद मिलाकर पीने से खून की उल्टी आना बंद हो जाती है।
48. गर्भ में मरे हुए बच्चे का दोष दूर करना:
गाजर के बीजों की धूनी को योनि में देने से गर्भ में मरे हुए बच्चे से उत्पन्न दोष (विकार) नष्ट हो जाते हैं।
गाजर के बीज और कबूतर की विष्टा को आग में डालकर योनि में धुंआ देने तथा सांप की केंचुली की धुंआ देने से मरा हुआ बच्चा गर्भ से बाहर निकल जाता है।
49. पेट में गैस का बनना:
गाजर का रस एक कप, शहद 2 चम्मच की मात्रा में तथा थोड़ी-सी मात्रा में काला नमक मिलाकर खाने से आराम मिलता है।
आधा कप गाजर का रस और 2 चम्मच पत्ता गोभी का रस मिलाकर सेवन करने से पेट का गैस दूर हो जाती है।
50. गर्भावस्था की कमजोरी: आधा गिलास गाजर का रस, आधा गिलास दूध व स्वादानुसार शहद मिलाकर प्रतिदिन पीने से गर्भावस्था की कमजोरी दूर होती है।
51. जुकाम : लगभग 125 मिलीलीटर पालक का रस और 300 मिलीलीटर गाजर के रस को एक साथ मिलाकर पीने से सर्दी और जुकाम ठीक हो जाता है।
52. गर्भपात:
जंगली कबूतर का बीट और गाजर के बीजों को योनि में धूनी देने से गर्भपात हो जाता है।
गाजर के बीज, तिल और चिरौंजी इन तीनों को गुड़ के साथ खाने से गर्भ गिर जाता है।
53. मुंह की बदबू: गाजर का रस पीने से पाचन संस्थान मजबूत होता है जिसके फलस्वरूप मुंह की बदबू दूर होती है। इसके सेवन से पेट के विशैले कीटाणु भी नष्ट हो जाते हैं जिससे मल में बदबू भी नहीं आती है।
54. मूत्र के साथ खून का आना:
पेशाब के साथ खून आने पर गाजर के बीज का चूर्ण सुबह-शाम 1 से 3 ग्राम लें इससे फायदा लाभ मिलेगा।
55. बवासीर (अर्श):
गाजर और पालक का रस निकालकर प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से अर्श (बवासीर) रोग ठीक होता है।
कच्चा गाजर खाने अथवा गाजर का रस पीने से बवासीर ठीक होता है।
गाजर का रस 2 कप तथा पालक का रस 1 कप निकालकर दोनों को मिलाकर 20 दिन तक प्रतिदिन सुबह-शाम पीने से सभी प्रकार के बवासीर ठीक होते हैं।
56. कष्टार्तव (मासिकधर्म कष्ट के साथ आना):
गाजर के बीज 5 ग्राम की मात्रा में 100 मिलीलीटर जल में उबालकर 25 ग्राम गुड़ मिलाकर सेवन करने से मासिकधर्म समय पर आता है और मासिक स्राव की पीड़ा नष्ट हो जाती है।
गर्भाशय सम्बंधी सभी विकारों में गाजर के बीजों का चूर्ण 1 से 3 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से मासिकधर्म की पीड़ा नष्ट हो जाती है।
57. बंद मासिकधर्म:
गाजर का हलवा सेवन करने से मासिक-धर्म समय पर जारी हो जाता है।
गाजर के बीजों को पीसकर पानी में छानकर पीने से बंद मासिकधर्म पुन: शुरू हो जाता है।
58. मासिकधर्म सम्बन्धी परेशानियां: गाजर के बीज 25 ग्राम की मात्रा में लेकर पीस लें और फिर इसका सेवन करें इससे मासिकधर्म सम्बंधी कई प्रकार की परेशानियां दूर हो जाएगी।
59. आंव रक्त (पेचिश)- पुराने पेचिश के रोगी को गाजर का रस लाभदायक होता है।
60. घाव:
गाजर को कद्दूकस कर और गर्म घाव पर बांधने से पूरा फायदा होता है।
गाजर को पकाकर उसकी लुग्दी बना लें और इसे सड़ें घावों पर लगाएं इससे घाव ठीक होने लगेंगे।
61. अग्निमान्द्यता (अपच): काली गाजर के रस को शहद के साथ पीने से अग्निमान्द्यता रोग ठीक हो जाता है।
62. जिगर का रोग: गाजर को खाने से जिगर का रोग ठीक होता है।
63. श्वेत प्रदर: गाजर, पालक, गोभी, चुकन्दर का रस पीने से स्त्रियों के गर्भाशय की सूजन समाप्त हो जाती है और श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) रोग भी ठीक हो जाता है।
64. प्रदर रोग: 200 मिलीलीटर गाजर के रस को रोजाना 30 मिलीलीटर चुकन्दर के रस में मिलाकर शहद के साथ सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ मिलता है।
65. अम्लपित्त: गाजर का रस पीने से अम्लपित्त ठीक हो जाता है।
66. दर्द व सूजन: चोट मोच के कारण या किसी अन्य कारण से हुए सूजन पर गाजर की चटनी लगाकर पट्टी बांधने से सूजन कम हो जाती है तथा पीड़ा भी कम हो जाती है।
67. उण्डुकपुच्छशोथ (अपेण्डीसाइटिस): गाजर का रस पीने से अपेण्डीसाइटिस ठीक हो जाता है।
68. जलोदर (पेट में पानी की अधिकता):
गाजर का रस, छाछ और खरबूजे के साथ सेवन करने से जलोदर रोग ठीक हो जाता है।
गाजर का रस शहद के साथ सेवन करने से जलोदर रोग में लाभ मिलता है।
69. रक्तप्रदर (खूनी मासिकधर्म):
100 मिलीलीटर गाजर के रस को सुबह-शाम रोजाना पीने से रक्त प्रदर रोग ठीक हो जाता है।
70. मधुमेह के रोग:
1 कप गाजर का रस, आधा कप पालक का रस और आधा चम्मच जीरे के चूर्ण में दो चुटकी नमक डालकर 20 दिन तक रोजाना सेवन करने से मधुमेह में लाभ मिलता है। ध्यान रहे, इसे उच्च रक्त दाब के व्यक्ति न लें।
300 मिलीलीटर गाजर का रस और 150 मिलीलीटर पालक का रस मिलाकर पीने से मधुमेह रोग ठीक हो जाता है।
300 मिलीलीटर गाजर का रस, 180 मिलीलीटर पालक का रस एक साथ मिलाकर उसमें नमक, जीरा, डालकर पीने से मधुमेह रोग में लाभ होता है।
71. मोटापा बढ़ना: गाजर का रस पीने से शरीर पर चर्बी बढ़ने लगती है अत: इसका रस प्रतिदिन पीने से मोटापा बढ़ता है।
72. पेट के सभी प्रकार के रोग:
गाजर को खाने या उससे प्राप्त रस को पीने से भोजन का न पचना, पेट में वायु पैदा होना, आंतों में गैस, ऐंठन, शोथ (सूजन), घाव, पेट में पानी का भर जाना (जलोदर), एपेन्डीसाइटिस, वृहादांत्र शोथ (कोलाटिस), मल में बदबू, मुंह की बदबू, खराश और दस्त आदि रोगों में लाभ मिलता है।
गाजर में विटामिन बी काम्प्लेक्स मिलता है जो पाचन संस्थान को शक्तिशाली बनाता है। भोजन न पचना, पेट में गैस का बनना आदि रोग इससे ठीक हो जाते हैं।
73. नींद न आना (अनिद्रा):
रोजाना 1 गिलास गाजर का रस पीने से अनिद्रा दूर हो जाती है।
नींद न आने की स्थिति में रात को सोने से 30-40 मिनट पहले गाजर का रस पीने से लाभ मिलता है।
74. प्लीहा वृद्धि (तिल्ली):
तिल्ली की वृद्धि को कम करने के लिए गाजर के अचार का सेवन करना लाभदायक होता है।
75. आधासीसी (माइग्रेन) अधकपारी: गाजर के पत्तों पर घी लगाकर इसे हल्का गर्म करके इसके बाद इसे पीसकर रस निकला लें तथा इस रस को बूंद-बूंद करके नाक में डालने से आधासीसी (माइग्रेन) का रोग दूर हो जाता है।
76. पेट के कीड़े:
गाजर का रस 125 मिलीलीटर की मात्रा में रोज खाली पेट 14 दिन तक सेवन करने से पेट के कीड़ें मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
कच्ची गाजर को 7 दिनों तक खाने से भी पेट के कीड़ों से छुटकारा मिलता है।
गाजर का 125 मिलीलीटर रस को खाली पेट पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
1 कप गाजर का रस लगातार लगभग 15 दिनों तक पीने से पेट के कीड़ें मल के रास्ते बाहर हो जाते हैं।
77. नकसीर: 200 मिलीलीटर गाजर के रस और 50 मिलीलीटर पालक के रस को एक साथ मिलाकर पीने से नकसीर (नाक से खून बहना) रुक जाती है।
78. दिल का तेज धड़कना:
हृदय की धड़कन का बढ़ना तथा रक्त गाढ़ा होने रोग को ठीक करने के लिए गाजर का सेवन करना लाभदायक होता है।
गाजर का रस 200 मिलीलीटर मात्रा में प्रतिदिन पीने से हृदय की निर्बलता नष्ट होने से तेज धड़कन की समस्या का निवारण होता है।
79. चेहरे की झाई: गाजर को पीसकर उसका रस निचोड़ लें या उसका रस निकालकर उसमें चन्दन का बुरादा, गुलाब जल और बेसन को मिलाकर लेप बना लें। इसको चेहरे पर अच्छी तरह रगड़कर लगाने से चेहरे पर चमक आती है।
80. सिर का फोड़ा: गाजर को पीसकर सिर के फोड़ें पर लगाने से फोड़ा ठीक होने लगता है।
81. उच्चरक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर): गाजर के रस में शहद मिलाकर पीने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) कम होता है और लाभ मिलता है।
82. त्वचा के रोग के लिए:
1 कप गाजर का रस रोज पीने से त्वचा के रोग ठीक होने लगते हैं।
विटामिन ए की कमी से त्वचा सुखी पड़ जाती है। सर्दियों में त्वचा अधिक सूखी रहती है। सर्दियों में गाजर अधिक मात्रा में मिलती है। गाजर में विटामिन ए बहुत अधिक मात्रा में होता है। अत: गाजर खाने से त्वचा का सूखापन दूर हो जाता है।
गाजर का रस पीने से मुंहासें साफ हो जाते हैं और चेहरा भी चमक उठता है।
गाजर का रस कीटाणुनाशक है तथा यह संक्रमण को दूर करता है। उससे खून की उत्तेजना और बदबू दूर होती है। इससे शरीर का खून साफ हो जाता है जिससे फोड़े-फुन्सी और मुंहासें ठीक हो जाते हैं। चेहरा सुन्दर हो जाता है और रोगी के चेहरे का रंग गुलाब के फूल के समान हो जाता है। गाजर का रस चर्म (चमड़ी) के रोगों में बहुत ही लाभदायक होता है।
रूई के फाये से गाजर के रस को गर्दन और चेहरे पर लगाकर थोड़ी देर सूखने दें और फिर ठण्डे पानी से धो लें। इससे त्वचा साफ और चमकदार हो जाएगी।
गाजर का रस और पालक के रस को एक साथ मिलाकर 2 चम्मच शहद के साथ मिलाकर पीने से त्वचा के सारे रोगों में लाभ मिलता है।
20-20 मिलीलीटर गाजर का रस, टमाटर का रस और चुकन्दर का रस को एक साथ मिलाकर लगातार 2 महीने तक रोजाना पीने से चेहरे की झाईयां, दाद, दाग और मुंहासें मिट जाते हैं और चेहरा बिल्कुल साफ और चमकदार हो जाता है।
83. हृदय की दुर्बलता:
गाजर का ठण्डा मुरब्बा सेवन करने से अधिक गर्मी के कारण बढ़ी हुई धड़कन सामान्य हो जाती है।
प्रतिदिन 250 मिलीलीटर मात्रा में गाजर का रस पीने से हृदय की दुर्बलता नष्ट हो जाती है।
रात में गाजर को भूनकर छील लें तथा खुलें में रख दें। सुबह इसमें शक्कर और गुलाबजल मिलाकर खाने से बढ़ी हुई धड़कन सामान्य हो जाती है।
200 मिलीलीटर गाजर के रस में 100 मिलीलीटर पालक का रस मिलाकर पीने से हृदय के विभिन्न रोग ठीक हो जाते हैं।
84. हृदय रोग: 1 कप गाजर का रस 40 दिन तक रोगी को पिलाने से हृदय रोग ठीक हो जाता है।
85. निम्न रक्तचाप (निम्न ब्लड प्रेशर):
गाजर खाने व गाजर का रस पीने से भी निम्न रक्तचाप में लाभ होता है।
गाजर का रस 100 मिलीलीटर और पालक का रस मिलीलीटर ग्राम मिलाकर प्रतिदिन पीने से निम्न रक्तचाप (लो ब्लड प्रेशर) की शिकायत दूर होती है।
86. दाद:
गाजर के टुकड़े करके उसे बारीक पीस लें। फिर इसमें सेंधा नमक डालकर सेंक लें और फिर गर्म-गर्म ही दाद लगाकर इस पर पट्टी बांध दें। इसकों बांधने से कुछ ही समय मे दाद से लाभ मिलता है।
लगभग 180 मिलीलीटर गाजर का रस, 250 मिलीलीटर चुकन्दर का रस और 125 मिलीलीटर खीरा या ककड़ी के रस को मिलाकर पीने से दाद में लाभ होता है।
87. पीलिया:
250 मिलीलीटर गाजर के रस में 2-3 चम्मच शहद डालकर पीयें।
पीलिया को ठीक करने के लिए गाजर प्राकृतिक औषधि के रूप में लाभकारी होती है। पीलिया से पीड़ित रोगी का उपचार करने के लिए गाजर का रस रोगी को प्रतिदिन सेवन कराने से लाभ मिलता है।
88. तुण्डिका शोथ (टांसिल): गाजर के रस में 2 चम्मच शहद या आधा चम्मच अदरक का रस मिलाकर पीने से टांसिल रोग ठीक हो जाता है।
89. शारीरिक सौन्दर्यता बढ़ाना: गाजर, कच्ची पत्तागोभी, टमाटर, ककड़ी, मूली आदि का सलाद भोजन के साथ खाने से शरीर की खूबसूरती बनी रहती है।
100. सिर का दर्द:
गाजर के रस को गर्म करके दो बूंद कान में और दो-दो बूंद नाक के नथुनों में डालने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
गाजर और चुकन्दर के रस में आधा नींबू निचोड़कर रात को सोते समय पीने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
लगभग 200 मिलीलीटर गाजर का रस, 150 मिलीलीटर चुकन्दर का रस और 125 मिलीलीटर ककड़ी या खीरा के रस को पानी में मिलाकर पीने से सिर का दर्द खत्म हो जाता है।
101. चेहरे को साफ करना:
आधा गिलास (लगभग 125 मिलीलीटर) गाजर का रस 15 से 20 दिन तक सुबह और शाम खाली पेट पीने से खून साफ हो जाता है और उसमें हेमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ जाती है जिसके फलस्वरूप चेहरा साफ हो जाता है।
गाजर के रस से चेहरे को धोने से चेहरा साफ होता है। तेलीय त्वचा के लिए गाजर का रस बहुत ही लाभकारी होता है।
102. याददास्त कमजोर होना:
500 मिलीलीटर दूध में 125 मिलीलीटर गाजर का रस (जूस) मिलाकर सुबह बादाम खाने के बाद पीने से दिमागी कमजोरी दूर होती है जिसके फलस्वरूप याददाश्त भी बढ़ने लगती है।
गाजर का हलवा 2 महीने तक लगातार खाने से याददास्त मजबूत होती है।
103. चेहरे की सुन्दरता : 30 मिलीलीटर गाजर, 20 मिलीलीटर टमाटर और 10 मिलीलीटर चुकन्दर के रस को निकालकर आधा गिलास रोजाना कम से कम 15 से 20 दिन तक लगातार पीने से चेहरे की झुर्रियां, छाया, दाग, मुंहासें मिट जाते हैं और चेहरा टमाटर की तरह लाल और सुन्दर हो जाता है। इन सबके स्थान पर केवल गाजर या संतरे का रस भी पिया जा सकता है। गाजर के रस को 15 से 20 दिन तक रोजाना 3 से 4 बार पीने से लाभ होता है। इसको पीने से 1 घंटा पहले और 1 घंटे के बाद कुछ खाना और पीना नहीं चाहिए। गाजर के रस को पीने से पेट के कीड़े भी मर जाते हैं और अम्लरोग भी ठीक हो जाता है।
104. कण्ठमाला: 300 मिलीलीटर गाजर का रस और 125 मिलीलीटर पालक के रस को मिलाकर पीने से कण्ठमाला रोग ठीक हो जाता है।
105. शरीर में सूजन:
गाजर के 5 ग्राम बीजों को 250 मिलीलीटर पानी में उबालकर छानकर पीने से पेशाब आने के कारण होने वाली सूजन दूर हो जाती है।
लगभग 1 से 3 ग्राम की मात्रा में गाजर के बीजों को पीसकर चूर्ण बना लें और सुबह और शाम को इस चूर्ण का सेवन करें। ऐसा करने से पेशाब खुलकर आता है, जिससे पूरे शरीर की सूजन ठीक हो जाती है।
शरीर पर सूजन होने पर गाजर को कसकर या कुचलकर इसे गर्म करके सूजन वाले भाग पर बांधने से सूजन ठीक हो जाती है।
106. शारीरिक कमजोरी:
कच्ची गाजर 250 ग्राम की मात्रा में खाने और ऊपर से लगभग 1 किलो जल पीने से शरीर में शक्ति बढ़ती है और शरीर भी मजबूत होता है।
1 गिलास गाजर का रस सुबह खाली पेट और शाम को रोजाना 2 बार पीने से लाभ मिलता है। इसे दूध में भी मिलाकर पिया जा सकता है। गाजर का मिश्रित रस दिन में 3 बार पीने से शारीरिक कमजोरी दूर होने लगती है।
गाजर के हलवा के सेवन से कमजोरी दूर होती है और गुर्दे की कमजोरी भी दूर हो जाती है।
गाजर, पीपर, आंवला, चौलाई, इमली, सेव, मूली के पत्ते और संतरा खाने से शरीर में खून की वृद्धि होती है।
लगभग आधा गिलास (125 मिलीलीटर) की मात्रा में गाजर का रस रोजाना सुबह और शाम पीने से शरीर में होने वाले फोड़े फुन्सियां ठीक हो जाती है। इसके अलावा शरीर का खून भी साफ हो जाता है और शरीर का वजन बढ़ जाता है। इसका सेवन लगातार लगभग 15 या 20 दिनों तक करना चाहिए।
107. गले की गांठ:
टॉन्सिलाइटिस (गले में गांठ) के रोग में गाजर का रस पीने से अधिक आराम मिलता है।
108. गले के रोग: गाजर का रस पीने से कंठशूल (गले मे सूजन), स्वरभंग (आवाज का खराब होना) तालुमूल प्रदाह (तालू में जलन) रोग दूर होते हैं।

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