loading...
loading...

स्वप्नदोष(कारण,लक्षण,घरेलू चिकित्सा)



परिचयः- 

            स्वप्नदोष किसे कहते है? रात को सोते समय सपने में वीर्य का निकल जाना ही स्वप्नदोष कहलाता है। स्वप्नदोष को हम नाइटफाल, नाइट डिस्चार्ज या नाकटरनल एमिशन तथा फारसी में हम इसे एहतलाम कहते हैं। जो युवक बचपन में अपने हाथों से वीर्य को निकालते हैं, जिन्हें रात के समय में गंदे-गंदे अश्लील स्वप्न आते हैं। युवावस्था के समय जब सेक्स अंग पूरी तरह से तैयार होकर वे अपना कार्य करना शुरू कर देते हैं तो सेक्स ग्रंथियां रस छोड़ने लगती हैं। जब अण्डकोष के अंदर जरूरत से ज्यादा स्राव एकत्र हो जाता है तो वह स्वप्नदोष के द्वारा लिंग के माध्यम से बाहर निकल जाता है। इस तरह से स्वप्न के अंदर वीर्य का निकलना स्वप्नदोष कहलाता है। अगर आप जागी हुई मुद्रा में हो और आपका वीर्य निकल जाता है तो उसे हम स्वप्नदोष नहीं कह सकते हैं।
 जब किसी युवक को पहली बार स्वप्नदोष हो जाता है तो वह बहुत अधिक घबरा जाता है। उसके दिमागमें तरह-तरह के विचार पैदा होते हैं कि नाइटफाल की वजह से उसकी सेक्स करने की क्षमता में कहीं कोई कमी तो नहीं आ जाएगी या उसे कोई भंयकर बीमारी तो नहीं लग गई है?  काफी युवक इस रोग से इतना परेशान हो जाते हैं कि उसके चेहरे से चमक खत्म सी होने लगती है, वे बीमार से रहने लगते हैं, उनका स्वास्थ्य दिन पर दिन गिरने लगता है। उन्हें सिरदर्द  कमजोरी महसूस होने लगती है। वे हमेशा अकेले रहना पसंद करते हैं। वे अपने आपको नामर्द समझने लगते हैं।
            स्वप्नदोष एक तरह से यौन संबंधी क्रिया है। बाजारों में कुछ डाँक्टर तथा कई ऐसे नीम-हकीम भी हैं जो युवावस्था में कदम रख रहे युवकों को स्वप्नदोष एक गंभीर रोग बताकर उनसे काफी रुपये लूट लेते हैं। युवावस्था के शुरुआती दौर में और किशोरावस्था के अंतिम समय में अधिकतर ऐसे रोग पैदा होते हैं। अनेक पुरुषों को विवाह के बाद भी स्वप्नदोष की समस्या होती रहती है। कहते हैं कि पुरुषों की सेहत को सही रखने के लिए भी स्वप्नदोष होना  जरुरी है। स्वप्नदोष होने से मन के बुरे विचार समाप्त हो जाते हैं तथा इससे मन को भी शांति मिलती है।
            युवावस्था तथा किशोरावस्था में दिमाग में सेक्स करने संबंधी कामवासना जागृत होने लगती है। जब वह रात को सोता है तो उसको स्वप्न में दिन वाली बात याद आने लगती है। वह स्वप्न में ही किसी स्त्री के साथ सेक्स स्थापित करता है जिससे उसका वीर्य निकल जाता है इसे ही स्वप्नदोष कहा जाता है। स्वप्नदोष होने पर किसी भी प्रकार का शोक मनाना, शर्मिंदी महसूस करना या खुद को अपराधी ठहराना ठीक नहीं है। क्योंकि कभी-कभी वीर्य के निकलने पर शरीर को कोई हानि नहीं पहुंचती है।
कारणः-
            अधिक कामुक तथा उत्तेजित फिल्मों को देखना। किसी स्त्री के साथ संभोग क्रिया करते रहने की बारे में हमेशा खोये रहना। गंदी-गंदी और अश्लील बातों की तरफ ध्यान देना और हमेशा उन्हीं के बारे में सोचते रहना। पत्नी के अपने मायके चले जाने के बाद उसकी याद में हमेशा उदास रहना तथा अपनी प्रेमिका के साथ सेक्स क्रिया के बारे में मजा लूटने के बारे में सोचते रहने का कारण भी स्वप्नदोष का रोग बन जाता है।
  • हमेशा ही सुंदर लड़कियों के बारे में सेक्स की बातें करते रहना अथवा अपने आपको उसी के बारे में सोचते रहना। किसी भी खुबसूरत लड़की को देखकर यह सोचते रहना कि काश वह लड़की प्रेमिका या पत्नी बन जाए। यही सोचते हुए अपने मन में उत्साह जगाना। सोने से पहले रात को बिस्तर पर काफी देर तक उसी लड़की के बारे में सोचते रहना तथा उसी के बारे में विचार करना और फिर उसके बाद सो जाना। रात को सो जाने के बाद सपने में उसी लड़की का आपकी स्त्री या प्रेमिका बनकर आना, उसके साथ छेड़छाड़ करना और उससे संभोग करने के बारे में सोचना और इसी तरह के बारे में सोचते हुए वीर्य का निकल जाना ही स्वप्नदोष के कारण होते हैं।
  • अधिक देर तक रात को जागना, रात को अधिक देर व अधिक मात्रा में भरपेट भोजन करने के बाद ही तुरंत ही सो जाना। सोने जाने से पहले मूत्र का न करना। पेशाब करने का मन होते हुए भी आलस्य की वजह से रात को पेशाब न करने जाना। सुबह के समय सूर्योदय के बाद भी बहुत देर तक सोते रहने के कारण भी स्वप्नदोष हो जाता है।
  • हस्तमैथुन, पहले बहुत अधिक मैथुन करते रहने से परंतु बाद में इसको रोक देने पर, लम्बे समय तक ब्रह्मचर्य का पालन करते रहने के बीच में ही ब्रह्मचर्य को छोड़कर उसका दुबारा से पालन करने से भी स्वप्नदोष हो जाता है।
  • सूजाक (गिनोरिया) के हो जाने के बाद इन रोगों का सम्पूर्ण खात्मा न होकर शरीर में इनके कुछ कीटाणुओं के रह जाने के कारण भी स्वप्नदोष जैसे रोग पैदा हो जाते हैं।
  • तम्बाकू, गांजा, भांग, चरस आदि नशीले पदार्थों का अधिक प्रयोग करना, गर्म चटपटे, खट्टे-मीठे, कब्ज को लाने वाले, न पचने वाले पदार्थों का अधिक मात्रा में प्रयोग करते रहना जैसे- तेल, गुड़, लाल मिर्च, अचार, गर्म मसाले, लहसुन, प्याज और तनाव को अधिक मात्रा में बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ जैसे- मछली, अण्डा, मीट आदि चीजों का अधिक मात्रा में इस्तेमाल करना भी स्वप्नदोष के रोग को बढ़ाने का कारण बनते हैं।
लक्षणः-
            स्वप्नदोष से ग्रस्त रोगी में दिमाग का कमजोर हो जाना, आंखों से कम दिखाई देना, अत्यधिक स्वप्नदोष होने पर अधिक कमजोरी महसूस होना, याददाश्त का कमजोर हो जाना, किसी भी तरह का कार्य करने का मन न करना, वीर्य का जल्दी निकल जाना, कब्ज का बने रहना, अकेले रहने का मन करना, किसी से भी बाते करने का जी न करना, हमेशा सुस्ती महसूस होना, लिंग में कम तनाव पैदा होना तथा शिश्न पर नीली नसें चमकती हुई दिखाई देना, पैरों में हमेशा जलन महसूस होना, अधिक पसीना आना, सिर के बाल उड़ जाना अर्थात गंजापन होना और हमेशा मन में हीन भावना महसूस होना तथा सदा ही शर्मिंदगी होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं।
जानकारीः-
            स्वप्नदोष हमेशा बचपन या जवानी में गलत विचारों के कारण से होता है। बचपन में कल्पनाओं की उड़ान की वजह से मन में सेक्स करने के बारे में सोचकर ही होता है। अगर इसके इलाज के लिए किसी तरह की औषधि के अलावा अपने अंदर संयम रखने की भी जरूरत होती है। आप कितनी भी दवाएं खा लें या किसी भी चिकित्सक से परामर्श ले लें, अगर आप का मन, आपकी सोच सही नहीं है तो आपको स्वप्नदोष होते ही रहेंगे। इसलिए इसका इलाज कराना अति आवश्यक होता है।
घरेलू चिकित्साः-   
1.  धनियाः धनिया  मिश्री को बराबर मात्रा में लेकर बने हुए चूर्ण को 5 ग्राम की मात्रा में लेकर ताजा ठंडे पानी के साथ सुबह के समय रोजाना लगभग एक सप्ताह तक इस्तेमाल करने से रोजाना होने वाला स्वप्नदोष समाप्त हो जाता है तथा पेशाब करने वाली नली में दर्द होना, उपदंश और सूजाक आदि रोगों से छुटकारा मिलता है।
2.  जामुनः जामुन की गुठली का चूर्ण 4 ग्राम की मात्रा में लेकर शाम के समय लगभग 15 दिनों तक सेवन करते रहने से स्वप्नदोष के अधिक हो जाने के कारण शरीर में कमजोरी आ गई हो तो वह दूर हो जाती है। इस मिश्रण के सेवन करते रहने तक खट्टी चीजों का इस्तेमाल न करें।
3.  लहसुनः एक कली लहसुन रात को सोते समय चबाते हुए निगल जाएं। इसके तुरंत बाद कुछ भी नहीं खाना चाहिए। कुछ समय के बाद ही स्वप्नदोष की समस्या समाप्त हो जाएगी।
4.  जौः  त्रिफला (हरड़, बहेड़ा तथा आंवला) और जौ को रात के समय भिगोकर रख दें। इसके बाद अगले दिन सुबह के समय इसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर पी लें। इससे स्वप्नदोष के रोग दूर हो जाते हैं।
5.  इमलीः दूध में इमली के बीजों को भिगोकर इमली की निकाली हुई गिरियों में बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर अच्छी तरह से कूट-पीसकर मटर के दाने की तरह गोलियां बनाकर अपने पास रख लें। इसके बाद समान मात्रा में 1-1 गोली कुछ दिनों तक प्रयोग करते रहने से स्वप्नदोष जैसी समस्या समाप्त हो जाती है। इस मिश्रण का सेवन करते रहने तक तले-भूने तथा अधिक मिर्च-मसालों वाले पदार्थों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
6.  गाय का दूधः लगभग आधा किलो गाय के दूध में 3 छुहारे लेकर उसमें जरूरत के अनुसार मिश्री मिलाकर इसे अच्छी तरह से पका लें। जब दूध केवल आधा रह जाए तो छुहारे की गुठली निकालकर छुहारे को खा लें और उस दूध को पी लें। इस तरह से इस दूध का कुछ दिनों तक सेवन करते रहने से स्वप्नदोष जैसे होने वाले रोग व सभी प्रकार के वीर्य के गिरने वाले रोगों की समस्या समाप्त हो जाती है और शरीर में वीर्य की भी बढ़ोत्तरी होती है।नोटः- इस उपाय को सदा सर्दी के दिनों में ही करना चाहिए तथा विशेषरुप से कभी भी यह उपाय विद्यार्थियों को नहीं करना चाहिए।
7.   केलेः 3-4 बूंदें असली शहद की पके केले की फली में डालकर सुबह सूर्योदय से पहले खाने से स्वप्नदोष के साथ अनेक वीर्य संबंधी रोग समाप्त हो जाते हैं और वीर्य भी अधिक मात्रा में गाढ़ा बन जाता है। इस मिश्रण का इस्तेमाल विस्तारपूर्वक करना चाहिए।
8.   त्रिफलाः शहद में त्रिफला का चूर्ण मिलाकर खाने से स्वप्नदोष जैसे रोग खत्म हो जाते हैं। लेकिन जिन लोगों का स्वभाव अधिक गर्म रहता हो उन लोगों को शहद की जगह पर मिश्री का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर इसके अलावा चीनी मिला हुआ रस दे दिया जाए तो अधिक लाभ प्राप्त होगा।
9.  देशी फूलः  देशी फूल की मुलायम कच्ची पत्तियों को लेकर छाया में सुखा लें। फिर इसमें इसके बराबर मिश्री मिला लें। इन सबको मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें और इसे एक कांच की शीशी में डालकर रख दें। इस चूर्ण को 5-6 ग्राम की मात्रा में लेकर ताजे पानी से सुबह-शाम के समय रोजाना सेवन करने से स्वप्नदोष दूर होता है।
10. गुलाब के फूलः ताजे गुलाब के फूल की 5-6 पंखुड़ियां लेकर उसमें मिश्री को मिलाकर सुबह और शाम के समय चबाकर खा लें। फिर इसके ऊपर गाय का दूध पी लें। इस तरह से रोजाना सेवन करते रहने से स्वप्नदोष का रोग समाप्त हो जाता है।
11.  बादामः 1 पीस बादाम गिरी, थोड़ा सा मक्खन तथा 3-3 ग्राम गिलोय- इन सभी को बराबर की मात्रा में मिलाकर इसमें 7-8 ग्राम शहद मिलाकर एक समान भाग बना लें। इस मिश्रण को 8 से लेकर 10 दिनों तक सुबह और शाम के समय प्रयोग करने से स्वप्नदोष के रोग समाप्त हो जाते हैं।
12.  आंवलाः स्वप्नदोष के रोग को दूर करने के लिए 6 ग्राम आंवले के चूर्ण में शहद मिलाकर खा लें। इसके बाद ऊपर से इसमें मिश्री मिलाकर पानी पी लेना चाहिए।
13.  इलायचीः आधा ग्राम छोटी इलायची के पीसे हुए दाने, 3 ग्राम सूखे हुए धनिये का चूर्ण और 2 ग्राम कूटी हुई बारीक मिश्री- इन सभी पदार्थों को अच्छी तरह से मिलाकर इसकी समान मात्रा में पुड़िया बना लें। इस मिश्रण को सुबह के समय ताजे पानी के साथ सेवन करते रहें। इसका सेवन करते रहने से स्वप्नदोष के रोग में जल्दी ही लाभ मिलता है।
14.  पीपल की छालः पीपल की छाल का चूर्ण 3 ग्राम, इलायची का चूर्ण आधा ग्राम और बंग भस्म चौथाई ग्राम- इन चारों को एक साथ मिलाकर नियमित रुप से इस्तेमाल करें। इसका प्रयोग करने से रात को होने वाले स्वप्नदोष खत्म हो जायेंगे।
15.  चोबचीनीः आधा चम्मच मिश्री, आधा चम्मच चोबचीनी का चूर्ण तथा आधा चम्मच देशी घी- इन सबको ठीक तरह से मिलाकर सुबह के समय खाली पेट इस्तेमाल करना चाहिए। इसका सेवन करने के दस दिनों के पश्चात ही स्वप्नदोष जैसे रोग में फायदा दिखाई देने लगेगा।
16.  बबूल का गोंदः एक चम्मच मिश्री और बबूल का गोंद आधा चम्मच- इन दोनों मिश्रण को पानी में एक साथ मिलाकर सुबह और शाम का पी लें। यह उपाय स्वप्नदोष जैसे रोग को दूर भगा देता है।
17.  त्रिफलाः एक चम्मच शहद और एक चम्मच त्रिफला का चूर्ण- इन दोनों को मिलाकर सुबह और शाम के समय खा लें। यह स्वप्नदोष के रोग को समाप्त कर देता है।
18.  गुलाबजलः खस का शर्बत चार चम्मच और चार चम्मच गुलाबजल- इन दोनों को अच्छी तरह से मिलाकर इस्तेमाल करने से स्वप्नदोष रोग खत्म हो जाता है।
19.   हरड़ः एक चम्मच शहद और आधा चम्मच हरड़ का चूर्ण- इन दोनों को एक साथ मिलाकर सुबह और शाम को इस्तेमाल करने से स्वप्नदोष जैसे रोग की परेशानी दूर हो जाती है।
20.  इमली के बीजः इमली के बीज एक किलो लेकर इनको मिट्टी में भूनकर इनके छिलकों को निकालकर इसके सफेद वाले भाग को बारीक-बारीक पीस लें। फिर इसमें एक किलो पिसी हुई बारीक मिश्री मिला लें। एक चम्मच चूर्ण को खाली पेट सुबह के समय खा लें और इसके बाद ऊपर से एक गिलास हल्का गर्म दूध को पी लें। यह चूर्ण वीर्य को ताकत देता है और स्वप्नदोष के रोग को समाप्त करता है।
21. जायफलः 20 ग्राम जायफल, 40 ग्राम तालमखाना, 80 ग्राम शतावर और 160 ग्राम मिश्री- इन सभी को एक साथ मिलाकर और इनको पीस-छानकर एक कांच की शीशी में भरकर रख दें। नियमित रुप से एक चम्मच चूर्ण को सुबह और शाम के समय थोड़े से दूध में मिलाकर गाढ़ा लेप बना लें। इस चूर्ण को थोड़ा-थोड़ा करके चम्मच की बजाय उंगली से खाएं। उसके बाद ऊपर से एक गिलास गर्म दूध पी लें। इस चूर्ण के सेवन करने से स्वप्नदोष, वीर्य का जल्दी गिरना जैसे रोग दूर होते हैं और पुरुष शक्ति बढ़ती है।
22.  बरगदः बरगद के वृक्ष की 5-6 बूंद दूध सुबह के समय एक बताशे पर रखकर खा लें। इसका इस्तेमाल प्रतिदिन करने से स्वप्नदोष समाप्त हो जाता है।
23.  गोखरुः 100 ग्राम गोखरु, 10 ग्राम सिंघाड़ा, 125 ग्राम तालमखाना, कौंच के बीज 50 ग्राम, 50 ग्राम अश्वगंधा, बबूल की फली 50 ग्राम, 50 ग्रामबरगद का फल, 50 ग्राम मोचरस और 50 ग्राम सालम मिश्री- इन सभी पदार्थों को मिलाकर एक साथ पीसकर किसी साफ कपड़े से छानकर एक शीशी में भरकर रख दें। प्रतिदिन सुबह और शाम के समय आधा चम्मच चूर्ण दूध के साथ लें। इस चूर्ण को विस्तारपूर्वक 100 दिनों तक रोजाना इस्तेमाल करने से स्वप्नदोष जैसे रोग दूर हो जाते हैं।
24.  इलायचीः इलायची का चूर्ण 5 ग्राम इमामदस्ते में डालकर आंवले के रस के साथ मिलाकर पीस लें तथा इसमें दो चम्मच मिश्री भी मिला लें। गाढ़े पेस्ट की तरह होने पर इसकी चने के बराबर गोलियां बना लें। इसमें से एक-एक गोली सुबह और शाम के समय में इस्तेमाल करें। इससे स्वप्नदोष के रोग की समस्या खत्म हो जाएगी।
25.  जामुनः जामुन की गुठली को अच्छी तरह से सुखाकर तथा इसे अच्छी प्रकार से पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। एक चम्मच चूर्ण को सुबह और शाम के समय खाकर इसके ऊपर एक गिलास ताजा पानी पी लें। प्रतिदिन कुछ दिनों तक इस चूर्ण का इस्तेमाल करने से स्वप्नदोष का रोग समाप्त हो जाता है।
26.  मुलहठीः एक चम्मच शहद और आधा चम्मच मुलहठी का चूर्ण- इन दोनों को एक साथ मिलाकर सुबह और शाम के समय लेना चाहिए। इस चूर्ण का प्रतिदिन दो-तीन महीनों तक सेवन करने से स्वप्नदोष का रोग समाप्त हो जाता है। यह उपाय पौरुष की ताकत को भी बढ़ाता है।
27.  केलेः हरे आंवले का रस दो चम्मच, दो पके केले, एक चम्मच मिश्री तथा शहद दो चम्मच- इन चारों को अच्छी तरह से मिलाकर चम्मच की बजाय उंगली से खाकर इस्तेमाल करें। इस चूर्ण के सेवन करने से स्वप्नदोष का रोग खत्म हो जाता है।
28. आंवलाः पिसी हुई मिश्री दो चम्मच और सूखे आंवले का चूर्ण एक चम्मच- इन दोनों को मिलाकर रात को सोने के आधा घंटे पहले ताजा पानी के साथ मिलाकर इस्तेमाल करें। यह चूर्ण वीर्य को ताकत देता है और स्वप्नदोष के रोग को समाप्त करता है।
महत्वपूर्ण जानकारियां-
  • सदा हाथ-पैर और लिंग (शिश्न) को रात को सोते समय ठंडे पानी से धोना चाहिए।
  • रात को सोते समय अधिक टाईट अण्डरवियर या कसा हुआ नाईट ट्रैक-सूट नहीं पहनना चाहिए। रात को हमेशा नाईट सूट या तहमद (लुंगी) को ही पहने।
  • पुरुष को हमेशा सोने के दो-तीन घंटे पहले ही भोजन कर लेना चाहिए।
  • रात को सोते समय अधिक गर्म दूध, चाय या काँफी का सेवन नहीं करना चाहिए। इसकी बजाय रात को सोने से पहले एक गिलास शीतल जल पीकर सोना चाहिए।
  • बहुत अधिक मुलायम बिस्तर पर भी नहीं लेटना चाहिए। पेट के बल बिस्तर पर सोना हानिकारक होता है।
  • रात को देर तक नहीं जागना चाहिए। रात को जल्दी सो जाएं और सुबह के समय सूर्योदय होने से पहले ही उठ खड़ा हो जाना चाहिए।
  • रात को सोते समय गंदी या रोमांटिक फिल्में नहीं देखना चाहिए और न ही कोई गंदी या रोमांस की किताबें नहीं पढ़ें।
  • अपने मन को हमेशा शांत रखें। इसके लिए हमेशा मन को प्राणायाम, ध्यान एवं योग आदि में लगाये रखें। अपने मन को भक्ति-भाव जैसे मधुर संगीत को सुनते हुए नींद में तल्लीन हो जाएं।
  • सूर्योदय से पहले उठकर सैर करें तथा सुबह के समय में थोड़ा बहुत व्यायाम भी जरूर करें।
  • कभी भी अधिक चटपटे और अधिक तेज मसालेदार तथा इमली से बने पदार्थों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  • नशीले द्रव्यों, धूम्रपान तथा शराब आदि का कभी भी प्रयोग न करें। इनके इस्तेमाल से भी स्वप्नदोष जैसे रोग हो जाते हैं।
  • स्वप्नदोष का संबंध सीधा दिमागी रूप से जुड़ा होता है। रोगी को हमेशा दिमागी तौर से स्वस्थ होना चाहिए। रोगी को कभी भी अश्लील किताबों को नहीं पढ़ना चाहिए। अपने मन में कभी भी सुंदर स्त्री को देखकर सेक्स भावना को जाग्रत नहीं करना चाहिए। अश्लील और सेक्स से भरी पिक्चरों को नहीं देखें। वेश्याओं के पास कदापी नहीं जाए। उन मित्रों का साथ छोड़ देना दें जो हमेशा वेश्यावृति के लिए जाते हों तथा उनके बारे में हमेशा अश्लील बाते करते रहते हों। ऐसे दोस्तों का साथ हमेशा के लिए के लिए छोड़ देना चाहिए।
  • हमेशा ज्ञान की किताबों को ही पढ़े और अच्छी पुस्तकों को पढ़ने में अपने दिल को लगाए रखें। इन किताबों के पढ़ने से दिमाग में गंदे विचार नहीं आएंगे और सेक्स संबंधी बातों की तरफ ध्यान भी नहीं जायेगा। 
  • कभी भी अकेले में नहीं रहना चाहिए। सभी तरह के रोग और गलत विचार हमेशा खाली जगह पर ही जन्म लेते हैं। हैंड प्रैक्टिस (हस्तमैथुन) से छुटकारा पाने के लिए हमेशा खाली वातावरण वाली जगह से दूर ही रहना चाहिए। अपने खाली समय को हमेशा घर के सदस्यों और अच्छे दोस्तों के साथ मिलकर बिताना चाहिए और अपने मन को हमेशा खुश रखना चाहिए। 
  • कब्ज को कभी भी अपने ऊपर हावी न होने दें। कब्ज को दो तरीके से दूर किया जा सकता है (1) हरड़ का मुरब्बा खाने के बाद उसके ऊपर से दूध को पी लें, (2) 20 से 25 ग्राम के लगभग गुलकंद खाकर रात के समय ऊपर से एक गिलास दूध पी लें, सुबह के समय आपका पेट बिल्कुल ही साफ हो जाएगा। 
  • रात को सोने से पहले पेशाब जरूर करना चाहिए। रात को जब भी पेशाब करने का मन करें तो कभी भी सुस्ती न दिखाएं। शीघ्र ही उठकर मूत्र त्याग कर लेना चाहिए। उल्टा हो करके कभी भी न सोएं। रात को देर तक नहीं सोना चाहिए और सुबह के समय सूर्योदय से पहले ही उठ जाना चाहिए। सुबह-सुबह के समय शुद्ध हवा में घूमें। पार्क में जाकर नंगे पांव होकर आराम-आराम से घूमें। अगर आप के घर के बाहर लान हो तो उस घास पर सुबह के समय नंगे पैर घूमने से काफी लाभ प्राप्त होता है।
  • सुबह के समय सूर्योदय से पहले उठकर नहाना चाहिए। अगर आप के पास टाईम हो और तैरने के लिए सामान हो तो आप पानी के अंदर तैर सकते हैं। हमेशा हरे पत्तों वाली सब्जियां और रस से भरे फलों का इस्तेमाल करना चाहिए। रात को जब बिस्तर पर सोने के लिए जाएं तो सदा ही सोने से पहले अपने हाथ और पैरों को अच्छी तरह से साफ पानी से धो लेना चाहिए।
  • सिर के ऊपर अधिक बाल नहीं रखना चाहिए। कभी भी ऐसा खाना ना खाये जो शरीर में गर्मी को बढ़ाते हों। सदा ब्रह्यचर्य को अपनाना चाहिए। शौच आदि का त्याग करते समय ज्यादा जोर नहीं लगाना चाहिए।
  • वीर्य वाली जगह जब पूरी तरह से भर जाती है और वीर्य कार्य करने का काम करना शुरू कर देते हैं तो वीर्य का निकल जाना ही जरुरी है। सेक्स क्रिया करते हुए वीर्य का निकल जाना एक स्वाभाविक बात है परंतु शादी के बाद वीर्य स्वप्नदोष के रुप में निकल जाता है तो यह हानिकारक होता है। अगर यही स्वप्नदोष 8 से 10 बार जब एक महीने में हो जाता है तो इसकी ओर बताये गये उपचारों का अमल करना बहुत जरुरी हो जाता है।
    स्वप्नदोष का रोग अधिकतर जवानी की तरफ कदम बढ़ाते हुए युवकों और बगैर शादी-शुदा युवकों को ही अधिक होता है। महीनें में अगर तीन से चार बार स्वप्नदोष नहीं होगा तो हमेशा दिमाग में भारीपन तथा शरीर की नसों में कुछ खिंचाव सा महसूस होने लगता है। स्वप्नदोष होने के बाद शरीर में कुछ हल्कापन और दिमागी रुप से आराम प्राप्त होता है।
हमें क्या-क्या खाना चाहिएः-
            अरहर की दाल या चने की दाल, मूंग, जौ, चना, गेहूं, जौ का हलवा, शहद और जौ को मिलाकर बने हुए पदार्थ, बबूल की गोंद में बेसन से बनाये हुए लड़्डू, शलगम, गाजर तथा मूली आदि हरे पत्तों वाली सब्जियां आदि पदार्थ स्वप्नदोष के रोगी के प्रयोग के लिए बहुत ही लाभकारी चीजे हैं। स्वप्नदोष के रोगी को दिन में कम से कम 3 से 4 बार नींबू के पानी का सेवन करना बहुत ही आवश्यक है। सुबह के समय में नाश्ता करते समय अंकुरित चने, मट्ठे, किशमिश और मौसमी जैसे फलों के रस का इस्तेमाल करना चाहिए। हाथ की चक्की के पिसे हुए आटे का अगर सेवन किया जाए तो स्वप्नदोष के रोगी के लिए बहुत ही फायदेमंद है। रोगी को हमेशा हरी सब्जियां उबालकर लेनी चाहिए। लेकिन उसमें मसाले अधिक तेज व चटपटे नहीं होने चाहिए। इन पदार्थों का विस्तारपूर्वक प्रयोग करने से स्वप्नदोष के रोग में बहुत जल्द लाभ मिलता है।
किन चीजों का सेवन न करें-
            अण्डा, मांस, तेल, खटाई, गर्म मसालेदार चीजें, मटर, मिर्च, अरबी, चीनी, कचालू, उड़द, प्याज, मदिरा, शराब, तेल से बने आचार, चाय, काफी, नशीले पदार्थ, मादक पदार्थ, धूम्रपान आदि  का सेवन नहीं करना चाहिए। स्वप्नदोष के रोगी को कभी भी इन चीजों को नहीं अपनाना चाहिए।
Theme images by konradlew. Powered by Blogger.